पुस्तक के बारे में
सरदार वल्लभभाई पटेल, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के 'लौह पुरुष' के नाम से जाने जाते हैं । सात सौ से अधिक देशी रियासतों को एक झंडे के नीचे लाने का कार्य उन जैसे मेधावी राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त किसी और के वश की बात नहीं थी । बड़ी से बड़ी आपत्ति ओने पर भी रंचमात्र विचलित न होने वाला वह व्यक्ति कम विनोदप्रिय नहीं था । ऐसे सरदार पटेल के जीवन के कुछ परिचित अपरिचित पक्षों का उद्घाटन हिन्दी के सुप्रसिद्ध लेखक श्री विध्या प्रभाकर ने बहुत ही रोचक भाषा तथा शैली में वर्णन किया है ।
विषय-सूची |
||
1 |
दो शब्द |
सात |
2 |
होनहार बिरवान |
1 |
3 |
विरासत |
5 |
4 |
वकील साहब |
9 |
5 |
रामकृष्ण के विवेकानंद |
14 |
6 |
बारडोली के सरदार |
18 |
7 |
परिजनों के बीच |
22 |
8 |
स्वाधीनता संग्राम के सेनानी |
28 |
9 |
प्रसव वेदना |
38 |
10 |
कड़वा घूंट |
43 |
11 |
मुक्ति दिवस मुस्काया |
47 |
12 |
विशाल भारत के निर्माता |
50 |
13 |
हरि सम्हालना जी |
57 |
14 |
अनुक्रमणिका |
61 |
पुस्तक के बारे में
सरदार वल्लभभाई पटेल, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के 'लौह पुरुष' के नाम से जाने जाते हैं । सात सौ से अधिक देशी रियासतों को एक झंडे के नीचे लाने का कार्य उन जैसे मेधावी राजनीतिज्ञ के अतिरिक्त किसी और के वश की बात नहीं थी । बड़ी से बड़ी आपत्ति ओने पर भी रंचमात्र विचलित न होने वाला वह व्यक्ति कम विनोदप्रिय नहीं था । ऐसे सरदार पटेल के जीवन के कुछ परिचित अपरिचित पक्षों का उद्घाटन हिन्दी के सुप्रसिद्ध लेखक श्री विध्या प्रभाकर ने बहुत ही रोचक भाषा तथा शैली में वर्णन किया है ।
विषय-सूची |
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1 |
दो शब्द |
सात |
2 |
होनहार बिरवान |
1 |
3 |
विरासत |
5 |
4 |
वकील साहब |
9 |
5 |
रामकृष्ण के विवेकानंद |
14 |
6 |
बारडोली के सरदार |
18 |
7 |
परिजनों के बीच |
22 |
8 |
स्वाधीनता संग्राम के सेनानी |
28 |
9 |
प्रसव वेदना |
38 |
10 |
कड़वा घूंट |
43 |
11 |
मुक्ति दिवस मुस्काया |
47 |
12 |
विशाल भारत के निर्माता |
50 |
13 |
हरि सम्हालना जी |
57 |
14 |
अनुक्रमणिका |
61 |