| Specifications |
| Publisher: Prabhat Prakashan, Delhi | |
| Author Brigadier C. B. Khanduri | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 423 (With B/W Illustrations) | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9.5x6.5 inch | |
| Weight 750 gm | |
| Edition: 2023 | |
| ISBN: 9789390372638 | |
| HBA494 |
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30 मार्च, 1906 को घुमावदार पहाड़ी इलाके मदिकेरी, कोडागु (कर्नाटक) में कॉफी बोनेवाले एक समृद्ध दंपती के दूसरे बेटे का जन्म हुआ। उन्होंने उसका नाम कोडेंडरा सुब्बय्या थिमैया रखा जिसे बाद में दुनिया के नामचीन और विनम्र लोगों द्वारा 'भारत का टिम्मी' कहा जाने लगा-उन सभी के द्वारा, जिन्हें व्यक्तिगत रूप से उन्हें जानने, उनसे मिलने, यहाँ तक कि भारत के इस महान् सपूत की एक झलक भर देखने का मौका मिला।
थिमैया बाद में एक युगांतकारी हस्ती, मानवता के नेता, इतिहास के शिल्पकार और दुनिया भर में मानव भाग्य के प्रसारकों में से एक बन गए। अपने 60 साल से कम के जीवन काल में उन्होंने अपने देश और दुनिया को गौरवान्वित किया।
अपने पूरे जीवन में वे युद्ध में अव्वल, शांति में अव्वल, लोगों के दिलों में अव्वल और उन अव्वल लोगों में से एक थे, जिनके जीवन के बारे में उनके सेवा-काल में ही लिखा गया था। शायद नेपोलियन बोनापार्ट को छोड़कर किसी भी सेनापति को सेवा करते हुए ही अपनी जीवनी लिखे जाने का महान् सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है; क्योंकि चंद लोगों ने ही अपने जीवन के इर्द-गिर्द इतिहास बुना था; और यह अकसर कहा जाता है कि अगर वे कहीं और पैदा हुए होते, तो उन्हें आसानी से जनरल रॉबर्ट ई. ली और इरविन रोमेल के समान स्थान मिल सकता था।
थिमैया का सैन्य कॅरियर निश्चित रूप से और शायद संयोग से जनरल डगलस मैकआर्थर (1880-1964) जैसा दिखता है। दोनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दृश्यों पर उभरकर छा जाने से पहले से ही उत्कृष्ट सैन्य नेता बन चुके थे और ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों अपने राजनेताओं से पीड़ित थे, जिनका ऐसा व्यवहार उनकी अज्ञानता के साथ-साथ व्यक्तिगत ईर्ष्या के कारण सामने आया था।
मैं जनरल थिमैया से एक जूनियर अधिकारी के रूप में मिला था, जब वे सेनाध्यक्ष (सी.ओ.ए.एस.) थे और मैं एक अधीनस्थ था। हमारे बीच 'आकाश और धरती' जैसा व्यंजनापूर्ण अंतर था, लेकिन उनकी मानवता और विनम्रता इतनी महान् थी कि वे किसी का हाथ थामने या किसी से बात करने के लिए झुक जाते थे। इससे पहले, आई.एम.ए. (भारतीय सैन्य अकादमी) में अपने कमीशन पर मुझे उनके द्वारा एक बीज की तरह लगाए जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। फिर मैंने अपने भाई से, जो थिमैया की रेजिमेंट के एक अधिकारी थे, उनके पराक्रम और साहस की कई कहानियाँ सुनीं।
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