समाज सदैव अपना इतिहास बनाने को व्याकुल रहता है। विशेषकर उन परिस्थितियों में जब परम्परावादी मान्यताएं अपरिहार्य बुराइयों से जकड़ जाती हैं। एक समय सनातनी व्यवस्था ने समय की संगत और ब्राह्मणवादी कर्मकांड से सिंचित होकर मानवीयता को तदर्थ बना दिया था तो उत्तर भारत से विरोध का स्वर उठा। लगभग पांच दर्जन अनीश्वरवादी दर्शन क्रांतिकारी वातावरण के निर्माण में अपना महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहण किया। इनमें महावीर स्वामी और महात्मा बौद्ध की सुधारवादी स्वर गहरी जड़ें जमा बैठी और आज भी इनकी पहचान यथावत है।
महात्मा बुद्ध का जन्म एक राज परिवार में हुआ था, किन्तु जीवन के कुछ मौलिक प्रश्नों ने उनको उद्वेलित करने का कार्य किया और उन्हीं प्रश्नों का हल ढूंढने हेतु एक लंबी यात्रा का श्रीगणेश हुआ। परिणाम के रूप में महान दर्शन बौद्ध का आविर्भाव हमलोगों के समक्ष है।
'बौद्ध साहित्य और दर्शन' के अंतर्गत कुल सात अध्याय हैं। प्रथम अध्याय में उन सभी धार्मिक संप्रदायों की चर्चा है जिनका उद्भव छठी सदी ईसा पूर्व में हुआ था। दूसरा अध्याय, बुद्ध के उपदेश की भाषा पर केन्द्रित है जबकि तीसरे अध्याय में बुद्ध की जीवनी और चौथा अध्याय संघ और बौद्ध संगीति पर है। पांचवें अध्याय में बौद्ध साहित्य की विस्तार से पड़ताल की गई है। छठा अध्याय बुद्ध के दर्शन पर है और सातवां अध्याय, बौद्ध धर्म की उपादेयता एवं ह्रास पर प्रकाश डालता है।
अंत में अपने गुरुजनों, परिवार और मित्रों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, जिनके सहयोग के बगैर यह कार्य अधूरा रह जाता। विशेषकर अपने प्रिय रत्नेश जी का अभारी हूँ, उनके निःस्वार्थ सहयोग के बगैर इसका प्रकाशन संभव नहीं था। प्रकाशक के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12457)
Tantra ( तन्त्र ) (981)
Vedas ( वेद ) (697)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1883)
Chaukhamba | चौखंबा (3349)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1441)
Yoga ( योग ) (1083)
Ramayana ( रामायण ) (1395)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (22899)
History ( इतिहास ) (8171)
Philosophy ( दर्शन ) (3286)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2526)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist