कविमना, साहित्यमुग्ध डॉ. प्रकाश मनु को मैं पिछले तीस वर्ष से जानने का दावा कर सकता हूँ। सबसे पहले उनके प्रेमगीत 'सरिता' जैसी लोकप्रिय पत्रिका में पढ़े थे। ज्यों ही उन्होंने बाल पत्रिका 'नंदन' के संपादकीय विभाग में प्रवेश किया, वे बाल साहित्य की बारीकियों, खूबियों में डूब गए। डूबे क्या, उन्होंने बाल साहित्य की अनेक विधाओं को अपनी प्रतिभा, अपनी साधना और कलम की कारीगरी से पार लगा दिया। डॉ. प्रकाश मनु ने बाल कहानियाँ, उपन्यास, एकांकी और बाल साहित्य पर समीक्षा, विशेषकर कविता पर अपना महत्त्वपूर्ण कार्य किया। यहाँ तक कि हिंदी बाल कविता का इतिहास लिखकर बाल कविता की अनेकानेक खूबियों और कालजयी रचनाओं को उजागर करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
इससे भी बढ़कर मनु जी ने एक से एक उत्तम बाल कविताएँ लिखीं, जिनमें लुभावनापन भी है, रसीलापन भी है और बच्चों के साथ-साथ बड़ों को लुभाने की अद्भुत क्षमता है। इन कविताओं में तुकों का खेल तो है ही, अनोखी तुकों का घालमेल भी काव्य-प्रेमियों को अपनी ओर खींचता है। अब मनु जी की एक कविता 'चींटी' की कुछ पंक्तियाँ उद्धृत करता हूँ-
छोटे से मुख में कुछ दाना, लेकर आती अपना खाना, खूब सलोने इसके घर हैं
गलियाँ, सड़कें और शहर हैं।
चंचल सी यह काली रेखा
जैसे मेहनत का हो लेखा, बात नहीं, देखो बस करनी कहती श्रम की जादूगरनी !
सचमुच यह कविता चींटी की निरंतर श्रमशीलता, कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत न हारने का हौसला बयान करते हुए आत्मीयता की सृष्टि करती है। इससे कवि चींटी के स्वभाव को रेखांकित करते हुए अनजाने ही बच्चों को यह संदेश दे देता है कि अपने को छोटा मत समझो, क्योंकि छोटी सी चींटी भी बड़े-बड़े काम कर सकती है।
इसी प्रकार 'अजब-अनोखा सर्कस' कविता में सर्कस के करतबों का सरस, सलोनी और मनोरंजक शैली में कवि ने बयान किया है। नमूने के तौर पर देखिए-
अजब-अनोखा सर्कस देखा, अजब-अनोखा सर्कस !
सूँड़ उठाकर हाथी राजा ने दी खूब सलामी शेरराज फिर लेकर आए एक छाता बादामी, इक पहिए की साइकिल लेकर दौड़ा सरपट भालू बनमानुष ने लपके सारे आलू और कचालू ।
कितने ये बलवान जानवर हँसकर बोले दादा, पर मानव के आगे ये सब हैं बेचारे, बेबस !
इस कविता में सर्कस का मनभावन चित्रण बच्चों में सर्कस का लुत्फ उठाने का कौतुक पैदा करता है।
ये तो मात्र कुछ उदाहरण हैं। प्रकाश मनु की कुछ कविताएँ बाल मनोविज्ञान का स्पर्श करके बच्चों में उल्लास, नटखटपन, चुलबुलाहट और मौज-मस्ती का भाव पैदा करती हैं और उन्हें लुभाती हैं।
कहना चाहूँगा कि प्रकाश मनु में एक जीवंत भाषा, लयात्मक शैली और बाल-सुलभ सरलता के कारण उनकी बाल कविताएँ अत्यंत श्रेष्ठ हो गई हैं। मुझे प्रसन्नता है कि उन पर दो पंक्तियाँ लिखते हुए प्रशंसनीय की प्रशंसा का सुख मिल रहा है।
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