पुस्तक परिचय
मोहनलाल महतो वियोगी (जन्म 1902, निधन 7 फरवरी 1990) प्राय: मान दशकों तक अपनी प्रखर प्रतिभा से हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं को निष्ठापूर्वक समृद्ध करते रहे । उन्होंने अनेक दर्जन मौलिक एवं अविस्मरणीय उल्लेखनीय पुस्तकों की रचना की । वियोगी जी का काव्य वैयक्तिकता सै राष्ट्रीयता की ओर है । निर्माल्य: एकतारा और कल्पना में उनकी प्रखर हृदयस्पर्शी वैयक्तिकता है, आयावत में राष्ट्रधर्म और राष्ट्रीयता है । उनक गद्य-क्षेत्र अत्यन्त उर्वर, विशाल और समृद्ध है । वे कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबंधकार और संस्मरणकार थे और सबसे बड़ी बात यह कि वे विचारक भी थे । उनकी गद्य-रचनाओं में सूक्तियों के असंख्य मोती हैं । उनकी सैकड़ों रचनाएँ विगत सात दशकों की हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में अब तक असंकलित विखरी हुई हैं ।
वियोगी जी ने हिन्दी साहित्य को एक जुदा अंदाज़ दिया है, नई पहचान दी है । अपनी किसी भी प्रस्तुति में वे अपनी अलग पहचान देने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं । उन्होंने लगातार अपने अपिको एक ढर्रेपन से बचाने की सफल कोशिश की है । वियोगी जी के संपूर्ण साहित्य का मूल स्वर है-एक दुनिया एक सपना ।
लेखक परिचय
इस विनिबंध के लेखक डॉ० रामनिरंजन परिमलेन्दु, बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के पूर्व यूनिवर्सिटी प्रोफेसर (हिन्दी) हैं । सेवानिवृत्ति के पश्चात् आपने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के तत्त्वावधान में बृहत् अनुसंधान परियोजना (हिन्दी) के प्रधान अन्वेषक का कार्य किया । आप उन्नीसवीं शताब्दी के संपूर्ण हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता, हिन्दी के आरंभिक उपन्यास-साहित्य, देवनागरी लिपि आदोलन का इतिहास आदि के मर्मज्ञ हैं तथा अनेक विशिष्ट ग्रंथों के मान्य लेखक हैं और प्राय: 55 वर्षों से हिंदी साहित्य सृजन से निष्ठापूर्वक जुड़े हुए हैं ।
अनुक्रम |
||
1 |
भूमिका |
7 |
2 |
मोहनलाल महतो वियोगी जीवन की रेखाओं में |
13 |
3 |
वियोगी जी का रचना-संसार |
36 |
4 |
मोहनलाल महतो वियोगी का काव्य |
44 |
5 |
उपन्यासकार मोहनलाल महतो वियोगी |
77 |
6 |
कहानीकार वियोगी |
91 |
7 |
वियोगी जी का नाट्य साहित्य |
95 |
8 |
निबंधकार वियोगी |
104 |
9 |
वियोगी जी के संस्मरण |
112 |
10 |
वियोगी जी का बाल-साहित्य |
123 |
परिशिष्ट |
||
1 |
(क) मोहनलाल महतो वियोगी का प्रकाशित साहित्य |
131 |
2 |
(ख) संदर्भ-सूची |
135 |
पुस्तक परिचय
मोहनलाल महतो वियोगी (जन्म 1902, निधन 7 फरवरी 1990) प्राय: मान दशकों तक अपनी प्रखर प्रतिभा से हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं को निष्ठापूर्वक समृद्ध करते रहे । उन्होंने अनेक दर्जन मौलिक एवं अविस्मरणीय उल्लेखनीय पुस्तकों की रचना की । वियोगी जी का काव्य वैयक्तिकता सै राष्ट्रीयता की ओर है । निर्माल्य: एकतारा और कल्पना में उनकी प्रखर हृदयस्पर्शी वैयक्तिकता है, आयावत में राष्ट्रधर्म और राष्ट्रीयता है । उनक गद्य-क्षेत्र अत्यन्त उर्वर, विशाल और समृद्ध है । वे कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबंधकार और संस्मरणकार थे और सबसे बड़ी बात यह कि वे विचारक भी थे । उनकी गद्य-रचनाओं में सूक्तियों के असंख्य मोती हैं । उनकी सैकड़ों रचनाएँ विगत सात दशकों की हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में अब तक असंकलित विखरी हुई हैं ।
वियोगी जी ने हिन्दी साहित्य को एक जुदा अंदाज़ दिया है, नई पहचान दी है । अपनी किसी भी प्रस्तुति में वे अपनी अलग पहचान देने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं । उन्होंने लगातार अपने अपिको एक ढर्रेपन से बचाने की सफल कोशिश की है । वियोगी जी के संपूर्ण साहित्य का मूल स्वर है-एक दुनिया एक सपना ।
लेखक परिचय
इस विनिबंध के लेखक डॉ० रामनिरंजन परिमलेन्दु, बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के पूर्व यूनिवर्सिटी प्रोफेसर (हिन्दी) हैं । सेवानिवृत्ति के पश्चात् आपने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के तत्त्वावधान में बृहत् अनुसंधान परियोजना (हिन्दी) के प्रधान अन्वेषक का कार्य किया । आप उन्नीसवीं शताब्दी के संपूर्ण हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता, हिन्दी के आरंभिक उपन्यास-साहित्य, देवनागरी लिपि आदोलन का इतिहास आदि के मर्मज्ञ हैं तथा अनेक विशिष्ट ग्रंथों के मान्य लेखक हैं और प्राय: 55 वर्षों से हिंदी साहित्य सृजन से निष्ठापूर्वक जुड़े हुए हैं ।
अनुक्रम |
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1 |
भूमिका |
7 |
2 |
मोहनलाल महतो वियोगी जीवन की रेखाओं में |
13 |
3 |
वियोगी जी का रचना-संसार |
36 |
4 |
मोहनलाल महतो वियोगी का काव्य |
44 |
5 |
उपन्यासकार मोहनलाल महतो वियोगी |
77 |
6 |
कहानीकार वियोगी |
91 |
7 |
वियोगी जी का नाट्य साहित्य |
95 |
8 |
निबंधकार वियोगी |
104 |
9 |
वियोगी जी के संस्मरण |
112 |
10 |
वियोगी जी का बाल-साहित्य |
123 |
परिशिष्ट |
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1 |
(क) मोहनलाल महतो वियोगी का प्रकाशित साहित्य |
131 |
2 |
(ख) संदर्भ-सूची |
135 |