ग्रन्थ परिचय
समृद्धि सुधा
गत विगत आगत से सर्वभाँति सम्बद्ध सुख समृद्धि संतोष से संयुक्त, सम्पुष्ट, उत्कृष्ट, उज्ज्वल प्रकाश की प्रगतिशील रश्मियों से प्रारूपित महकती, विहँसती मन्दाकिनी के मधुर स्वर से प्रतिध्वनित होतै हुए स्वर्णिम जीवन पथ के सुगन्धयुक्त संगीत का सृजन ही समृद्धि की सृष्टि का आधार स्तम्भ है जिसकी पृष्ठभूमि की संरचना पूर्वजन्म के अर्जित, संचित संयोजित पुण्यकाल पर प्रतिष्ठित है जिसे वर्तमान जन्म में अर्जित पुण्य प्रताप से परिवर्द्धित परिमार्जित परिवर्तित एवं पूर्णत सुनियोजित किया जाना संभव है और यही समृद्धि का आधारभूत सत्य और सिद्धान्त है ।
समृद्धि एवं लक्ष्मी समानार्थी शब्द हैं । ये दोनों शब्द विपुल धन समृद्धि, सम्पत्ति सम्यक् सम्पदा आर्थिक सम्पन्नता और सारगर्भिता का सजीव स्वरूप प्रदर्शित, परिलक्षित प्रतिबिम्बित करते हैं । समृद्धि पर समर्पित इस कृति में अर्थमहिमा से लेकर अपार अर्थार्जन,अर्थोद्गम के अभिनव आधारयुक्त परिहार आराधना और अनुष्ठान के अन्यान्य अनुभूत आयाम सन्निहित हैं, जिनके सतर्क चयन सविधि अनुकरण तथा श्रद्धायुक्त एवं निष्ठापूर्वक सम्पादन, प्रतिपादन से माता लक्ष्मी की प्रभूत प्रसन्नता सर्वथा सर्वदा सर्वविदित है और समृद्धि की समग्रता सम्यक्ता के साथ माता लक्ष्मी के अवतरण सै साधक की साधना. आराधना अनवरत अभिषिक्त और अभिसिंचित होती रहती है ।
समृद्धि सुधा, जिन पन्द्रह अध्यायों मैं विभाजित, व्याख्यायित एवं विवेचित है उन्हें अग्रांकित शीर्षकों से नामांकित करके उनके शब्द शब्द में लक्ष्मी माता का पावन चरणामृत तैंतीस इन्द्रधनुषी रंगों से चित्रित यन्त्रों तथा अन्यान्य अनुभूत मंत्रीं द्वारा सविधि निषेचन करने की सघन, सबल, सार्थक चेष्टा की गयी है
1 अर्थ महिमा 2. लक्ष्मी का अवतरण एवं सृष्टि एक दृष्टि, 3. देवी लक्ष्मी दुर्वासा ऋषि का शाप 4. भगवती लक्ष्मी सम्बन्धी प्राकट्य कथाएँ, 5 तंत्र आराधना मंथन एवं चिन्तन 6 शब्द दार्शनिक पक्ष वैज्ञानिक लक्ष्य, 7.मंत्र वैज्ञानिक व्याख्या 8. मंत्र विज्ञान विविध विधान व मंत्रार्थ संस्कार एवं उपचार निहितार्थ एवं रहस्य, 10 सदोष साधना ज्ञातव्य तथ्य, 11 विपुल समृद्धि सौरभ सुधा सम्पन्नता से सम्बद्ध कतिपय दुर्लभ स्तोत्र, 1. लक्ष्मी साधना एवं मंत्र अनुष्ठान 11. दीपावली का पूजन विधान 14. धन प्रदाता यंत्र प्रतिष्ठा 15 द्ररिद्रता एवं सम्पन्नता । ज्योतिष एवं मंत्र विज्ञान के गूढ़ रहस्य के सम्यक् संज्ञान हेतु समस्त ज्योतिर्विदों एवं मंत्र अध्येयताओं के अध्ययन अनुभव अनुसंधान के निमित्त समृद्धि सुधा एक अद्वितीय एवं अमूल्य निधि है ।
लेखिका परिचय
प्रख्यात ज्योतिर्विद श्रीमती मृदुला त्रिवेदी (जन्म सन् 1950 ई.पत्नी श्री.टी.पी त्रिवेदी) ज्योतिष सम्बन्धी अनेक सोपानों को पार करती हुई आज उस शिखर पर प्रतिष्ठित है जहाँ उनका परिचय परमुखापेक्षी नहीं है। अपने प्रणयन काल मे ही, विद्वत् समाज में वे उद्धरणीय बन गयी। श्रीमती मृदुला त्रिवेदी ज्योतिष ज्ञान के असीम सागर के जटिल गर्भ मे प्रतिष्ठित अनेक अनमोल रत्न अन्वेषित कर उन्हें वर्तमान मानवीय संदर्भों के अनुरूप संस्कारित कर तथा विभिन्न धरातलों पर उन्हें परीक्षित और प्रमाणित करने के पश्चात् जिज्ञासु छात्रो के समक्ष प्रस्तुत करने का सशक्त प्रयास तथा परिश्रम पिछले 30वर्षो से कर रही हैं।
कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा सम्मानित श्रीमती त्रिवेदी को 1987 मैं वर्ल्ड डेवलपमेंट पार्लियामेण्ट द्वारा डाक्टर ऑफ एस्ट्रोलाजी सन् 2001 में अध्यात्म तथा ज्योतिष शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा वराहभिहिर तथा सन् 2006 में बह्मर्षि की उपाधि से अलंकृत किया गया है । इससे पूर्व उनकी विलक्षण उपलब्धियों के लिए उन्हें ज्योतिष मार्त्तण्ड, भाग्यविदमणि, ज्योतिर्विद्यावारिधि, ज्योतिष वाचस्पति तथा अनेक अन्य उपाधियां से सम्मानित किया गया और उन्हें वर्ष के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी का पुरस्कार भी प्लनेट्स एण्ड फोरकास्ट द्वारा प्राप्त हुआ । अनेक राजनीतिक भविष्यवाणियों के लिए चर्चित इण्डियन कौसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेस लखनऊ शाखा की पूर्व अध्यक्षा.. Planets & Forecasts , The Express Star teller , रश्मि विज्ञान ज्योतिष एवम् वास्तु , में उप संपादिका के रूप में कार्यरत रही हैं । The Astrological Magazine , The Times of Astrology , Your Astrologer , Occult India , फ्यूचर समाचार, कादम्बिनी, धर्मयुग, हिन्दुस्तान, रविवार, द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलाजी (हिन्दी में) तथा भारत की अनेक पत्र पत्रिकाओं में हिन्दी और अंग्रेजी भाषा मैं । इनके 300 से अधिक शोधपरक, उपयोगी लेख प्रकाशित और प्रशंसित हुए हैं । इसके अतिरिक्त श्रीमती मृदुला
त्रिवेदी के अब तक 20 से अधिक विस्तृत शोध प्रबन्धों के कई संस्करण तथा पुत्नर्मुद्रण भारत की यशस्वी, प्रामाणिक एवं प्रख्यात संस्थाओं द्वारा प्रकाशित एवं प्रशंसित हो चुके हैं ।
लेखक परिचय
श्री टी.पी. त्रिवेदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बी.एससी. करके सिविल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की है । उनका ज्योतिषीय विश्लेषण एवं चिन्तन अत्यन्त तार्किक, वैज्ञानिक और औचित्यपूर्ण है । उन्होंने ज्योतिष के सहस्राधिक आकर ग्रंथ। एवं मानक पुस्तकों का अध्ययन मनन किया है । पिछले 30 वर्षो सै आप ज्योतिष के अनुसंधानपरक कार्यो, जन्मांगों के व्यावहारिक प्रतिफलन तथा शोधात्मक लेखन से सम्बद्ध) हैं । श्री त्रिवेदी को भारतवर्ष के यशस्वी प्रतिष्ठानों द्वारा ज्योतिष मार्त्तण्ड , ज्योतिष बृहस्पति , ज्योतिष महर्षि आदि अनेक उपाधियों से समय समय पर अलंकृत किया जाता रहा है । देश भर के, ज्योतिष विज्ञान के विभिन्न महासम्मेलनों में भी उन्होंने अपने शोधपरक व्याख्यान. उल्लेखनीय उपलब्धियों के परिशीलन से अपरिमित ख्याति तथा यश अर्जित किया है । ज्योतिष के क्षेत्र में श्री त्रिवेदी का नाम एक अत्यन्त संतुलित ज्योतिष ज्ञान कै प्रति सारस्वत संकल्प तथा समर्पित ज्योतिर्विद के रूप मैं लिया जाता है । अनेक यशस्वी प्रकाशनों में उनके लेख प्रकाशित एवं प्रशंसित होते रहे हैं । पिछले दो वर्षा से प्रत्येक रविवार को अंग्रेजी दैनिक Hindustan Times में श्री त्रिवेदी के ज्योतिष विज्ञान के अत्यन्त ज्ञानव ) क एवं जनोपयोगी लेख प्रकाशित ही रहै हैं जो अत्यन्त प्रशंसित तथा चर्चित हुए हैं। विश्व कै विभिन्न देशों कै निवासी उनसे समय समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं। कई ज्योतिष पत्रिकाओं में वह सह सम्पादक के रूप में कार्यरत रहे हैं।
अनुक्रमणिका
1
अध्याय 1 अर्थ महिमा
2
अध्याय 2 लक्ष्मी का अवतरण एवं सृष्टि एक दृष्टि
14
3
अध्याय 3 देवी लक्ष्मी दुर्वासा ऋषि का शाप
24
4
अध्याय 4 भगवती लक्ष्मी संबंधी प्राकट्य कथाएँ
52
5
अध्याय 5 तंत्र आराधना मंथन एवं चिन्तन
59
6
अध्याय 6 शब्द दार्शनिक पक्ष वैज्ञानिक लक्ष्य
73
7
अध्याय 7 मंत्र वैज्ञानिक व्याख्या
102
8
अध्याय 8 मंत्र विज्ञान विविध विधान
124
9
अध्याय 9 मंत्रार्थ, संस्कार एवं उपचार निहितार्थ एवं रहस्य
144
10
अध्याय 10 सदोष साधना ज्ञातव्य तथ्य
165
11
अध्याय 11 विपुल समृद्धि सौरभ सुधा सम्पन्नता से सम्बद्ध कतिपय दुर्लभ स्तोत्र
171
12
अध्याय 12 लक्ष्मी साधना एवं मंत्र अनुष्ठान
247
13
अध्याय 13 दीपावली का पूजन विधान
299
अध्याय 14 धन प्रदाता यंत्र प्रतिष्ठा
324
15
अध्याय 15 दरिद्रता एवं सम्पन्नता
395