भारतीय मूल के प्रवासी मेहरबान सिंह और उनकी पत्नी लिज़ा की इकलोती सन्तान सुनहरी बालों वाली जैनी पूर्व और पश्चिम , देश और विदेश के सम्मिश्रण की अनोखी तस्वीर है! चुलबुली मनमौजी, समझदार और गम्भीर एक साथ! जैनी मेहरबान सिंह ज़िन्दगी के रोमांस, उत्साह, उमंग और उजास की पटकथा है जिसे कृष्णा सोबती ने गुनगुनी सादगी से प्राप्त किया है!
वैंकूवर से दूर पिछवाड़े से झांकते हैं एक दूसरे के वैरी दो गाँव-पट्टीवाल और अट्टारीवाल! एक दूसरे को तरेरते को कुनबों के बीच पड़ी गहरी दरारें, जान लेने वाली दुश्मनियाँ और मरने-मारने के कसमें! ऐसे में मेहरबान सिंह और साहब सिंह कौर की अल्हड़ मुहब्बत कैसे परवान चढ़ती! मेहरबान सिंह ने अपनी मुहब्बत की ख़ातिर जान बख्श देने की दोस्ती निभाई और गाँव को पीठ दे कैनेडा जा बसे! नए मुल्क में नई जिन्दगी चल निकली! लिज़ा को खूब तो प्यार दिया, जैनी को भरपूर लाड़-चाव फिर भी दिल से लगी साहिब कौर की छवि मद्धिम न पड़ी...
इसके बाद की चलचित्री कहानी क्या मोड़ लेती है-पढ़कर देखिए जैनी महेरबान सिंह!
Your email address will not be published *
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Send as free online greeting card
Email a Friend