पंडित विजयशंकर मिश्र का जन्म भारत के एक ऐसे प्रतिष्ठित संगीतज्ञ परिवार में हुआ है जिसमें संगीत की गंगा बिगत ३०० वर्षो से लगातार प्रवाहित होती आ रही है! इनके पूर्वज बनारस घराने के तबला सम्राट पं. रामशरणजी मिश्र (मस्तराम), प्रपितामह संगीत नायक पं. दरगाही मिश्र, पितामह खलीपा पं. बिक्कू महाराज एवं पिता तबला शिरोमणि, संगति सम्राट पं. गामा महाराज की संगीत सेवाओं से संगीत जगत पूरी तरह परिचित है! विद्याधरी देबी, सिध्देश्वरी देवी , जद्दन बाई, पं. भोलानाथ पाठक, पं. सांता प्रसाद उर्फ़ गुदई महाराज, मन्नू जी मृदंगाचार्य, लल्लन बाबू उर्फ़ शत्रुंजय प्रसाद सिंह एवं गिरिजा देवी जैसी अंकक महान विभूतियां इसी संगीत परंपरा की दें है! पं. मिश्र १९७७ से शिक्षण कर्म से जुड़े है! वर्तमान में मातृकला मंदिर, अरविन्द आश्रम, दिल्ली में वरिष्ठ गुरु पद पर कार्यरत पं. मिश्र अंके संस्थाओं, विश्विद्यालयों से एम. ए. एवं शोध स्टार के परीक्षत के रूप में जुड़े है! हिन्दी के लगभग सभी राष्ट्रीय पत्र, पत्रिकाओं, के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए विभिन्न विषयों पर ४००० से अधिरक रचनाओं का लेखन कर चुके है! संगीत और नृत्य के २०० से अधिक कलाकारों से व पात्र, पत्रिकाओं, आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए बातचीत कर चुके है!, उनकी अंक रचनायें विभिन्न भाषाओँ में अनूदित और प्रकाशित हो चुकी है! इन्होनें आकाशवाणी के लिए १३ अंकों का संगीत धारावाहिक 'तबले का जन्म और उसकी विकास यात्रा' का लेखन, निर्देशन एवं निर्माण किया है! देश के विभिन्न भागों में आयोजित अंके विचार गोष्ठियों के माध्यम से अपने सारगर्भित विचार प्रकट कर चुके बहुमुखी प्रतिभा के धनी पं. मिश्र की ख्याति कई रूपों में है
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