(Critical and explanatory analysis of the novel 'Mriganayani' by Dr. Vrindavanlal Verma)
वर्मा जी के ऐतिहासिक उपन्यासों की एक प्रमुख विशेषता यह रही है कि उन्होंने अपने उपन्यासों में बुंदेलखण्ड क्षेत्र को ही अपनी कथा का आधार बनाया है। यही कारण है कि बुंदेलखण्ड की सारी पृष्ठभूमि, वहां के निवा-सियों के आचार-व्यवहार, रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल एवं संस्कृति के साथ उपन्यासों में भास्वर हो उठी है। 'मृगनयनी' उपन्यास के संदर्भ में उदा-हरणार्थ प्रस्तुत किया जा सकता है।
'मृगनयनी : एक विवेचन' में 'मृगनयनी' उपन्यास की सर्वांगीण समीक्षा प्रस्तुत की गयी है । प्रस्तुत पुस्तक मूलरूप से उच्चस्तरीय विद्यार्थियों के दृष्टि-कोण से ही लिखी गयी है तथापि प्रत्येक विषय पर इतने विस्तत्र एवं सूक्ष्मता से विचार किया गया है कि अन्य जिज्ञासु पाठकों के लिए भी यह उपयोगी सिद्ध हो सकेगी, ऐसी आशा है।
Hindu (हिंदू धर्म) (13481)
Tantra (तन्त्र) (1003)
Vedas (वेद) (716)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2082)
Chaukhamba | चौखंबा (3185)
Jyotish (ज्योतिष) (1542)
Yoga (योग) (1154)
Ramayana (रामायण) (1338)
Gita Press (गीता प्रेस) (724)
Sahitya (साहित्य) (24612)
History (इतिहास) (8960)
Philosophy (दर्शन) (3601)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (115)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Visual Search
Manage Wishlist