Look Inside

रक्तचाप की चिकित्सा: Treatement of Blood Pressure

FREE Delivery
Express Shipping
$17.40
$29
(40% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZA869
Author: अरविंद सोढ़ानी (Arvind Sodhani)
Publisher: Popular Book Depot
Language: Hindi
Edition: 2014
ISBN: 9788186098080
Pages: 200
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 270 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
<meta content="Microsoft Word 12 (filtered)" name="Generator" /> <style type="text/css"> <!--{cke_protected}{C}<!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraph, li.MsoListParagraph, div.MsoListParagraph {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpFirst, li.MsoListParagraphCxSpFirst, div.MsoListParagraphCxSpFirst {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpMiddle, li.MsoListParagraphCxSpMiddle, div.MsoListParagraphCxSpMiddle {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpLast, li.MsoListParagraphCxSpLast, div.MsoListParagraphCxSpLast {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} .MsoPapDefault {margin-bottom:10.0pt; line-height:115%;} @page WordSection1 {size:8.5in 11.0in; margin:1.0in 1.0in 1.0in 1.0in;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} -->--></style>

लेखकीय के विषय में

मेरे पास एक शादीशुदा नवयुवती भर्ती थी। नाम था उसका-साधना शर्मा। उम्र 35 वर्ष। विगत 25 साल से रक्ताल्पता की शिकार थी। सभी प्रकार की जाँच की गई। अलग-अलग पद्धतियों से उपचार किया गया। 'मरता क्या करता' के सिद्धांत के आधार पर हमारे पास भर्ती हुई। हीमोग्लोबिन था कि 6 ग्राम प्रतिशत से बढ़ने को राजी ही नहीं था। सामान्यत: हीमोग्लोबिन 11. 6 ग्राम प्रतिशत होना चाहिए। श्रीमती साधना शर्मा का हीमोग्लोबिन सामान्य से आधा था।

ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि रोगी की क्या स्थिति रही होगी? हमेशा थकान से चूर बिस्तर पर पड़ी रहती थी थोड़ी-सी मेहनत करने पर हाँफनी शुरू हो जाती थी। जठरात्रि मंद हो गई थी। भूख मारी गई थी। हमेशा किसी--किसी इन्फेक्शन से पीड़ित रहती थी। मानसिक शक्ति कमजोर हो गई भी। याददाश्त कमजोर हो गई थी। जीवन में अत्यधिक निराशा, हताशा, कुण्ठा एवं अवसाद ने घर जमा लिया था एक-दो बार आत्महत्या के लिए भी प्रवृत्त हुईं किन्तु परिजनों द्वारा बचा ली गई।

मेरे पास वह पन्द्रह दिन भर्ती रहीं। पन्द्रह दिन में चमत्कार हो गया। जो काम बड़े-बड़े डॉक्टर नहीं कर सके, वह प्राकृतिक चिकित्सा ने कर दिखाया। हीमोग्लोबिन 7.5 ग्राम प्रतिशत तक पहुँच गया उसे विश्वास नहीं हो रहा था। तीन प्रयोगशालाओं में जाँच की गई। प्रत्येक प्रयोगशाला में 7.5 ग्राम प्रतिशत+तक की रिपोर्ट दी अब उसके हताश एवं निराश जीवन में आशा का संचार हुआ। कुंठा आस्था एवं विश्वास में बदलने लगी। वह विध्वंसक एवं नकारात्मक विचारों की भण्डार थी बुरी भावनाओं एवं चिन्ताओं की आगार थी। प्रतिदिन की काउंसिलिंग के बाद उसके अंदर सकारात्मक, रचनात्मक एवं सृजनात्मक विचारों को प्रत्यारोपित किया गया।

घर के लिए यथोचित उपचार बता दिया गया फॉलोअप बराबर चलता रहा। : माह के अंदर हीमोग्लोबिन क्रमश: 9,10 तथा 11 ग्राम तक बढ़ गया यह चमत्कार था और ऐसा चमत्कार कई लोगों के साथ हुआ है लेखक के पूज्य पिता श्री गुंजेश्वर गाँव में रहते हैं उन्हें अचानक रक्ताल्पता की शिकायत हुई,साथ ही रक्ताल्पता के उग्र लक्षण परिलक्षित हुए। उपचार चला, खून भी चढ़ाया गया किन्तु खास लाभ नहीं हुआ पन्द्रह दिन मेरे पास रहे प्राकृतिक उपचार लिया, हीमोग्लोबिन 7 से बढ़कर 10 ग्राम प्रतिशत तक बढ़ गया। हजारों रक्ताल्पता के रोगियों का उपचार करने का मंगल अवसर प्राप्त हुआ है प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा रक्ताल्पता के सफल उपचार ने इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा दी है।

संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की एक रिपोर्ट के अनुसार हिन्दुस्तान की 88 प्रतिशत गर्भवती महिलाएँ रक्ताल्पता की शिकार हैं। यानि विश्व में रक्ताल्पता के सर्वाधिक रोगी हिन्दुस्तान में हैं यह चौकाने वाली रिपोर्ट है जिसकी तरफ केन्द्र एवं राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्रियों का ध्यान आकृष्ट होना चाहिए। हिन्दुस्तान से भी अधिक गरीब मुल्कों में रक्ताल्पता के रोगियों की संख्या इतनी अधिक नहीं है, जितनी हिन्दुस्तान की है आकड़ों के अनुसार नेपाल में 75 प्रतिशत, श्री लंका में 62 प्रतिशत, पाकिस्तान में 57 प्रतिशत तथा बांग्लादेश में 51 प्रतिशत गर्भवती महिलाएँ रक्ताल्पता की शिकार हैं

रक्ताल्पता की दृष्टि से सर्वाधिक गरीब मुल्क उप-सहारा अफ्रीका भी भारत से बेहतर है सम्पूर्ण संसार के 45 प्रतिशत शिशु तथा बालक तथा 55 प्रतिशत गर्भवती महिलाएँ रक्ताल्पता की शिकार हैं रक्ताल्पता के इन रोगियों को सिर्फ खान-पान में समझपूर्ण परिवर्तन करके ही स्वस्थ किया जा सकता है।

77 प्रतिशत रक्ताल्पता के रोगी लौह तत्त्व की कमी तथा 20 प्रतिशत रोगी फॉलिक एसिड के अभावजन्य तथा 3 प्रतिशत जेनेटिक तथा अन्य दु:साध्य किस्म के होते हैं भोजन में मुख्य रूप से लौह तत्त्व, विटामिन बी- 12 तथा फॉलिक एसिड की आपूर्ति कर दी जाये तो रक्ताल्पता के अधिकांश रोगी स्वस्थ हो सकते हैं आहार-परिवर्तन के साथ प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा पाचन तंत्र के अवशोषण तथा सात्म्यीकरण की प्रक्रिया में सुधार करना भी आवश्यक है ताकि आवश्यक पोषक तत्व अवचूषित होकर रक्त-निर्माण में भली-भाति भाग ले सकें। रक्ताल्पता के रोगियों को अपने आहार एवं जीवन शैली में कुछ सावधानी रखनी भी आवश्यक है।

खाने के बाद भूलकर भी चाय, कॉफी तथा ऐसे आहार का प्रयोग कदापि करें जिसमें टैनिन तथा कैफिन होता है टैनिन तथा कैफिन लोहे को सोखने में बाधा डालते हैं। भोजन के बाद कुछ पीना ही चाहते हैं तो आधा घंटे के बाद गुनगुने पानी में नीबू निचोड़ कर पीएँ ताकि लोहे के अवशोषण, सात्म्यीकरण तथा रक्त-निर्माण की प्रक्रिया बड़े। सूखे मेवे तथा अनाजों को भिगोकर तथा अंकुरित करके खाने से इनमें उपस्थित फायटेट तथा फॉस्फेट जो लोहे को सोखने नहीं देते हैं, कम हो जाते हैं साथ ही भीगे सूखे मेवों तथा अंकुरित अनाजों में विटामिन-'सी', 'बी' तथा कुछ एन्जाइम की मात्रा बढ़ जाने से रक्त-निर्माण की प्रक्रिया भी तेज हो जाती है।

रक्त-निर्माण में गेहूँ तथा जी के पत्तों का रस जिसे 'ग्रीन ब्लड' भी कहा जाता है, महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यही कारण है कि गेहूँ तथा जी के पत्ते का रस रक्त कैंसर थैलेसीमिया तथा अन्य कैंसर में चमत्कारिक प्रभाव डालता है भोजन के दौरान तथा बाद में सलाद के रूप में लेट्स, पत्ता गोभी, पालक, अंकुरित अन्न तथा भोजन के दो घंटे बाद सेब, केला, अमरूद, मह, अनार, आँवला, खूर्बानी आदि फल खाने से रक्त-निर्माण तेजी से होता है जो भी आहार लिया जाए उसके साथ विटामिन- 'सी' वाले आहार अवश्य लिए जाएँ। सविस्तार जानकारी प्रस्तुत पुस्तक में है।

सामान्यत: चावल खाने वाले लोगों में मात्र पाँच प्रतिशत; गेहूँ ज्वार, मक्का, बाजरा आदि रोटी खाने वाले लोगों में दो प्रतिशत तथा चावल, रोटी मिश्रित आहार लेने वालों में तीन प्रतिशत ही लोहा अवशोषित हो पाता है परन्तु इन आहारों के साथ विटामिन - 'सी' की मात्रा बढ़ा देने से लोहा अवचूषण तथा रक्त-निर्माण की प्रक्रिया बढ़ जाती है।

पसीना, पेशाब तथा पाखाना द्वारा प्रतिदिन पुरुष औसतन 1 मि.ग्रा. तथा महिलाएँ 1.6 मिलीग्राम लोहे की हानि करती हैं। माहवारी के दौरान महिलाएँ सर्वाधिक (4 मिग्रा. प्रतिदिन) लोहे की हानि करती हैं। प्रतिदिन 20 से 30 मि.ग्रा. लोहे की आपूर्ति होने से रक्ताल्पता से लोहा लेने में शरीर समर्थ हो जाता है। आयोडीनयुक्त नमक से ज्यादा लौहयुक्त नमक आवश्यक होना चाहिए। परन्तु शरीर में अत्यधिक लोहा जाने से भी लीवर क्षतिग्रस्त हो जाता है। माँसपेशियों, ऊतकों तथा रक्तप्लाज़्मा में लोहा अधिक मात्रा में जमा होकर सिडरोसिस पैदा करता है। इस रोग में फेफड़े क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। लोहा तथा अन्य पोषक तत्व शरीर में भली-भांति अवशोषित एवं सात्म्यीकृत हों इसके लिए प्राकृतिक योग चिकित्सक द्वारा शरीर का संशोधन एवं संतर्पण होना अति आवश्यक है।

मेरे अजीज पाठक, यह पुस्तक आपको कैसी लगी, हमें अवश्य लिखें हम आपके आभारी रहेंगे।

 

अनुक्रमणिका

1

रक्ताल्पता -खून की संरचना एवं

1-16

2

महत्ता रक्ताल्पता के भेद

17-57

3

रक्ताल्पता की प्राकृतिक चिकित्सा

58-75

4

रक्ताल्पता तथा विधायक विचार

76-78

5

रक्ताल्पता में आहार ही औषधि है

79-85

6

रक्ताल्पता तथा एण्टीऑक्सीडेन्ट

86-91

 

और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएन्ट्स ।

 

7

रक्ताल्पता तथा योग

92-102

8

रक्ताल्पता के उपचार में आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति

104-110

 

एवं रचनात्मक विचारों का चमत्कार

 

9

रक्ताल्पता से मुक्त प्राकृतिक प्रसव पीडा का

111-114

 

सुख- वात्सल्य प्रेम एवं शिशु का स्वास्थ्य

 

10

रक्ताल्पता के रोगियों की जीवन शैली

115-117

**Contents and Sample Pages**














Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories