पुस्तक के बारे में
प्रस्तुत पुस्तक 'सात भारतीय संत' एक महत्वपूर्ण कृति है जिस को लेखक ने बड़े मनोयोग, अथक परिश्रम से तैयार किया है । अध्यात्म से जुड़े पाठक वर्ग व शोधार्थियों के लिए एक एक महत्वपूर्ण कृति है, ऐसा हमारा मानना है ।
लेखक डॉ.बलदेव बंशी का जन्म 7 जून 1938 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में हुआ । उन्होंने एम.ए. हिंदी पी.एच.डी. तक शिक्षा प्राप्त की । अब तक उनके बारह कविता संग्रह, दस आलोचक पुस्तकों सहित पैंतालीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित । 'कहत कबीर कबीर', 'कबीर की चिंता', 'पूरा कबीर', 'दादू जीवन दर्शन', 'संत कवि दादू, 'संत मलूक ग्रंथावली', 'संत पुस्तक माला', का लेखक-संपादन किया ।
विभिन्न अकादमियों, साहित्यिक संस्थाओं, विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित । छह पुस्तकें केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा पुरस्कृत । 'कबीर शिखर सम्मान', 'मलूक रत्न पुरस्कार' प्राप्त । रचनाएं विश्व-विद्यालयी पाठ्यक्रमों में निर्धारित तथा अनेक भाषाओं में अनूदित ।
'विश्व रामायण सम्मेलन' तथा 'कबीर चेतना यात्रा' के दौरान मारीशस, हॉलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, नेपाल आदि देशों की यात्रा । 'अखिल भारतीय भाषा संरक्षण संगठन' के संस्थापक अध्यक्ष, विश्व कबीरपंथी महासभा के अध्यक्ष, 'अखिल भारतीय श्री दादू सेवक समाज' के महानिदेशक, 'दादू शिखर सम्मान समिति' के संयोजक व 'विचार कविता' के संस्थापक संपादक । इन दिनों अनेक गंभीर परियोजनाओं को साकार करने में सक्रिय ।
विषय-सूची |
||
1 |
कबीर से परिचय |
1 |
2 |
वर्तमान संदर्भों में कबीर का दर्शन |
10 |
3 |
कबीर की चिंता एवं मूल आधार |
20 |
4 |
कबीर ने नया वेद रचा |
27 |
5 |
कबीर का संदेश |
33 |
6 |
प्रेम-दीवानी मीराबाई का जीवन |
41 |
7 |
आधुनिक संदर्भ में मीराबाई |
51 |
8 |
मीरां के प्रेम का स्वरूप |
62 |
9 |
मीरां का लोक लोक की मीरां |
70 |
10 |
मीरां वाणी : विद्रोही आयाम |
76 |
11 |
संत दादू जीवन चरित्र |
82 |
12 |
दादू की आध्यात्मिक चेतना का स्वरूप |
91 |
13 |
दादू पाती प्रेम की |
100 |
14 |
आध्यात्मिक विश्व-व्यवस्था और संत |
|
प्रवर कवि प्राणनाथ की वाणी |
112 |
|
15 |
रज्जब तैं गज्ज़ब कियो उर्फ दूल्हा संत |
125 |
16 |
महान परोपकारी एवं दयावान रज्जब |
129 |
17 |
'गुरु उर गोविन्द है' -रज्जब |
133 |
18 |
मलूकदास : जीवन परिचय एवं प्रमुख घटनाएं |
139 |
19 |
मलूकदास दार्शनिक मत एवं सिद्धांत |
152 |
20 |
मलूकदास का संदेश |
162 |
21 |
सहज मुक्त संत सहजोबाई |
176 |
पुस्तक के बारे में
प्रस्तुत पुस्तक 'सात भारतीय संत' एक महत्वपूर्ण कृति है जिस को लेखक ने बड़े मनोयोग, अथक परिश्रम से तैयार किया है । अध्यात्म से जुड़े पाठक वर्ग व शोधार्थियों के लिए एक एक महत्वपूर्ण कृति है, ऐसा हमारा मानना है ।
लेखक डॉ.बलदेव बंशी का जन्म 7 जून 1938 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में हुआ । उन्होंने एम.ए. हिंदी पी.एच.डी. तक शिक्षा प्राप्त की । अब तक उनके बारह कविता संग्रह, दस आलोचक पुस्तकों सहित पैंतालीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित । 'कहत कबीर कबीर', 'कबीर की चिंता', 'पूरा कबीर', 'दादू जीवन दर्शन', 'संत कवि दादू, 'संत मलूक ग्रंथावली', 'संत पुस्तक माला', का लेखक-संपादन किया ।
विभिन्न अकादमियों, साहित्यिक संस्थाओं, विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित । छह पुस्तकें केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा पुरस्कृत । 'कबीर शिखर सम्मान', 'मलूक रत्न पुरस्कार' प्राप्त । रचनाएं विश्व-विद्यालयी पाठ्यक्रमों में निर्धारित तथा अनेक भाषाओं में अनूदित ।
'विश्व रामायण सम्मेलन' तथा 'कबीर चेतना यात्रा' के दौरान मारीशस, हॉलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, नेपाल आदि देशों की यात्रा । 'अखिल भारतीय भाषा संरक्षण संगठन' के संस्थापक अध्यक्ष, विश्व कबीरपंथी महासभा के अध्यक्ष, 'अखिल भारतीय श्री दादू सेवक समाज' के महानिदेशक, 'दादू शिखर सम्मान समिति' के संयोजक व 'विचार कविता' के संस्थापक संपादक । इन दिनों अनेक गंभीर परियोजनाओं को साकार करने में सक्रिय ।
विषय-सूची |
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1 |
कबीर से परिचय |
1 |
2 |
वर्तमान संदर्भों में कबीर का दर्शन |
10 |
3 |
कबीर की चिंता एवं मूल आधार |
20 |
4 |
कबीर ने नया वेद रचा |
27 |
5 |
कबीर का संदेश |
33 |
6 |
प्रेम-दीवानी मीराबाई का जीवन |
41 |
7 |
आधुनिक संदर्भ में मीराबाई |
51 |
8 |
मीरां के प्रेम का स्वरूप |
62 |
9 |
मीरां का लोक लोक की मीरां |
70 |
10 |
मीरां वाणी : विद्रोही आयाम |
76 |
11 |
संत दादू जीवन चरित्र |
82 |
12 |
दादू की आध्यात्मिक चेतना का स्वरूप |
91 |
13 |
दादू पाती प्रेम की |
100 |
14 |
आध्यात्मिक विश्व-व्यवस्था और संत |
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प्रवर कवि प्राणनाथ की वाणी |
112 |
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15 |
रज्जब तैं गज्ज़ब कियो उर्फ दूल्हा संत |
125 |
16 |
महान परोपकारी एवं दयावान रज्जब |
129 |
17 |
'गुरु उर गोविन्द है' -रज्जब |
133 |
18 |
मलूकदास : जीवन परिचय एवं प्रमुख घटनाएं |
139 |
19 |
मलूकदास दार्शनिक मत एवं सिद्धांत |
152 |
20 |
मलूकदास का संदेश |
162 |
21 |
सहज मुक्त संत सहजोबाई |
176 |