| Specifications |
| Publisher: Harper Collins Publishers | |
| Author Jerry Johnson | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 194 (With B/W Illustrations) | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8x5.5 inch | |
| Weight 250 gm | |
| Edition: 2018 | |
| ISBN: 9789352779277 | |
| HBR670 |
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यह बात अनेक व्यक्तियों को सुनने में विचित्र लग सकती है कि चर्च ऑफ़ स्वीडन ऐसी पुस्तक तैयार करने के लिए आगे आई, जो कर्म पर आधारित विश्वास व धर्मों पर थी। हालांकि इस पुस्तक का भी अपना एक इतिहास रहा। जहाँ बहुत से लोग तेज़ी से बढ़ रहे धर्मनिरपेक्ष जगत की बात करते हैं, वहीं इसके ठीक विपरीत यह पुस्तक संसार के उन अधिकतर लोगों की जीती-जागती हकीकत के तौर पर सामन है जिनके लिए धर्म रोज़मर्रा के जीवन के प्रतिक्षण का एक अंग है; दिन में कई बार और अलग-अलग समयों पर प्रार्थनाएँ की जाती हैं; भोजन देने वाले ईश्वर को भोग चढ़ाने के बाद ही उसका दिया प्रसाद ग्रहण किया जाता है। 'वैश्विक उत्तर में अधिकतर लोग, शेष संसार के लोगों के जीवन, धर्मों व हकीकतों से अनजान हैं। यह माना जाता है कि इब्राहीमी धर्म विशेष तौर पर समलैंगिकता और आम तौर पर लैंगिक विविधता को नकारते हैं, उसके साथ ही यह निष्कर्ष भी निकाल लिया गया है सभी धर्मों में भी ऐसा ही होता होगा।
फ़रवरी 2015 में, चर्च ऑफ़ स्वीडन के अंतर्राष्ट्रीय विभाग ने उपस्सला फेस्टीवल ऑफ़ थियोलॉजी में 'ह्यूमन डिग्निटी व ह्यूमन सेक्सुएलिटी
स्ट्रीम को अपना सहयोग प्रदान किया। इस इब्राहीमी इंटरफ़ेथ संवाद के साथ ही, 'बीहोल्ड, आई मेक ऑल थिंग्स न्यू' नामक पुस्तक का प्रकाशन संभव हुआ। इसने देखा कि तीन इब्राहीमी धर्मों में, लैंगिक विविधता के मसलों को किस रूप में लिया जाता है। इस विषय में किए गए अध्ययन से स्पष्ट था कि इन तीनों के पवित्र ग्रंथ इस विषय में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहते। ऐतिहासिक संदर्भ, भाषा संबंधी व्याख्यान तथा पाठ्य संबंधी विश्लेषणों से विभिन्न प्रकार के नज़रिए सामने आए।
यही वजह थी कि इस सिलसिले में विश्व के दूसरे धर्मों को शामिल करने की आवश्यकता भी महसूस की गई ताकि मानवीय गरिमा और लैंगिकता के मसले पर और अधिक विचार हो सके। कार्मिक धर्मों में बहुत सी बातें सामान्य तौर पर पाई जाती हैं। जब आप इस पुस्तक को पढ़ेंगे, आपको कई समानताओं के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण अंतर भी दिखाई देंगे।
इसके अतिरिक्त, आप देखेंगे कि समानता का बुनियादी नियम, कार्मिक धर्मों का लक्षण नहीं है; इनमें विविधता को सराहा जाता है।
हालांकि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि औपनिवेशवाद तथा वैश्वीकरण के कारण, कार्मिक विश्वासों पर इब्राहीमी धर्मों का प्रभाव पड़ा है, परंतु इनके अंतर पूरी तरह से परिभाषित किए जा सकते हैं। यह साफ़ तौर पर देख सकते हैं, भारत, थाईलैंड, कंबोडिया, म्यांमार आदि देशों में कार्मिक संदर्भों में समलैंगिकता के प्रति भय या नापसंदगी (होमोफोबिया) का अधिक प्रभाव है, जिसे कार्मिक धर्मों के दृष्टिकोण से सहयोग नहीं दिया जा सकता। इसी वजह से हमें नए साधन मिलते हैं कि हम अपने व्यक्तिगत तथा धर्म पर आधारित समुदायों के पवित्र ग्रंथों के पठन को फिर से देखें।
यह पुस्तक विद्वानों तथा कार्मिक विश्वासों के अभ्यासकर्ताओं द्वारा लिखी गई है ताकि पाठक को, विविध कर्म पर आधारित धर्मों में लैंगिकता व लिंग को ऐतिहासिक व समकालीन नज़रिए से देखने में मार्गदर्शन कर सके। 'बीहोल्ड, आई मेक ऑल थिंग्स न्यू नामक पुस्तक की तरह, इस पुस्तक में वर्णित सभी विचार लेखकों के हैं और अनिवार्य तौर पर चर्च ऑफ़ स्वीडन, द चर्च ऑफ़ स्वीडन इंटरनेशनल डिपार्टमेंट या जीआईएन-एसएसओजीआईई के विचारों को प्रकट नहीं करते।
हम उन सभी लोगों को अपना धन्यवाद देते हैं जिन्होंने पुस्तक के शोध, लेखन व प्रकाशन में अपना योगदान दिया। हमें आपके लिए इस पुस्तक को प्रस्तुत करने में बहुत प्रसन्नता हो रही है। हम यह आशा करते हैं कि जिस तरह यह पुस्तक, विश्वास और धर्मों के बारे में हमारी समझ का विस्तार करने में सफल रही, यह एक पाठक के तौर पर आपको भी प्रेरित करते हुए, चुनौती देने में सफल रहे। अपने संसार में, हम सभी परस्पर ऋणी हैं कि हम उन मान्यताओं को और भी गहराई से समझें, जो हमें प्रेरित करने के साथ-साथ हमारा मार्गदर्शन भी करती हैं।
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