कुमॉउनी रामलीला एक दुर्लभ परम्परा
कुमॉउनी रामलीला प्रस्तुति को सम्भवत: विश्व के सबसे लम्बे ओपेरा के रूप में गिना जाता है। कई वर्षों की यह परम्परा लोकसमाज के निरंतर एवं नियमित प्रयासों से विकसित एवं पल्लवित हुई है। इस प्रस्तुति में चौपाई एवं दोहे, कुमॉऊनी बोली में नहीं कहे जाते हैं वरन, वह ब्रज, खड़ी बोली, हिन्दी और उर्दू में कहे जाते हैं, जिनका मूल आधार रामचरितमानस ही होता है। इस प्रस्तुति की विशेषता है कि इसमें पारम्परिक उत्तर भारतीय रंगपटल की विभिन्न विधाओं एवं शास्त्रीय संगीत का विपुलता से प्रयोग किया जाना है।
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