पुस्तिका के विषय में
भगवान् श्रीअरविन्द व भगवती मीरा माँ के चरणों में सादर समर्पित भजनों की इस श्रृंखला में 'भजन-चन्द्रिका' नामक यह पुस्तिका हमारा पहला प्रयास है। इसमें तीन भाग हैं। इसके प्रथम भाग में श्रीअरविन्द दिव्य जीवन शिक्षा केंद्र, झुन्झुनू में रचित उन भजनों का संकलन है जो पूर्णत: श्रीमी व श्रीअरविन्द को समर्पित हैं व यहाँ की प्रार्थना सभाओं में गाये जाते है।
पुस्तिका के द्वितीय भाग में इन्दिरा देवी, (हरिकृष्ण मंदिर, पूना) द्वारा विरचित कुछ चुने हुए भजन दिये गये हैं जो विशेषतौर से श्रीमी- श्रीअरविन्द व सद्गुरु को लक्षित हैं। इन भजनों के प्रकाशन की अनुमति देने के लिए हम हरिकृष्ण मन्दिर, पूना के हार्दिक आभारी हैं।
पुस्तिका के तृतीय भाग में श्रीअरविन्द आश्रम, दिल्ली शाखा से प्रकाशित पुस्तक अर्पण गान के कुछ सुन्दर भजनों का व कुछ अन्य चुनिंदा भजनों का संकलन है। अर्पण गान में से भजन छापने की अनुमति प्रदान करने के लिए हम श्रीअरविन्द आश्रम, दिल्ली शाखा के हार्दिक आभारी हैं।
भजन सूची |
||
भाग एक |
||
1 |
मेरे प्रभु अब आयेंगे |
13 |
2 |
सोई आत्मा जाग उठी |
14 |
3 |
चेतो रे मन |
15 |
4 |
प्रभो आओ, चले आओ |
16 |
5 |
नाथ मुझे अब अपना कर लो |
17 |
6 |
गुरुदेव सतत मेरे संग रहो |
18 |
7 |
पथ से ना भटक जाना रे पथिक |
19 |
8 |
जिस पर प्रभु का हाथ हो |
20 |
9 |
नित्यम् अहम् नमामि |
21 |
10 |
मेरे प्राण के आधार बनके |
22 |
11 |
मैं नन्हा सा पंछी |
22 |
12 |
करते हम अभिनन्दन तेरा |
24 |
13 |
श्री अरविन्द हमारे नाथ |
24 |
14 |
कौन है वो जो |
25 |
15 |
प्रेम उदधि की लहरों में |
26 |
16 |
प्रभु झूलने आ जाओ |
27 |
17 |
श्रीअरविन्द चन्द्र हिय नभ के |
28 |
18 |
बहने लगी है करुणा की धारा |
28 |
19 |
हर श्वाँस मेरी तेरे चरणों में |
29 |
20 |
तेरे चरण तो हैं प्राण मेरे |
30 |
21 |
पाया है तुम्हें मैंने |
30 |
22 |
मुझे रास्ता दिखादो |
31 |
23 |
जीवन भर राह निहारूँगी |
32 |
24 |
कबरने पुकारूँ तुमको |
32 |
25 |
चाहकर भी मैं गा ना पाऊँ |
33 |
26 |
सुहानी हवा तू चली है कहीं से |
34 |
27 |
मेरी जीवन रूपी नैया के |
34 |
28 |
श्रीअरविन्द नाम के मोती |
35 |
29 |
श्रीअरविन्द के चरण में |
36 |
30 |
अम्बे तू ही लगाना, मेरी पार नैया |
37 |
31 |
मेरा हर कर्म हो तेरी पूजा |
38 |
32 |
श्रीअरविन्द चरण में |
38 |
33 |
म्हारा हिवड़ा रो धन श्रीमी अरविन्द |
39 |
34 |
म्हारा हिवड़ा धीरज राख |
40 |
35 |
किण रो भरोसो करूँ |
41 |
36 |
गुरुदेव दयालु महर करी |
42 |
37 |
घणा सुहाणां लागो थे |
42 |
38 |
हिवड़ा क्या प्रतिबिम्ब प्रभु रो |
43 |
39 |
श्रीअरविन्द बिना कुण म्हारो |
44 |
40 |
संसारी बातां में मनड़ा |
44 |
41 |
नयन जोवत बाट |
45 |
42 |
मैं तो दिवलो जोय हिय में |
46 |
43 |
प्रभु जाग्या भाग धरा रा |
47 |
44 |
श्रीअरविन्दो हृदयविहारी |
48 |
भाग दो |
||
45 |
सद्गुरु के दरबार खड़ी |
51 |
46 |
जय श्रीअरविन्द जय ज्योतिर्मय |
52 |
47 |
मुरा चरणन संग लागी मीरा |
52 |
48 |
सद्गुरु गोविंद एक सखी |
53 |
49 |
गुण मैं कैसे गाऊँ |
54 |
50 |
गुरु की नगरिया जायें |
54 |
51 |
सद्गुरु गोविन्द एक री माई |
55 |
52 |
सद्गुरु आई शरण तिहारी |
56 |
53 |
गुरु बिन कौन लगावे पार |
57 |
54 |
मैं तो बड़े भाग गुरु पाये |
58 |
55 |
गुरु अपना-सा कर दे |
59 |
56 |
सद्गुरु,क्या चरणों में लाऊँ |
60 |
57 |
इकबार तो तुम आ जाओ माँ |
61 |
58 |
आज सखी मिल मंगल गाओ |
62 |
59 |
आई शरण तिहारी |
63 |
60 |
चरणों में पड़ी मैं पुकारुँ माँ |
64 |
61 |
सद्गुरु छोड़ नहीं देना |
65 |
62 |
देवरूप गुरु पायो री |
66 |
63 |
तुम सा कौन है मीत है सद्गुरु |
67 |
64 |
चरण तिहारे सद्गुरु प्यारे |
68 |
65 |
सखी मैं सद्गुरु पायो री |
69 |
66 |
गुरु,शरण में तेरी आने को |
70 |
67 |
सखि ऐसे गुरु मैं पाये |
71 |
68 |
अंधकार से कंपित धरणी |
72 |
69 |
बह्मलोक से जन्म लिया |
73 |
70 |
मैं व्याकुल हूँ मिट जाने को |
74 |
71 |
प्रणाम ऋषे चरणों मे तेरे |
75 |
72 |
गुरु तज कौन दुआरे जाऊँ |
76 |
भाग तीन |
||
73 |
कर माँ मेरा जीवन सच्चा |
79 |
74 |
मंगल-मुहूर्त्त श्रीमी के अभिनन्दन का |
80 |
75 |
चिर सुन्दर श्रीअरविन्द जय |
81 |
76 |
भगवान् अरविन्द |
82 |
77 |
आओ जननी आओ |
83 |
78 |
निखिल ज्योति के ज्योतिर्धन |
84 |
79 |
श्रीमातरम् |
85 |
80 |
है कनकोज्ज्वल सवितावरणि |
86 |
81 |
नम: योगेश्वर श्रीअरविन्द |
88 |
82 |
सदा नमामि मातरम् |
90 |
83 |
ज्योतिर्मयी उतरो |
91 |
84 |
है अतिमानस परमपिता |
92 |
85 |
बन्दी मातृ चरण सिर नाय |
93 |
86 |
श्रीसद्गुरुस्तोत्रम् |
94 |
87 |
नमामि त्वाम् |
96 |
88 |
विकसित कर माँ |
97 |
89 |
ये तुम्हारे चरण |
98 |
90 |
मातु: शिशवो वयम् |
99 |
91 |
महाभागवत रूप लखे |
100 |
92 |
जयति-जयति जय-जय माँ मीरा |
101 |
93 |
परमेश्वरी भवानी तेरी जय |
102 |
94 |
माँ तेरी जय हो |
102 |
95 |
जननी जय माँ |
103 |
96 |
दे माँ निज चरणों का प्यार |
104 |
97 |
चरण कमल हैं तेरे |
104 |
98 |
जय श्रीअरविन्द जय श्रीमी |
105 |
99 |
जयतु भगवान् अरविन्द: |
106 |
100 |
तुम पधारो माँ |
107 |
101 |
आओ मिलकर गाएँ |
108 |
102 |
मैं तेरा माँ |
109 |
103 |
ओ जग जननी ओ कल्याणी |
110 |
104 |
आलोकित चरणाम्बुज तेरे |
110 |
105 |
वीणावादिनी वर दे |
111 |
106 |
अमृतमय गुण गान |
112 |
107 |
वर दो |
113 |
108 |
प्राणों में श्रीअरविन्द |
114 |
109 |
सभक्ति प्रणाम |
115 |
110 |
हृदये हृदये |
116 |
111 |
व माँ शारदे वरदान दो |
116 |
112 |
प्रणाम लो माँ |
117 |
113 |
भगवन् अरमान कुरु वीरान |
118 |
114 |
जयति जय माँ अम्बिके |
118 |
115 |
हमारे हैं श्रीमाँअरविन्द |
119 |
116 |
नमो नमस्ते |
120 |
117 |
वा नामे आनन्दो |
120 |
118 |
'श्री अरविन्दो'मम शरणम |
121 |
119 |
श्रीअरविन्द-सनातन शतदल |
122 |
120 |
सम्पत्ति-सप्तकम् |
123 |
121 |
सर्वाङ्गीण समर्पण |
124 |
122 |
तुम दयामयी |
125 |
123 |
जगदम्बे-भवानी |
126 |
124 |
आद्याशक्ति माँ मीरा |
127 |
पुस्तिका के विषय में
भगवान् श्रीअरविन्द व भगवती मीरा माँ के चरणों में सादर समर्पित भजनों की इस श्रृंखला में 'भजन-चन्द्रिका' नामक यह पुस्तिका हमारा पहला प्रयास है। इसमें तीन भाग हैं। इसके प्रथम भाग में श्रीअरविन्द दिव्य जीवन शिक्षा केंद्र, झुन्झुनू में रचित उन भजनों का संकलन है जो पूर्णत: श्रीमी व श्रीअरविन्द को समर्पित हैं व यहाँ की प्रार्थना सभाओं में गाये जाते है।
पुस्तिका के द्वितीय भाग में इन्दिरा देवी, (हरिकृष्ण मंदिर, पूना) द्वारा विरचित कुछ चुने हुए भजन दिये गये हैं जो विशेषतौर से श्रीमी- श्रीअरविन्द व सद्गुरु को लक्षित हैं। इन भजनों के प्रकाशन की अनुमति देने के लिए हम हरिकृष्ण मन्दिर, पूना के हार्दिक आभारी हैं।
पुस्तिका के तृतीय भाग में श्रीअरविन्द आश्रम, दिल्ली शाखा से प्रकाशित पुस्तक अर्पण गान के कुछ सुन्दर भजनों का व कुछ अन्य चुनिंदा भजनों का संकलन है। अर्पण गान में से भजन छापने की अनुमति प्रदान करने के लिए हम श्रीअरविन्द आश्रम, दिल्ली शाखा के हार्दिक आभारी हैं।
भजन सूची |
||
भाग एक |
||
1 |
मेरे प्रभु अब आयेंगे |
13 |
2 |
सोई आत्मा जाग उठी |
14 |
3 |
चेतो रे मन |
15 |
4 |
प्रभो आओ, चले आओ |
16 |
5 |
नाथ मुझे अब अपना कर लो |
17 |
6 |
गुरुदेव सतत मेरे संग रहो |
18 |
7 |
पथ से ना भटक जाना रे पथिक |
19 |
8 |
जिस पर प्रभु का हाथ हो |
20 |
9 |
नित्यम् अहम् नमामि |
21 |
10 |
मेरे प्राण के आधार बनके |
22 |
11 |
मैं नन्हा सा पंछी |
22 |
12 |
करते हम अभिनन्दन तेरा |
24 |
13 |
श्री अरविन्द हमारे नाथ |
24 |
14 |
कौन है वो जो |
25 |
15 |
प्रेम उदधि की लहरों में |
26 |
16 |
प्रभु झूलने आ जाओ |
27 |
17 |
श्रीअरविन्द चन्द्र हिय नभ के |
28 |
18 |
बहने लगी है करुणा की धारा |
28 |
19 |
हर श्वाँस मेरी तेरे चरणों में |
29 |
20 |
तेरे चरण तो हैं प्राण मेरे |
30 |
21 |
पाया है तुम्हें मैंने |
30 |
22 |
मुझे रास्ता दिखादो |
31 |
23 |
जीवन भर राह निहारूँगी |
32 |
24 |
कबरने पुकारूँ तुमको |
32 |
25 |
चाहकर भी मैं गा ना पाऊँ |
33 |
26 |
सुहानी हवा तू चली है कहीं से |
34 |
27 |
मेरी जीवन रूपी नैया के |
34 |
28 |
श्रीअरविन्द नाम के मोती |
35 |
29 |
श्रीअरविन्द के चरण में |
36 |
30 |
अम्बे तू ही लगाना, मेरी पार नैया |
37 |
31 |
मेरा हर कर्म हो तेरी पूजा |
38 |
32 |
श्रीअरविन्द चरण में |
38 |
33 |
म्हारा हिवड़ा रो धन श्रीमी अरविन्द |
39 |
34 |
म्हारा हिवड़ा धीरज राख |
40 |
35 |
किण रो भरोसो करूँ |
41 |
36 |
गुरुदेव दयालु महर करी |
42 |
37 |
घणा सुहाणां लागो थे |
42 |
38 |
हिवड़ा क्या प्रतिबिम्ब प्रभु रो |
43 |
39 |
श्रीअरविन्द बिना कुण म्हारो |
44 |
40 |
संसारी बातां में मनड़ा |
44 |
41 |
नयन जोवत बाट |
45 |
42 |
मैं तो दिवलो जोय हिय में |
46 |
43 |
प्रभु जाग्या भाग धरा रा |
47 |
44 |
श्रीअरविन्दो हृदयविहारी |
48 |
भाग दो |
||
45 |
सद्गुरु के दरबार खड़ी |
51 |
46 |
जय श्रीअरविन्द जय ज्योतिर्मय |
52 |
47 |
मुरा चरणन संग लागी मीरा |
52 |
48 |
सद्गुरु गोविंद एक सखी |
53 |
49 |
गुण मैं कैसे गाऊँ |
54 |
50 |
गुरु की नगरिया जायें |
54 |
51 |
सद्गुरु गोविन्द एक री माई |
55 |
52 |
सद्गुरु आई शरण तिहारी |
56 |
53 |
गुरु बिन कौन लगावे पार |
57 |
54 |
मैं तो बड़े भाग गुरु पाये |
58 |
55 |
गुरु अपना-सा कर दे |
59 |
56 |
सद्गुरु,क्या चरणों में लाऊँ |
60 |
57 |
इकबार तो तुम आ जाओ माँ |
61 |
58 |
आज सखी मिल मंगल गाओ |
62 |
59 |
आई शरण तिहारी |
63 |
60 |
चरणों में पड़ी मैं पुकारुँ माँ |
64 |
61 |
सद्गुरु छोड़ नहीं देना |
65 |
62 |
देवरूप गुरु पायो री |
66 |
63 |
तुम सा कौन है मीत है सद्गुरु |
67 |
64 |
चरण तिहारे सद्गुरु प्यारे |
68 |
65 |
सखी मैं सद्गुरु पायो री |
69 |
66 |
गुरु,शरण में तेरी आने को |
70 |
67 |
सखि ऐसे गुरु मैं पाये |
71 |
68 |
अंधकार से कंपित धरणी |
72 |
69 |
बह्मलोक से जन्म लिया |
73 |
70 |
मैं व्याकुल हूँ मिट जाने को |
74 |
71 |
प्रणाम ऋषे चरणों मे तेरे |
75 |
72 |
गुरु तज कौन दुआरे जाऊँ |
76 |
भाग तीन |
||
73 |
कर माँ मेरा जीवन सच्चा |
79 |
74 |
मंगल-मुहूर्त्त श्रीमी के अभिनन्दन का |
80 |
75 |
चिर सुन्दर श्रीअरविन्द जय |
81 |
76 |
भगवान् अरविन्द |
82 |
77 |
आओ जननी आओ |
83 |
78 |
निखिल ज्योति के ज्योतिर्धन |
84 |
79 |
श्रीमातरम् |
85 |
80 |
है कनकोज्ज्वल सवितावरणि |
86 |
81 |
नम: योगेश्वर श्रीअरविन्द |
88 |
82 |
सदा नमामि मातरम् |
90 |
83 |
ज्योतिर्मयी उतरो |
91 |
84 |
है अतिमानस परमपिता |
92 |
85 |
बन्दी मातृ चरण सिर नाय |
93 |
86 |
श्रीसद्गुरुस्तोत्रम् |
94 |
87 |
नमामि त्वाम् |
96 |
88 |
विकसित कर माँ |
97 |
89 |
ये तुम्हारे चरण |
98 |
90 |
मातु: शिशवो वयम् |
99 |
91 |
महाभागवत रूप लखे |
100 |
92 |
जयति-जयति जय-जय माँ मीरा |
101 |
93 |
परमेश्वरी भवानी तेरी जय |
102 |
94 |
माँ तेरी जय हो |
102 |
95 |
जननी जय माँ |
103 |
96 |
दे माँ निज चरणों का प्यार |
104 |
97 |
चरण कमल हैं तेरे |
104 |
98 |
जय श्रीअरविन्द जय श्रीमी |
105 |
99 |
जयतु भगवान् अरविन्द: |
106 |
100 |
तुम पधारो माँ |
107 |
101 |
आओ मिलकर गाएँ |
108 |
102 |
मैं तेरा माँ |
109 |
103 |
ओ जग जननी ओ कल्याणी |
110 |
104 |
आलोकित चरणाम्बुज तेरे |
110 |
105 |
वीणावादिनी वर दे |
111 |
106 |
अमृतमय गुण गान |
112 |
107 |
वर दो |
113 |
108 |
प्राणों में श्रीअरविन्द |
114 |
109 |
सभक्ति प्रणाम |
115 |
110 |
हृदये हृदये |
116 |
111 |
व माँ शारदे वरदान दो |
116 |
112 |
प्रणाम लो माँ |
117 |
113 |
भगवन् अरमान कुरु वीरान |
118 |
114 |
जयति जय माँ अम्बिके |
118 |
115 |
हमारे हैं श्रीमाँअरविन्द |
119 |
116 |
नमो नमस्ते |
120 |
117 |
वा नामे आनन्दो |
120 |
118 |
'श्री अरविन्दो'मम शरणम |
121 |
119 |
श्रीअरविन्द-सनातन शतदल |
122 |
120 |
सम्पत्ति-सप्तकम् |
123 |
121 |
सर्वाङ्गीण समर्पण |
124 |
122 |
तुम दयामयी |
125 |
123 |
जगदम्बे-भवानी |
126 |
124 |
आद्याशक्ति माँ मीरा |
127 |