पुस्तक परिचय
स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती (1856 1926) भारतीय नवजागरण के पुरोधाओं में से एक थे । वे गुरुकुल कांगडी के सस्थापक, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के निर्भीक योद्धा और एक सिद्धहस्त लेखक भी थे । उन्होंने हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी मे प्रभूत लेखन किया है । हिन्दी में उन्होंने विभिन्न विषयों पर दो दर्जन से भी अधिक पुस्तकों की रचना की । उनमें से अधिकतर धार्मिक विषयों पर है । आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य जाति सुधार था, इसलिए उन्होंने आचार अनाचार और छुआछूत जाति के दीनों को मत त्यागो तथा वर्तमान मुख्य समस्या अछूतपन के कलंक को दूर करो जैसी पुस्तकें लिखीं । साहित्यिक दृष्टि से उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकें हैं मातृभाषा का उद्धार उत्तराखंड की महिमा बंदीघर के विचित्र अनुभव (संस्मरण), आर्य पथिक लेखराम (जीवनी) और कल्याण मार्ग का पथिक (आत्मकथा)।
शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दी को माध्यम बनाकर स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने यह प्रमाणित कर दिया था कि अंग्रेजी की जडें हमारे देश की भूमि में नहीं हैं । उन्होंने न केवल स्वयं कल्याण मार्ग का पथिक जैसी बेबाक आत्मकथा लिखी. बल्कि गुरुकुल के स्नातको को हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में अपूर्व योगदान के लिए प्रेरित भी किया । पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उन्होंने सद्धर्म प्रचारक विजय अर्जुन् वीर अर्जुन जैसे अनेक दैनिक और साप्ताहिक पत्र निकालकर हिन्दी भाषा और साहित्य की अभूतपूर्व सेवा की और यह सब उन्होंने तब किया. जब हम दासता की बेड़ियों में जकड़े हुए थे और फासिस्ट शक्तियाँ हमारी सभ्यता और संस्कृति को निगल जाने को आतुर थीं ।
उर्दू एवं अंग्रेजी में स्वामी श्रद्धानंद की महत्त्वपूर्ण पुस्तकें निम्नांकित हैं वर्ण व्यवस्था दुखी दिल की पुरदर्द दास्तान्द हिन्दू मुस्लिम इत्तिहाद की कहानी अछूतोद्धार एक फौरी मसला मेरा आखिरी मश्वरा (उर्दू में) तथा द फ्यूचर ऑफ आर्य समाज ए फोरकास्टू द आर्य समाज एंड डिट्रेक्टर्स ए विडिकेश्न इनसाइड कांग्रेस (अंग्रेजी में) । उन्होंने उर्दू में सद्धर्म प्रचारक साप्ताहिक तथा अंग्रेजी में लिबरेटर जैसे पत्र भी निकाले ।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध हिन्दी के दो प्रतिष्ठित लेखकों विष्णु प्रभाकर और विष्णुदत्त राकेश ने मिलकर तैयार किया, जिसमें उन्होंने श्रद्धानंद सरस्वती के साहित्यिक अवदान का तटस्थ मूल्यांकन करते हुए उनकी रचनाओं से एक चयन भी प्रस्तुत किया है।
विषय सूची |
||
1 |
भूमिका |
7 |
2 |
गर्त से शिखर की ओर |
9 |
3 |
साहित्य साधना |
48 |
4 |
चयन |
66 |
5 |
स्वामी श्रद्धानन्द वाडमय सम्पूर्ण सूची |
101 |
पुस्तक परिचय
स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती (1856 1926) भारतीय नवजागरण के पुरोधाओं में से एक थे । वे गुरुकुल कांगडी के सस्थापक, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के निर्भीक योद्धा और एक सिद्धहस्त लेखक भी थे । उन्होंने हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी मे प्रभूत लेखन किया है । हिन्दी में उन्होंने विभिन्न विषयों पर दो दर्जन से भी अधिक पुस्तकों की रचना की । उनमें से अधिकतर धार्मिक विषयों पर है । आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य जाति सुधार था, इसलिए उन्होंने आचार अनाचार और छुआछूत जाति के दीनों को मत त्यागो तथा वर्तमान मुख्य समस्या अछूतपन के कलंक को दूर करो जैसी पुस्तकें लिखीं । साहित्यिक दृष्टि से उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकें हैं मातृभाषा का उद्धार उत्तराखंड की महिमा बंदीघर के विचित्र अनुभव (संस्मरण), आर्य पथिक लेखराम (जीवनी) और कल्याण मार्ग का पथिक (आत्मकथा)।
शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दी को माध्यम बनाकर स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने यह प्रमाणित कर दिया था कि अंग्रेजी की जडें हमारे देश की भूमि में नहीं हैं । उन्होंने न केवल स्वयं कल्याण मार्ग का पथिक जैसी बेबाक आत्मकथा लिखी. बल्कि गुरुकुल के स्नातको को हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में अपूर्व योगदान के लिए प्रेरित भी किया । पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उन्होंने सद्धर्म प्रचारक विजय अर्जुन् वीर अर्जुन जैसे अनेक दैनिक और साप्ताहिक पत्र निकालकर हिन्दी भाषा और साहित्य की अभूतपूर्व सेवा की और यह सब उन्होंने तब किया. जब हम दासता की बेड़ियों में जकड़े हुए थे और फासिस्ट शक्तियाँ हमारी सभ्यता और संस्कृति को निगल जाने को आतुर थीं ।
उर्दू एवं अंग्रेजी में स्वामी श्रद्धानंद की महत्त्वपूर्ण पुस्तकें निम्नांकित हैं वर्ण व्यवस्था दुखी दिल की पुरदर्द दास्तान्द हिन्दू मुस्लिम इत्तिहाद की कहानी अछूतोद्धार एक फौरी मसला मेरा आखिरी मश्वरा (उर्दू में) तथा द फ्यूचर ऑफ आर्य समाज ए फोरकास्टू द आर्य समाज एंड डिट्रेक्टर्स ए विडिकेश्न इनसाइड कांग्रेस (अंग्रेजी में) । उन्होंने उर्दू में सद्धर्म प्रचारक साप्ताहिक तथा अंग्रेजी में लिबरेटर जैसे पत्र भी निकाले ।
लेखक परिचय
प्रस्तुत विनिबंध हिन्दी के दो प्रतिष्ठित लेखकों विष्णु प्रभाकर और विष्णुदत्त राकेश ने मिलकर तैयार किया, जिसमें उन्होंने श्रद्धानंद सरस्वती के साहित्यिक अवदान का तटस्थ मूल्यांकन करते हुए उनकी रचनाओं से एक चयन भी प्रस्तुत किया है।
विषय सूची |
||
1 |
भूमिका |
7 |
2 |
गर्त से शिखर की ओर |
9 |
3 |
साहित्य साधना |
48 |
4 |
चयन |
66 |
5 |
स्वामी श्रद्धानन्द वाडमय सम्पूर्ण सूची |
101 |