प्रस्तुत पुस्तक छात्रों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लिखी गई है। कतिपय विश्वविद्यालयों में किरातार्जुनीयम् का चतुर्थ सर्ग पाठ्यक्रम में निर्धारित हुआा है। इसका कोई छात्रोपयोगी संस्करण उपलब्ध नहीं है, अतः यह पुस्तक उसी प्रभाव की पूर्ति के लिए एक प्रयास है। प्रयत्न किया गया है कि छात्रो पयोगी समस्त आवश्यक विवरण, व्याख्या आदि इसमें दी जाये। इसी दृष्टि से श्लोकों के अन्वय के बाद प्रत्येक शब्द का अर्थ दिया गया है। हिन्दी अनुवाद के साथ ही संस्कृत-व्याख्या भी दी गई है। मल्लिनाथकृत घण्टापथ नामक संस्कृत टीका अपनी उपयोगिता के लिए विद्वज्जनों में अत्यन्त विख्यात है, अतः उसका मी आवश्यक ग्रंश इस संस्करण में दिया गया है। टिप्पणी में व्याकरण, छन्द, अलंकार, समास-विवरण, कठिन शब्दार्थ एवं अन्य उपयोगी विवरण संगृहीत है।
इस ग्रन्थ की भूमिका में भारवि पर आवश्यक प्रकाश डाला गया है। का स्वरूप और उसकी विशिष्टता, एवं किरातार्जुनीय से सम्बद्ध सभी विषयों इसमें विशेष उल्लेखनीय विषय हैं- काव्य महाकाव्य की परम्परा, किरातार्जुनीय का महाकाव्यत्व, भारवि का जीवनवृत्त, कृतित्व और समय, किरातार्जुनीय की मूल कथा और उसमें परिवर्तन, भारवि की प्रतिमा, भारवि का शास्त्रीय पाण्डित्य, भारवि की भाषा शैली, भारवेरर्थंगौरवम् इत्यादि ।
प्रस्तुत पुस्तक छात्रो का कुछ भी हित संपादन कर सकेगी, तो लेखक अपना परिश्रम सफल समझेंगे ।
Hindu (हिंदू धर्म) (13488)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (716)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2082)
Chaukhamba | चौखंबा (3184)
Jyotish (ज्योतिष) (1541)
Yoga (योग) (1155)
Ramayana (रामायण) (1337)
Gita Press (गीता प्रेस) (724)
Sahitya (साहित्य) (24632)
History (इतिहास) (8962)
Philosophy (दर्शन) (3604)
Santvani (सन्त वाणी) (2620)
Vedanta (वेदांत) (115)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Visual Search
Manage Wishlist