Book- 2: वाचिक परम्परा व साहित्य: Oral Tradition and Literature (Tribal Voice- 2)
Book- 3: संस्कार व प्रथाएँ: Rituals and Customs (Tribal Voice- 3)
Book- 4: सामाजिक-आर्थिक जीवन: Socio-Economic Life (Tribal Voice- 4)
Book- 2: 9789386799289Book- 3: 9789386799296
Book- 4: 9789386799302
'विश्व का यह पहला सशस्त्र आन्दोलन था, जिसमें उनकी महिलाओं ने भी बराबरी की भागीदारी निभायी थी। संताल विद्रोह की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने संताल समाज द्वारा घोपित अपराधी को छोड़ अन्य किसी को हाथ तक नहीं लगाया एवं स्त्री जाति से किसी प्रकार का अभद्र व्यवहार करना तो दूर उनके ऊपर नज़र उठाकर देखा तक नहीं।
संताल विद्रोह की दूसरी बड़ी विशेषता यह थी कि हरेक समाज के लोग इसमें शामिल थे-जैसे लोहार, चमार, तेली, डोम, ग्वाला, जुलाहा, मोमिन, मुसलमान इत्यादि । पूरे पाँच-छह महीने के संघर्ष में क्रान्तिकारी हज़ारों की संख्या में मारे जा चुके थे। कुछ रुपये के लालच में मुनिया माँझी ने सिद्धो को एवं सरदार घाटवाल ने कान्हू को भी गिरफ्तार किया। दोनों को फाँसी दे दी गयी।
सिद्धो-कान्हू, चाँद और भैरव भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के जनक थे। उनके बलिदानों से ही दामिन-ए-कोह को नया नाम संताल परगना मिला। इस नये ज़िले में अन्य दूसरे लोगों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया तथा ज़मीन की खरीद-बिक्री, लीज एवं बन्धक रखना भी बन्द किया गया, जिसे संताल परगना टेनेंसी एक्ट भी कहा जाता है।
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