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चिन्ता शोक कैसे मिटें?: How to Overcome Tension and Suffering?

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Item Code: GPA159
Author: Jayadayal Goyandka
Publisher: Gita Press, Gorakhpur
Language: Sanskrit Text With Hindi Translations
Edition: 2013
ISBN: 9788129313201
Pages: 160
Cover: Paperback
Other Details 8.0 inch X 5.5 inch
Weight 130 gm
Fully insured
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Book Description

निवेदन

गीताप्रेसके संस्थापक परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके एक ही लगन थी कि मानवमात्र इस भवसागरसे कैसे पार हो! मनुष्य जन्मता है, बड़ा होता है, सन्तान उत्पन्न करता है, मर जाता है । इस प्रकार पशुवत् जीवन बिताकर अन्य योनियोंमें चला जाता है । जीवनकालमें चिन्ता, शोक और दुःखोंसे घिरा रहता है । मनुष्यशरीर पाकर भी यदि चिन्ता और शोकमें डूबा रहा तो उसने मनुष्यशरीरका दुरुपयोग ही किया । यह शरीर चिन्ता शोकसे ऊपर उठकर केवल भगवत्प्राप्तिके लिये ही प्रभुने कृपा करके दिया है । चिन्ता शोक हमारी बेसमझीसे ही होते हैं । इसमें प्रारब्ध या भगवान्का कोई हाथ नहीं है । हम इस बातको समझ जायँ तो कभी भी चिन्ता शोक नहीं हो सकते ।

श्रद्धेय गोयन्दकाजीने ऋषिकेशमें सर्वप्रथम लगभग सन् 1918 में सत्संग प्रारम्भ किया था पुन लगभग सन् 1927 से स्वर्गाश्रम ऋषिकेशमें वटवृक्षके नीचे लगभग चार महीने चैत्रसे आषाढ़तक सत्संग करते रहते थे । उस स्थानपर उन्होंने चिन्ता शोक कैसे मिटें, शान्ति कैसे मिले, हमें भगवान्की स्मृति हर समय कैसे बनी रहे, हम प्राणिमात्रको भगवान्का स्वरूप समझकर नि स्वार्थभावसे उनकी सेवा कैसे करें स्त्री, पुत्र, धन नथा मान बडाईकी आसक्ति इनको चाहते हुए भगवत्प्राप्ति असम्भव है, गृहम्याश्रममें रहते हुए माता बहनें भी किस प्रकार अपनी आध्यात्मिक उन्नति सुगमतासे कर सकती हैं इन विषयोंका भी विवेचन उनके प्रवचनोंमें स्व है । भोजन परोसनेमें विषमता करना महान् पाप है, नरकोंमें ले जानेवाला है। पतिकी आज्ञापालनमात्रसे ही माता बहनें अपना कल्याण कर सकती हैं । उपर्युक्त भाव लोगोंके हृदयमें बैठ जायँ तो वे अपने कल्याणकी ओर तत्परतासे अग्रसर हो सकते हैं । जीवनमें सदाचार सरलता, स्वार्थका त्याग फ्लू सुगमतासे हो सकता है, चिन्ता शोक सर्वथा मिट सकते हैं । इस भावसे इन प्रवचनोंको पुस्तकका रूप देनेका प्रयास किया गया है

 

विषय सूची

1

स्वार्थत्याग एवं सेवाका महत्त्व

5

2

गीताजीकी महिमा

11

3

कल्याण प्राप्तिके उपाय

16

4

चिन्ता, भय, शोक कैसे मिटें?

27

5

दुखोंका विनाश एवं परमानन्दकी प्राप्ति

46

6

मनुष्यजन्मकी श्रेष्ठता

52

7

विश्वासघात कभी न करें

55

8

निरन्तर भगवान्को याद रखें

72

9

ईश्वरके भजनमें ही समयकी सदुपयोगिता

76

10

मनुष्यका कर्तव्य, धारण करने एवं त्यागनेयोग्य बातें

79

11

निष्काम कर्मयोग, भगवान् एवं महात्माकी एकता तथा श्रद्धाका विषय

85

12

गीताका एक श्लोक धारण करनेसे कल्याण

101

13

काम दोषका निवारण

107

14

लोभका विवेचन

110

15

विशेष महत्त्वकी अनमोल बातें

112

16

वैराग्यकी महिमा

131

17

भगवान्की दयाका अनु भव करें

138

18

हमारी उन्नति कैसे हो?

142

19

निर्गुण और सगुणका ध्यान

149

20

अनमोल बातें

155

 

**Contents and Sample Pages**










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