मेरा पालन पोषण एरिजोना शहर में एक सामान्य अमेरिकी युवा की तरह हुआ और उसी तरह लड़कियों से आमना-सामना भी हुआ। अपनी दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं प्रिंसटन विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए पूरब की ओर चल पड़ा। अपनी स्कूली शिक्षा के दिनों में मैं अतिउत्तम दर्जे का विद्यार्थी रहा, जिसके लिए व्हाइट हाउस से राष्ट्रपति ने एक मेडल दे कर मुझे सम्मानित भी किया था। मैंने सोचा की मेरा जीवन अवश्य धन्य है क्योंकि वह बड़ी उपलब्धियों की ओर बढ़ रहा था।
और एक रात अचानक सब कुछ बदल गया। मैं विश्वविद्यालय के चर्च में स्वयंसेवकों की ऐसी सभा में उपस्थित था जो विश्वस्तर पर क्षुधा पर विजय प्राप्त करने के लिए कुछ करना चाहते थे। तभी धर्माचार्य के पास एक फोन आया जिसे सुनने के बाद वो मेरे पास आए, उन्होंने मेरे हाथ को छुआ और मुझे अपने ऑफिस में आने को कहा। वहाँ उन्होंने मुझे बाताया कि मेरी माँ का निधन हो गया है। सुनते ही मेरी सपनों की दुनिया बिखर गयी।
समय के अन्तराल में मुझे दो और फोन-काल आए जिनके द्वारा मुझे मेरे छोटे भाई और पिता के भी मृत्यु की सूचना मिली। मैं दुख के सागर में डूब गया, मुझे लगा जिस जीवन की कल्पना में मैं यहाँ आया था वह सब अर्थहीन था। मैंने कालेज छोड़ दिया और मन में उठ रहे अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर की तलाश में भारत की ओर चल पड़ा।
मेरी किस्मत अच्छी थी कि मेरी मुलाकात वहाँ कुछ तिब्बती धर्म गुरुओं से हुई। धीरे-धीरे मैं स्वयं एक बौद्ध संन्यासी बन गया। इस तिब्बतन मठ में मैं 25 वर्षों से अधिक रहा। छः सौ वर्षों में मैं पहला पश्चिमी था जिसे गेशे या बौद्ध धर्म में परास्नातक की उपाधि शेरामे के महान बौद्ध आश्रम में प्राप्त हुई।
इस डिग्री को प्राप्त करने के लिए मुझे कई सामूहिक परीक्षाओं को देना पड़ा जो की तीन सप्ताह तक सैकड़ों संन्यासियों द्वारा तिब्बती भाषा में लिया गया। मेरे प्रमुख लामा खेन रिनपणेच के द्वारा मुझे एक अतिरिक्त परीक्षा देने की घोषणा की गई। इसके लिए मुझे यूयार्क जा कर एक हीरे की कम्पनी शुरु करनी होगी और दसलाख डालर कमा कर यह सिद्ध करना होगा कि मैं मठ में पढ़ाये गए कर्म सिद्धान्त को समझ पाया हूँ। तब हम लोग उस पैसे को तिब्बती शरणार्थी में बाँटेंगे जिससे वे भोजन और अपनी दसरी जरूतों को पूरा कर सकें।
न्यूयार्क जैसे शतर में फिर से प्रवेश करना और हीरों का व्यापार करना मुझे बहुत गंदा लग रहा था। कई महीनों तक मैं उससे बचता रहा, परन्तु लामा का आदेश टालना असम्भव था। इसलिए मुझे जाना पड़ा।
वहाँ जा कर मैंने आंड्न इंटरनेशनल डायमंड कम्पनी की स्थापना में सहयोग किया और कम्पनी को 200 मिलियन डालर वार्षिक बिक्री तक पहुँचने में भी मदद किया। इसी कम्पनी को हाल ही में वारेन बुफ़े ने खरीद लिया जो दुनिया के अति धनवान लोगों में से एक हैं। जिस धन को मैंने इस तरह कमाया उसका प्रयोग मैंने शरणार्थियों और कई अन्य लोगों की मदद में लगाया।
हमारी कम्पनी न्यूयार्क के इतिहास में सबसे तेज विकसित होने वाली कम्पनियों में से एक है और इसकी इसी प्रगति ने लोगों का ध्यानाकर्षण किया। डबल्डे पब्लिशर ने मुझसे अनुरोध किया की मैं एक पुस्तक लिख कर बताऊँ की कैसे मैंने कर्मनियम सिद्धान्त का पालन कर के इतनी बड़ी सफलता हासिल की। कर्म नियम का सबसे पहला अर्थ है दूसरों की मदद करना।
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