वक्त के साथ-साथ उर्दू गज़ल ने भी नए-नए रंग-रूप का जामा पहना है-कभी हुस्न-ओ-इश्क की दास्ताँ का तो कभी जामो-सुबू का | वर्तमान दौर की समसामयिक उर्दू ग़ज़लों में जहां सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ एक आवाज बुलंद होती दिखाई देती है ; वहीं वे जिंदगी की छटपटाहट , अकेलापन , दर्दो- गम , मायूसी और मुखालिफत की लहरे भी अपने अंदर समेटे रहती है |
'ग़ज़लों का इन्द्रधनुष' नामक इस संकलन में ऐसी ही विभिन्न रंग-सुंगंध वाली गजले शामिल है, जो आपको एक अनूठे एहसास, खूबसूरत अंदाज और सामाजिक उथल-पुथल के लम्हात से परिचित कराएगी |
वक्त के साथ-साथ उर्दू गज़ल ने भी नए-नए रंग-रूप का जामा पहना है-कभी हुस्न-ओ-इश्क की दास्ताँ का तो कभी जामो-सुबू का | वर्तमान दौर की समसामयिक उर्दू ग़ज़लों में जहां सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ एक आवाज बुलंद होती दिखाई देती है ; वहीं वे जिंदगी की छटपटाहट , अकेलापन , दर्दो- गम , मायूसी और मुखालिफत की लहरे भी अपने अंदर समेटे रहती है |
'ग़ज़लों का इन्द्रधनुष' नामक इस संकलन में ऐसी ही विभिन्न रंग-सुंगंध वाली गजले शामिल है, जो आपको एक अनूठे एहसास, खूबसूरत अंदाज और सामाजिक उथल-पुथल के लम्हात से परिचित कराएगी |