आयुर्वेद की प्रारम्भिक शिक्षा आपने बीकानेर, राजस्थान में मोहता आयुर्वेदिक रसायनशाला के प्रधान चिकित्सक वैद्य रमेशचन्द्र शर्मा जी भिषगाचार्य जी से प्राप्त की। आप 2018 से British Council for Complementary Therapies के स्वारस्य हैं। 2021 में स्थापित Amogh Wellness Hub के आप सह-संस्थापक हैं, जिसके अंतर्गत योग और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। आपकी पुस्तके 'आयुर्वेद संस्कृत सुधा' और 'पालजल योगसूत्र' पाठकों में लोकप्रिय हैं। आपने 15 से अधिक संगोष्ठियों में शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं और 7 शोध-पत्र प्रकाशित हुए हैं। वर्तमान में आप गौड़ ब्राह्मण आयुर्वेदिक महाविद्यालय, रोहतक के मौलिक सिद्धान्त विभाग में संस्कृत सहायक आचार्य के रूप में कार्यरत हैं।
डॉ. मन्नत मरवाहा समुदाय सेवा के प्रति समर्पित होते हुए विभिन्न राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, कार्यशालाओं एवं सी.एम.ई. कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। वर्तमान में डॉ. मरवाहा उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं|
स दाधार पृथिवीं चामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम ।। (ऋग्वेद 10.121 (1)
स्वास्थ्य ही जीवन का सबसे बड़ा धन है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में स्वास्थ्य और योग का विशेष महत्व चताया गया है। आयुर्वेद और योग केवल चिकित्सा पद्धतियाँ नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवनशैली को संतुलित रखने के साधन हैं। जैसा कि चरक संहिता में कहा गया है-
धर्मार्थकाममोक्षाणामारोग्यं मूलमुत्तमम् ।
(आरोग्य ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का मूल आधार है।)
स्वस्थवृत्त (स्वस्थ जीवनशैली) और योग का पालन कर हम न केवल रोगों से बच सकते हैं, बल्कि दीर्घायु, प्रसन्नता और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।
आयुर्वेद और योग दोनों विषय एक दूसरे के पूरक है इनकी परम्परा प्रथमो देख्यो भिषक् आदिदेव रुद से प्रारम्भ होती हुई अश्विनी कुम्ग्रों, हिरण्यगर्भ से के माध्यम से पतञ्जलि, चरक, सुश्रुत, वाग्भर आदि आचायों से होती हुई आज सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त है।
NCISM के नवीन पाभ्यक्रमानुसार इस पुस्तक का निर्माण किया गया है। प्रस्तुत ग्रन्थ में हमनें नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार सभी विषयों का समावेश किया है, तथा इन विषयों को सरल, सहज एवं रुचिपूर्ण बनाने के लिये सरल भाषा और यथासंभव उदाहरण, चार्ट तथा टेबल इत्यादियों का प्रयोग भी किया है। प्रत्येक अध्याय के आरम्भ में उस अध्याय को किस प्रकार नियोजित करें इसके लिए तालिका प्रस्तुत को गई है और अध्याय के अों का भी निर्धारण किया गया है।
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