प्राक्कथन
पोडत दीनदयाल उपाध्याय एक कालजयी व्यक्तित्व थे। आमतौर पर इतिहास में उनके राजनीतिक व्यक्तित्व को ही रेखांकित किया जाता रहा है और उनका पत्रकार पक्ष अछूता सा रहा है। वे जनसंघ के एक आधार स्तंभ रहे। उन्होंने संगठन और कार्यकर्ताओं को मजबूती से खड़ा करने में अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया। उनके पत्रकार पक्ष के बारे में यूँ तो चर्चा हुई है, प्रकाशन भी हुए लेकिन उस परिमाण में नहीं हुई जितने जरूरी थे। उनका पत्रकार पक्ष बेहद संवेदनशील सशक्त और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत है। इस पुस्तक में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पत्रकार पक्ष को रेखांकित करने को समग्र प्रयास किया गया है। एक पत्रकार के रूप में उन्होंने ना सिर्फ लेखक, संपादक, प्रकाशक का दायित्व निभाया बल्कि वे कपोजिटर, प्रिंटर और वितरक तक के दायित्व का निर्वहन भी कर लेते थे। इन सब कायों में उन्हें कभी कोई संकोच नहीं हुआ। वे प्रकाशन और मुद्रण से जुड़े सभी कार्यों मे सिद्धहस्त थे और समसामयिक विषयों पर विभिन्न प्रकाशनों के माध्यम से अपनी बेबाक टिप्पणियों के जरिए देश के समक्ष चिंतनपरक सामग्री उपलब्ध करवाते थे। उनके आलेखों ने पाठकों में राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र समर्पण का भाव जगाया। भाई विजय विप्लवी जी ने करीब पांच वर्ष पूर्व पंडित जी की पत्रकारिता पर शोध करने और उसको पुस्तक का स्वरूप देने की मंशा जताई तो मेरा मन भी पंडित जी की पुस्तकों में रम गया। मैंने बचपन से शाखा जाते हुए और विभिन्न अभ्यास वर्गों में बौद्धिकों के जरिए पंडित दीनदयालजी के बारे में सुना समझा तो था लेकिन उनका पत्रकार रुप मुझ से भी अछूता ही रहा। भाई विप्लवी के साथ मैं भी उनके पत्रकार रूप को पढने और समझने में जुट गया। इस कार्य के लिए विप्लवी जी ने देश भर में दीनदयाल जी से जुड़े संस्थानों से पत्रकारिता सामग्री को एकत्र किया। दीनदयाल जी से जुडे, उनके साथ रहे विद्वतजनों के साक्षात्कार किए और प्रामाणिक जानकारी जुटाने का श्रमसाध्य कार्य किया। में भाई को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए साधुवाद देता हूँ। दीनदयाल उपाध्याय जी से सम्बद्ध समस्त जानकारियों, सदों, विचारों और आलेखों को इस पुस्तक में समेटने का प्रयास किया गया है। हालोंकि पंडितजी के पत्रकार स्वरूप को रेखांकित करने वाली यह कोई अंतिम पुस्तक नहीं होगी क्योंकि अभी भी उनके पत्रकारकर्म पर चर्चाएँ, शोध कार्य होना शेष है। लेकिन में यह विश्वास व्यक्त करता हूं कि इस पुस्तक से नई पीढी के पत्रकारों, शोधार्थियों को दीनदयालजी के कार्यों और विचारों को समझने में मदद, एक व्यापक फलक और दृष्टि मिलेगी।
लेखक परिचय
डॉ. विजय विप्लवी
25 मार्च 1969 को उदयपुर-राजस्थान में जन्मे विषची ने मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर से पत्रकारिता एवं जनसंचार में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। तीन विषयों लोक प्रशासन, राजस्थानी साहित्य और पत्रकारिता एवं अनसंचार में स्नातकोतर करने के साथ ही विधि स्नातक एलएलबी की डियी भी हासिल की है। 1992 में 2003 तक अपनी पत्रकार जीवन मात्रा में उदयपुर से प्रकाशित जय राजस्थान दैनिक में नगर संवाददाता व समाचार सम्पादक रहे तदनन्तर 2004 से स्वतंत्र पत्रकार हैं। प्रेरक प्रसग 'भानुची' के संग, तारुण्य स्मारिका व जागरण पाती का सम्पादन किया है। विभिन्न मीडिया कार्यशालाओं में सहभागिता व शोध पत्रों की प्रस्तुति के साथ ही शोध पत्रों का प्रकाशन भी हुआ है। 1978 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्पर्क के साथ ही सार्वजनिक जीवन यात्रा शुरू की। संघ में गद्नायक, मुख्य शिक्षक व कार्यवाह दायित्व का निर्वहना 1985 व 2016 में सप शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष व द्वितीय वर्ष किया। 1988 से तक, भाजपा में बूथ अध्यक्ष, जिला मंत्री, मंडल अध्यक्ष व भाजपा राजस्थान प्रदेश मीडिया प्रकोष्ठ में सदस्य के 1996 व 2008 में उदयपुर सहकारी उपभोक्ता थोक भण्डार की प्रतिनिधि सभा में सदस्य निर्वाचित हुए। 1997 क उदयपुर हवाई अई का नामकरण महाराणा प्रताप हवाई अड्डा कराने में प्रभावी भूमिका अदा की। 1999-2004 तक नगर परिषद्, पुर में पार्षद रहे। 2009 से विप्र फाउंडेशन में सक्रिय। भाजपा युवा मोर्चा में वार्ड में प्रदेश का निवर्धन किया।
डॉ. कुंजन आचार्य 30 जून 1976 को चित्तौड़गढ़ जिले के प्रसिद्ध कृष्णधाम सांवलियाजी में जन्मे डॉ. कुंजन ने पत्रकारित एवम जनसंचार तथा हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर करने के बाद मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय से मन् 2002 में पत्रकारिता में डॉक्टरेट (पीएच.डी.) की उपाधि हासिल की। 1993 से अनवरत मुख्यधारा की पत्रकारिता। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में समान अधिकार से कार्य किया। जय राजस्थान, प्रतिदिन, राजस्थान पत्रिका दैनिक भास्कर, ईटीवी राजस्थान ईटीवी उत्तर प्रदेश/उत्तराखण्ड जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में संवाददाता से लेकर संपादक तक का सफर तय किया। अब तक सात पुस्तकें, समाचार पत्रों में सैकड़ों आलेख और शोध पत्र प्रकाशित। कविता संग्रह 'एक टुकड़ा आसमान' को 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कक्षा 12 को हिंदी पत्रकारिता शिक्षण की अनिवार्य पुस्तक 'संवाद सेतु' का लेखन। राजस्थान सरकार के राजस्थान हिंदी पंग अकादमी में पत्रकारिता पाठ्यक्रम समिति संयोजक। महाराणा मेवाड फाउंडेशन का राजसिंह पुरस्कार तथा पत्रकारिता क्षेत्र का प्रतिष्ठित माणक अलकरण सम्मान। यूनिसेफ, नेशनल बुक ट्रस्ट और साहित्य अकादेमी, दिल्ली के विभिन्न प्रकल्पों में विशेषज्ञ के तौर पर भागोवारी। पंग अकादमी में पत्रकारिता पाठ्यक्रम समिति संयोजक। महाराणा मेवाड फाउंडेशन का राजसिंह पुरस्कार तथा पत्रकारिता क्षेत्र का प्रतिष्ठित माणक अलकरण सम्मान। यूनिसेफ, नेशनल बुक ट्रस्ट और साहित्य अकादेमी, दिल्ली के विभिन्न प्रकल्पों में विशेषज्ञ के तौर पर भागोवारी। एवीपी न्यूज, आवउक, जी न्यूज, डीडी न्यूज, लोकसभा टीवी और बीबीसी के लिए चुनाव विश्लेषण तथा समसामयिक विषयों पर विषय विशेषज्ञ के तौर पर भागीदारी। संस्कार भारती में उदयपुर महानगर उपाध्यक्ष तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद में उदयपुर महानगर उपाध्यक्ष और विभाग संयोजक का दायित्व निर्वहन किया। वर्तमान में अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़ प्रान्त मीडिया प्रमुख। संप्रति: 2012 से मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में विभागाध्यक्ष।
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