1857 का महासंग्राम भारत में अंग्रेज़ी शासन के विरूद्ध एक सशस्त्र महाक्रान्ति थी। यह क्रान्ति दो सालों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चली। इस क्रान्ति का आरम्भ छावनी क्षेत्रों में छोटी-छोटी झड़पों और आगजनी से हुआ, परन्तु जनवरी मास तक इसने राष्ट्रव्यापी रूप ले लिया था। इस क्रान्ति का दुःखद अंत भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की समाप्ति और ब्रिटिश ताज के प्रत्यक्ष शासन से आरम्भ हुआ, जो अगले नब्बे वर्षों तक चला।
प्रस्तुत पुस्तक में 1857 के महासंग्राम के कारणों के साथ-साथ इसके अमर नायकों की यशगाथा को साधारण भाषा में उकेरा गया है ताकि अमर शहीदों से प्रेरणा लेकर भारत की नई पीढ़ी को अपने गौरवपूर्ण इतिहास से सिखने को मिले।
पं. सत्यनारायण शर्मा का जन्म 2 जनवरी 1947 को हरियाणा के जिला कुरुक्षेत्र के पपनावा (सारसा) गांव में हुआ था। आगरा व मेरठ विश्वविद्यालय से एमए और दिल्ली विश्वविद्यालय से एआईसीटीई (डिप्लोमा) करने के वाद आपने बत्तीस वर्षों तक लैक्चरर के पद पर अध्यापन किया। पिछले चालीस सालों में आपके विभिन्न पत्न-पत्रिकाओं में शहीदों पर आधारित सैकड़ों लेख प्रकाशित हुए एवं 10 वर्ष तक राष्ट्र संगठन पाक्षिक पत्रिका का कुशल संपादन किया।
आपने देशभक्तों एवं क्रांतिकारियों से संबद्ध दर्जनों पुस्तकें लिखी हैं।
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