लेखक परिचय
देवभूमि उत्तरारखण्ड से सम्बन्धित होने के कारण श्री पवन बल्लभ थपलियाल का ज्योतिष और अन्य पारम्परिक विधाओं ओर स्वाभाविक रूझान था। पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के उपरान्त भी जिज्ञासा पूर्ण करने और सरकारी सेवा में आने के बाद इन्होंने आधुनिक रीति से भारतीय विद्या भवन से ज्योतिष शास्त्र पढ़ा। ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त देशा के कई जाने माने ज्योतिषाचार्येां के सानिध्य में इन्होने इस ब्रह्मा विद्या की सूक्ष्मताओं को भली भान्ति समझा और जाना है।
अंग्रेजी में उपलब्ध ज्योतिष शास्त्र की टीकाओं को हिन्दी पाठकों तक पहुंचाने के लिए इन्होने अंग्रेजी की चार टीकाओं का हिन्दी में अनुवाद किया है। इसके अतिरिक्त स्वर्गीय एम.एस. मेहता जी की पुस्तक 'आधुनिक विधि से कुण्डली की विवेचना' को न केवल हिन्दी में अनुवादित किया है अपितु हिन्दी संस्करण में सह लेखक का कार्य भी किया है। इनके द्वारा अनुवादित अन्य पुस्तकें इस प्रकार से हैं
1. अष्टकवर्ग फलित की आधुनिक विधियां
2. मुहूर्त परम्परागत एवं आधुनिक
3. नक्षत्रफल (द्वतीय भाग) नक्षत्र पर आधारित वर्षफल
4. सुगम वैदिक ज्योतिष
विषय सूची |
||
दो शब्द |
||
फलित के मूलभूत सिद्धान्त |
15 |
|
1 |
विवाह संस्कार का महत्व |
35 |
2 |
जन्मपत्रिका में विवाह की विवेचना |
46 |
3 |
मेष लग्न और सातवें भाव में तुला राशि |
80 |
4 |
वृषभ लग्न और सातवें भाव में वृश्चिक राशि |
103 |
5 |
मिथुन लग्न और सातवें भाव में धनु राशि |
|
6 |
कर्क लग्न और सातवें भाव में मकर राशि |
145 |
7 |
सिंह लग्न और सातवें भाव में कुंभ राशि |
166 |
8 |
कन्या लग्न और सातवें भाव में मीन राशि |
185 |
9 |
तुला लग्न और सातवें भाव में मेष राशि |
207 |
10 |
वृश्चिक लग्न और सातवें भाव में वृषभ राशि |
229 |
11 |
धनु लग्न और सातवें भाव में मिथुन राशि |
251 |
12 |
मकर लग्न और सातवें भाव में कर्क राशि |
272 |
13 |
कुंभ लग्न और सातवें भाव में सिंह राशि |
293 |
14 |
मीन लग्न और सातवें भाव में कन्या राशि |
315 |
15 |
कुण्डली के सप्तमेश का विभिन्न भावों में फल |
337 |
16 |
जन्मपत्रिका में मंगल दोष की विवेचना |
356 |
17 |
विवाह का समय निर्धारण |
365 |
18 |
विवाह से सम्बन्धित कुछ अन्य योग |
372 |
19 |
कुण्डली मिलान के महत्वपूर्ण विचारणीय बिन्दु |
378 |
लेखक परिचय
देवभूमि उत्तरारखण्ड से सम्बन्धित होने के कारण श्री पवन बल्लभ थपलियाल का ज्योतिष और अन्य पारम्परिक विधाओं ओर स्वाभाविक रूझान था। पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के उपरान्त भी जिज्ञासा पूर्ण करने और सरकारी सेवा में आने के बाद इन्होंने आधुनिक रीति से भारतीय विद्या भवन से ज्योतिष शास्त्र पढ़ा। ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त देशा के कई जाने माने ज्योतिषाचार्येां के सानिध्य में इन्होने इस ब्रह्मा विद्या की सूक्ष्मताओं को भली भान्ति समझा और जाना है।
अंग्रेजी में उपलब्ध ज्योतिष शास्त्र की टीकाओं को हिन्दी पाठकों तक पहुंचाने के लिए इन्होने अंग्रेजी की चार टीकाओं का हिन्दी में अनुवाद किया है। इसके अतिरिक्त स्वर्गीय एम.एस. मेहता जी की पुस्तक 'आधुनिक विधि से कुण्डली की विवेचना' को न केवल हिन्दी में अनुवादित किया है अपितु हिन्दी संस्करण में सह लेखक का कार्य भी किया है। इनके द्वारा अनुवादित अन्य पुस्तकें इस प्रकार से हैं
1. अष्टकवर्ग फलित की आधुनिक विधियां
2. मुहूर्त परम्परागत एवं आधुनिक
3. नक्षत्रफल (द्वतीय भाग) नक्षत्र पर आधारित वर्षफल
4. सुगम वैदिक ज्योतिष
विषय सूची |
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दो शब्द |
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फलित के मूलभूत सिद्धान्त |
15 |
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1 |
विवाह संस्कार का महत्व |
35 |
2 |
जन्मपत्रिका में विवाह की विवेचना |
46 |
3 |
मेष लग्न और सातवें भाव में तुला राशि |
80 |
4 |
वृषभ लग्न और सातवें भाव में वृश्चिक राशि |
103 |
5 |
मिथुन लग्न और सातवें भाव में धनु राशि |
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6 |
कर्क लग्न और सातवें भाव में मकर राशि |
145 |
7 |
सिंह लग्न और सातवें भाव में कुंभ राशि |
166 |
8 |
कन्या लग्न और सातवें भाव में मीन राशि |
185 |
9 |
तुला लग्न और सातवें भाव में मेष राशि |
207 |
10 |
वृश्चिक लग्न और सातवें भाव में वृषभ राशि |
229 |
11 |
धनु लग्न और सातवें भाव में मिथुन राशि |
251 |
12 |
मकर लग्न और सातवें भाव में कर्क राशि |
272 |
13 |
कुंभ लग्न और सातवें भाव में सिंह राशि |
293 |
14 |
मीन लग्न और सातवें भाव में कन्या राशि |
315 |
15 |
कुण्डली के सप्तमेश का विभिन्न भावों में फल |
337 |
16 |
जन्मपत्रिका में मंगल दोष की विवेचना |
356 |
17 |
विवाह का समय निर्धारण |
365 |
18 |
विवाह से सम्बन्धित कुछ अन्य योग |
372 |
19 |
कुण्डली मिलान के महत्वपूर्ण विचारणीय बिन्दु |
378 |