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लाल किताब: मूल व्याकरण, कुंडली भावों का महत्व एवं व्याख्या: Lal Kitab: Basic Grammar, Importance and Interpretation of Horoscope Houses

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Includes any tariffs and taxes
Specifications
Publisher: Arun Publishing House, Chandigarh
Author Jyotishacharya Subhash Sharma
Language: Hindi
Pages: 224 (With B/W Illustrations)
Cover: PAPERBACK
9x6 inch
Weight 340 gm
Edition: 2025
ISBN: 9788180483080
HBU560
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Book Description

प्रस्तावना

लाल किताब के ऊपर बहुत सारी किताबें छप चुकी है। मूल रूप में लाल किताब उर्दू भाषा में लिखी गई थी, जो समझने में थोड़ी सी मुश्किल थी। बहुत सारे लेखकों ने इसको हिंदी और अन्य भाषाओं में लिखा जो काफी सराहनीय है।

इस पुस्तक को लिखने का मेरा मंतव्य यही है, कि मैं इसको और भी सरल भाषा में लिखकर जन-जन तक पहुंचा सकूं ताकि हर साधारण से साधारण व्यक्ति भी इसके सरल और सटीक उपायों का लाभ उठा सकें।

इस किताब की सहायता से आप ज्योतिष के ज्ञान को सरल और साधारण तरीके से समझ पाएंगे। ज्योतिष ज्ञान की तरफ मेरा रुझान शुरू से ही रहा है। लाल किताब की सरलता ने मुझे बहुत आकर्षित किया। जब मैंने लाल किताब के उपायों को अपने जीवन में उतारा, तो इनको सटीक पाया। लाल किताब के सरल ज्ञान ने मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया।

मूल रूप से ज्योतिष व लाल किताब का ज्ञान मुझे अपने पूज्य दादा और पिता जी से आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त हुआ, जो कि ज्योतिष ज्ञान में मेरे सबसे प्रथम रूप से गुरु हैं। इनके बाद इस दिव्य विद्या में पारंगत होने के लिए और गुरुजनों का भी आशीर्वाद पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, इसी कारण मैं अपनी अर्जित की हुई विद्या से ज्योतिष के गूढ़ रहस्यों को समझने में सरलता प्राप्त सका। फिर निरंतर अध्ययन से इस दैवीय विद्या में और निखार व बल प्राप्त किया, जिसके फलस्वरूप चंडीगढ़ में रहकर इस विद्या का जनमानस के कल्याण हेतु उपयोग के साथ-साथ ज्योतिष शोधकार्य भी कर रहा हूँ।

मेरी पढ़ाई का विषय भी ज्योतिष ही रहा है। मैंने ज्योतिष ज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। मैं अपने गुरुओं का बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मुझे इस ज्ञान में पारंगत किया। किंतु यह ऐसा ज्ञान है कि व्यक्ति जीवन भर ही एक विद्यार्थी बना रहता है, इसी में इसकी खूबसूरती है। कुंडली अनुसार जनमानस की परेशानियों को सरल तरीके से दूर किया जा सकता है।

ज्योतिष की सहायता से हम अपने भाग्य को बदल तो नहीं सकते, लेकिन हम अपने भाग्य का पीछा कर सकते हैं। अपने भाग्य को समझ सकते हैं और उसी के हिसाब से कर्म कर सकते हैं।

अब प्रश्न उठता है कि मनुष्य के जीवन में किसका अधिक महत्व है? भाग्य अथवा कर्म।

भारतीय संत समाज ने भाग्य और कर्म के बारे में समय-समय पर विस्तार से बताया है। सगुण भक्त तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है-

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।

जो जस करहिं सो तस फल चाखा ।।

इसका मतलब है कि यह विश्व, यह जगत, कर्म प्रधान है। जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। मनुष्य का जीवन उसके कर्मों से ही निर्धारित होता है।

अब यह प्रश्न उठता है कि वास्तविकता क्या है? क्या हमें भाग्य भरोसे रहकर हाथ पर हाथ धरे बैठा रहना चाहिए, कि जब भाग्य में होगा मिल जाएगा या फिर बुद्धि का प्रयोग किए बिना केवल दिन-रात कर्म ही करते रहना चाहिए?

दरअसल कर्म और भाग्य दोनों का ही मानव के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। दोनों ही एक दूसरे के पूरक है। जो मनुष्य यह तथ्य समझ लेता है वही सफलतम जीवन यापन करता है।

लाल किताब के ज्ञान के जरिए आप अपने भाग्य को समझें और अपने भाग्य को सुधारने के लिए कर्म करें। लाल किताब के उपाय दान, सेवा, सुविचार, सदाचार और परंपराओं पर आधारित है। अपने भाग्य को सुधारने के लिए अगर आप लाल किताब में दी गई सावधानियों को भी अपने जीवन में उतार ले, तो भी आपको जीवन की बहुत सारी परेशानियों से राहत मिल जाएगी।

मेरी पुस्तकों को छापकर पाठकों तक पहुँचाने के लिए मैं प्रकाशक 'अरूण पब्लिशिंग हाऊस, चंडीगढ़ का हृदय से धन्यवाद करता हूँ।।

उम्मीद है कि मेरे इस छोटे से प्रयास को आपका भरपूर प्यार मिलेगा। ज्ञान के इस अथाह समंदर को समेटने में अगर कोई गलती हो जाए तो क्षमा प्रार्थी हूं।

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