हजूर सलम ने भी अपने जमाने में खुदा की तरफ से यह आवाज लगाई थी कि क्या कोई है कुरान की नसीहत हासिल करने वाला और आज भी यही आवाज तमाम कौम इन्सान को लगाई जा रही है। और अल्लाह ताला ने हिदायत की है कि फरमाबरदारी करो अल्लाह की और उसके रसूल की, और जो लोग इस हिदायत पर अमल नहीं करते उनको काफिर फरमाया है। मगर लोग इसका गलत मतलब लगाकर खाली ज़बानी जमा खर्च करते हैं। और बराए नाम लोगों को दिखाने के लिए जबान से कहते हैं कि वे हजूर सलम पर ईमान रखते हैं मगर वे हजूर सलम के फरमान पर अमल नहीं करते, उसे झुठलाते हैं। हजूर सलम की फरमाबरदारी यह है कि क्रान मजीद की हिदायतों पर अमल करना और झूठी बातों से दूर रहना और हरेक बुरे काम से बचना है और कुरान मजीद की हिदायत के मुताबिक दीन इस्लाम को कबूल करना है। इस किताब दीन इस्लाम की लिखने की जरूरत इसलिए महसूस हुई कि आज कल काफी दिनों से यह सिलसिला चल रहा है कि हिन्दुओं को इतनी तादाद ने अपना धर्म परिवर्तन करके दीन इस्लाम को कबूल करके मुसलमान हो गए। और कभी ऐसा भी अखबारों में पढ़ने को मिलता है कि इतने मुसलमान भाईयों ने हिन्दू धर्म कबूल करके मुसलमान से हिन्दू हो गए। मोरखा २७-८-८१ के अखबार "नवभारत टाईम्स" में यह भी पढ़ने को मिला कि एक हिन्दु एक हफ्ता पहले अपना धर्म तब्दील करके मुसलमान हो गया था वह अब फिर हिन्दू हो गया और उसने मुसलमान धर्म छोड़ दिया। अखबार में ये हालात पढ़कर जरूरत महसूस हुई कि जिन लोगों ने दीन या धर्म को एक खिलौना समझ रखा है उनको उनकी किताब इलाही से हवालाजात देकर यह समझाया जाय कि दीन या धर्म कोई खिलौना नहीं है कि जब चाहे ले लिया और जब चाहा छोड़ दिया। आज तमाम कौम इन्सान में से बहुत से रहबरान दीन या धर्म के जो ठेकेदार बने हुए हैं उन्होंने दीन या धर्म की आड़ लेकर भोले भाले लोगों को गुमराह करके उनको आपस में लड़ाते हैं और उनको आपस में खून की होली खेलने पर आमादा करते हैं। उसमें बहुत से भाई अपनी जान से जाते हैं और बहुत सी औरतें बेवा हो जाती हैं और बहुत से बच्चे यतीम हो जाते हैं बल्कि यहाँ तक कि मुल्क बरबाद हो जाते हैं और तबाही वो बरबादी होती है। और वैसे भी इस दीन या धर्म के पीछे बड़ी-बड़ी जंग हुई है। लाखों इन्सान हलाक और मुल्क के मुल्क बरबाद हो गए और अब भी आए दिन दीन या धर्म का नारा लगाकर जगह जगह फिसादात होते ही रहते हैं और इस तरह भाई भाई के साथ खून की होली खेल रहा है। ईरान और ईराक की आपस की जंग काफी अरसे तक रही और लाखों आदमी इस जंग में हलाक हुए क्या यही दीन-इस्लाम है और लैबनान और बैरुत का हाल देखो और अभी कुछ अरसा हुआ कि हज के मौके पर मक्का में ईरान के कितने लोग मारे गए। और भी हरेक कौमों में आपस की लड़ाई इस दीन या धर्म के पीछे होती है। यहाँ हिन्दुस्तान में ही देखो जब ताजिए निकलते हैं, तो मुसलमान ही मुसलमानों से आपस में लड़ते हैं, मारपीट करते हैं। अभी कुछ अरसा हुआ कि जामा मस्जिद देहली पर ईमामत के पीछे मुसलमान ही मुसलमानों में आपस में खूब लड़ाई मारपीट हुई क्या यही दीन या धर्म है। अफगानिस्तान में कितने दिन से लड़ाई या झगड़ा चल रहा है हजारों आदमी अपनी जान खो चुके हैं। पाकिस्तान में ज़मात अहमदी के मुसलमानों को मुसलमानों ने ही मारा लूटा उनको बरबाद कर दिया। और भी कभी-कभी मुसलमान ही मुसलमानों में लड़ाई होती रहती है। और सैकड़ों लोग जान से मारे जाते हैं। घर जला दिए जाते हैं। बंगला देश में देखो कितने लोग मारे जा चुके हैं। मुसलमान ही मुसलमानों को कत्ल करते हैं क्या मुजीबुर रहमान मुसलमान नहीं थे। उनके सारे कुनबे के दो सौ आदमियों को मुसलमानों ने ही मारा। और इसराइल फिलिस्तीन का हाल देखो। ये सब कछ दीन या धर्म अलग अलग समझने से ही तो हो रहा है। अगर दीन को सही समझ लेवें तो ये सब अगड़ा खत्म हो जाये। और पंजाब का हाल देखो कितने लोग जान से मारे जा चुके हैं। और इस बारे में तो कहाँ तक लिखा जाए सब भाई खूब अच्छी तरह जानते हैं।
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