दशा परिवर्तन
काल: कालयताम् अहम्
समय कब करवट बदल ले,कहा नहीं जा सकता। समय के प्रवाह के साथा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आते हैं चाहे कोई उन पर ध्यान दे या न दे। कुछ बलदाव तुरन्त समझ में आ जाते हैं और इतनी गहराई से उनका बोध होता है कि आजीवन स्मरण रहता है जबकि कुछ ऐसे गहरे मनौवज्ञानिक परिवर्तन होते हैं जो किसी व्यक्ति के जीवन में क्रान्ति ला देते हैं। यह परिवर्तन कैसे, क्यों और कब होने हैं, इसे हम कुंडली में वर्तमान महादशा/ अंतर्दशा के सन्दर्भ में ग्रहों की स्थिति-दृष्टि-युति तथा योगों के माध्यम से बता सकते हैं।
सामान्य: महादशा परिवर्तन एक मील का पत्थर है जिसे दशा-छिद्र कहते हैं। कुछ ज्योतिषी दशा-छिद्र को नकारात्मक और भयावह परिवर्तन के रूप में चित्रित करते हैं। वस्तुत: यह परिवर्तन जीवन में आने वाला एक बदलाव मात्र है।
इस पृष्ठभूमि में दशा-परिवर्तनके इस अध्ययन का उद्देश्य सूक्ष्म ज्योतिषीय विश्लेषण और सटीक भविष्य कथन में हमारी सहायता करती है।
आभार
ज्योतिष विशारद गुरु श्री के.एन. राव के मार्गदर्शन में हुए इन सामूहिक शोध पर कार्य करते हुये मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। श्री राव के निर्देशन में हुआ यह शोध उन लोगों के मार्गदर्शन में बेहद सहायक सिद्ध होगा जो अनायास ही जीवन में आये परिवर्तनों से स्वयं को कभी आहत तो कभी आह्लादित महसूस करते हैं। वे लोग यह भी नहीं समझ पाते कि ऐसी कौन-सी शक्ति या काल का चक्र है जौ उनके जीवन में आये इस आमूलचूल परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है । मैं अपने गुरु श्री के.एन. राव का आभार प्रकट करती हूं जिन्होंने जीवन के आकस्मिक सुखद एवं दु:खद परिवर्तनों के इस मुख्य ज्योतिषीय आधार की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कर जाने कितने ही ज्योतिष प्रेमियों को दशा-छिद्र से उत्पन्न हुई परिस्थितियों से सम्बन्धित जटिल प्रश्नों का उत्तर समझने के योग्य बनाया है ।
शोध में तर्कपूर्ण विश्लेषण तथा भविष्यवाणियों को प्रामाणिकता के साथ जांचने पर यह पाया गया है कि दशा छिद्र वास्तव में मनुष्य के जीवन की दिशा का परिवर्तन है। इस परिवर्तन की दिशा सुखद होगी या दु:खद, इसे ही कनिष्ठ शोध कक्षा के विद्यार्थियों ने इस पुस्तक के द्वारा । आप सब तक पहुंचाने का प्रयास किया है । इस शोध में योगदान देने वाल सभी छात्र-छात्राओं का भी मैं आभार व्यक्त करती हूं जिनके अथक प्रयाससे यह कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सका ।
श्री राव ने सभी शोधों के अनुवाद का कार्य सौंप कर मुझे दशा छिद्र की बारीकियों को समझने का सुअवसर प्रदान किया जिसके लिये मैं उनकी आजीवन आभारी रहूंगी। इस शोध ने मुझे अपने दिवंगत पिताजी के निकट कर दिया है जो स्वयं भी एक उच्च कोटि केज्योतिषी थे । माता-पिता के आशीर्वाद के फलस्वरुप ही मुझे श्रद्धेय गुरु श्री के.एन. राव का सान्निध्य तथा मार्गदर्शन प्राप्त हुआ और मैं अपने पिता की आकस्मिक मृत्यु के रहस्य को (जो दशा छिद्र के दौरान ही हुई थी) समझने में सफल रही ।
मैं अपने समस्त शिक्षकगणों की भी अत्यन्त आभारी हूं जिन्होंने मुझ जैसे विद्यार्थियों की हर ज्योतिषीय जिज्ञासा के सटीक उत्तर दिये और हमेंइस योग्य बनाया कि हम ज्योतिष के तथ्यों को मुहूर्त, पौराणिक कथाओं भूगोलीय परिप्रेक्ष्य, कर्म प्रारब्ध तथा शास्त्रों के माध्यम से समझ सकें और हर परिस्थिति को ईश्वर का आशीर्वाद मानकर अपनाएं ।
चूंकि यह मेरा प्रथम प्रयास है अत : भारतीय विद्या भवन के सभी विद्वान शिक्षकगण तथा ज्योतिष-प्रेमियों से विनम्र निवेदन है कि वे इसमें रह गई त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाकर भविष्य में उसे दूर करने का निर्देश देंगे ताकि आगे चलकर हम और अधिक ज्योतिषीय प्रमाणों तथा मापदण्डों के साथ बेहतर शोध कर सकें । अन्त में हम ' दि सोसाइटी फॉर वैदिक रिसर्च एण्ड प्रैक्टिसेस ' के भी अत्यन्त आभारी हैं जिन्होंने ज्योतिषीय शोधों को प्रमुखता देते हुए सभी ज्योतिष-प्रेमियों का न केवल सम्मान किया है अपितु आर्थिक सहायताप्रदान कर इस ज्ञान की सरिता को उन तक सफलतापूर्वक पहुंचाने में हमारी मदद भी की है ।
अनुक्रम
4
दशा छिद्र
7
शोधकर्ता
ए. विजय श्रीनिवास
47
अभिमन्यू
50
अजय चौधरी
62
अजीत कुमार झा
64
अनिता कौशिक
66
अनिता सरीन
68
अनुराधा मित्तल
70
अर्चना रॉय
73
अर्चना गुप्ता
76
आशा सूद
80
दलीप कुमार
83
देवेश कुमार
86
हेमलता
89
जतिन प्रकाश शर्मा
94
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