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हिंदी बाल साहित्य की 75 श्रेष्ठ पुस्तकें- 75 Best Books of Hindi Children's Literature (A Special Gift for the Amrit Mahotsav of Independence)

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Specifications
Publisher: LITTLE BIRD PUBLICATIONS, DELHI
Author Shakuntala Kalra
Language: Hindi
Pages: 351
Cover: PAPERBACK
8.5x5.5 inch
Weight 440 gm
Edition: 2025
ISBN: 9789363067790
HBZ827
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Book Description

आत्म-निवेदन

श्रेष्ठ पुस्तकें वे पुस्तकें हैं जिनकी लोकप्रियता उनके रचनाकाल के बाद भी लंबे समय तक बनी रहती है। चाहे प्रौढ़ साहित्य की हों चाहे बाल साहित्य की, किसी प्रांत अथवा किसी भाषा की अथवा किसी भी देश के साहित्य की हों। वे संवेदन-प्रवण होने के कारण मानव-हृदय के स्पंदनों को उकेरती हैं और उसे उद्वेलित करती हैं। उनका आकर्षण इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि वे मानव-प्रकृति को उभारती हैं, उसके आंतरिक गठन और सत्य को उद्घाटित करती हैं। पाठक चाहे प्रौढ़ हो चाहे बालक, वे इसलिए भी अपनी ओर खींचती हैं क्योंकि उन्हें पढ़ते वक्त पाठक का साधारणीकरण होता है। वे पाठक को गहराई तक प्रभावित करती हैं। वे उसे रस के चरम बिंदु तक पहुँचाती हैं। उन्हें लोकोत्तर आनंद प्रदान करती हैं जो साहित्य का चरम लक्ष्य है। अनेक पीढ़ियों तक उनकी पठनीयता बरकरार रहती है। उनका विषय, उनमें उठाए गए प्रश्न, समस्याएँ, युग-परिवेश तत्कालीन होकर भी समकालीन होता है क्योंकि उसमें व्यक्त भावनाएँ शाश्वत होती हैं। वे प्रासंगिक लगती हैं। उसके सामाजिक, सांस्कृतिक परिसंदर्भ युगीन लगते हैं। उसमें सृजनात्मकता होती है। उसमें साहित्य का जो स्पंदन और संस्पर्श मिलता है वह अविस्मरणीय होता है। उनमें निहित साहित्य का शुद्ध आस्वाद पाठक को दिव्य तृप्ति देता है।

अक्सर इस बात का प्रचार किया जाता है कि हिंदी बाल साहित्य में अच्छी पुस्तकें नहीं हैं। इस भ्रम का कोहरा भी छंटेगा कि हिंदी बाल साहित्य में अच्छी पुस्तकें नहीं हैं। यह स्पष्ट कह देना उचित होगा कि श्रेष्ठता का मानदंड शायद सबके लिए अलग-अलग हो, लेकिन कुछ कसौटियाँ सर्वमान्य भी होंगी और सर्वकालिक भी। मैंने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि यह किसी गुट या रचनाकार से न जुड़े। वह केवल जो श्रेष्ठ रचना हो, चाहे किसी भी विधा में हो, किसी भी रचनाकार की हो। मैंने रचना को महत्त्व दिया है।

वह चाहे बड़े स्थापित लेखक की हो चाहे नए उभरते लेखक की। बड़े-बड़े प्रचारित नाम उभरते रहे, लेकिन मेरा ध्यान श्रेष्ठ पुस्तकों के चयन पर था।

समय-समय पर बाल साहित्य के अनेक लेखकों, आलोचकों से परामर्श करती रही और अनेक पुस्तकों के नाम डायरी में लिखे। फिर उनमें से छँटाईं शुरू की। कुछ चुनिंदा पुस्तकों तक ही सीमा-रेखा रखने का निश्चय किया। मेरे लिए यह कार्य कठिन से कठिनतर और कठिनतर से कठिनतम होता गया।

पुस्तकों को दुबारा-तिबारा कई बार पढ़ा। इस चयन में कुछ विद्वान लेखकों द्वारा फिर भी कई प्रश्नचिह्न लगाए जा सकते हैं। लेकिन मेरा यह कार्य तटस्थ भाव और पूरी ईमानदारी से है। पुस्तकें चुनते हुए जिन बातों पर विशेष ध्यान रहा है-पुस्तक का अपना विशिष्ट महत्त्व हो, पुस्तक मौलिक कृति हो। पुस्तक चयन में यह दृष्टि नहीं रही है कि सभी प्रतिष्ठित लेखकों को ही लेना है, बल्कि उनके साथ ही नवोदित लेखकों की पुस्तकें भी ली गई हैं। श्रेष्ठता की कसौटी पर खरी होने पर भी एक लेखक की कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक में किसी एक ही विधा की एक ही पुस्तक ली है।

एक बात और, मैं पाठकों को बताना चाहूँगी कि यह आलोचना ग्रंथ नहीं है। मैंने पुस्तकों की आलोचना नहीं की है, सहृदय पाठक बनकर उनका रसास्वादन किया है। जिन पुस्तकों को मैंने लिया है उनका विश्लेषण, मूल्यांकन के साथ उनका सकारात्मक परिचय देने का प्रयास किया है। इन श्रेष्ठ पुस्तकों की एक कसौटी यह भी है कि अधिकांश पुस्तकें पुरस्कृत हैं। पाठकों तथा मेरी तरह इन पुस्तकों का अध्येताओं के मन में उत्सुकता जाग्रत होना स्वाभाविक है।

पुस्तकों के नाम अकारादि क्रम में रखे गए हैं। जिन चुनिंदा पुस्तकों की यहाँ चर्चा की गई है प्रस्तुत पुस्तक को पढ़कर कोई भी पाठक या अनुसंधानकर्ता निश्चय ही लाभान्वित होगा। साथ ही हिंदी बाल साहित्य में अच्छी पुस्तकों का अभाव है, इस भ्रम से भी मुक्त होगा ।

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