'साहस' मन की सबसे बड़ी शक्ति है। उसके न रहने पर अन्य मानसिक शक्तियां भी अपनी हार मान लेती हैं। साहस की अगुवाई बिना कोई भी शक्ति आगे बढ़ने में ठिठकती है लेकिन जब साहस राह दिखाता है तो अन्य शक्तियां भी सामने आ जाती हैं। साहस, सफलता के लिए सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
साहस का उपयोग कथा-कहानियों में भी भरपूर हुआ है और ऐसी कहानियां लोकप्रिय भी होती हैं।
साहस कथा के विविध रूप हो सकते हैं। इनसान ही नहीं, अनेक बार जानवर भी साहस कथा के पात्र होते हैं।
साहस कथा का नायक या नायिका जो भी हो, वह मुसीबत में साहस के साथ धैर्य, सूझ-बूझ से काम लेता है और अंत में सफलता प्राप्त करता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो ऐसी साहस कथाएं सप्रमाण जीवंत मिल जाती हैं। डूबते को बचाना, आग से घिरे इनसान अथवा पशु को सकुशल निकाल लेना, हिंसक पशु से अपनी भेड़-बकरियों की रक्षा करना, चोरों, डकैतों से डटकर मुकाबला करना और उन्हें खदेड़ देना या जान-माल की रक्षा करना आदि।
ऐसा साहसिक कार्य बड़े ही नहीं, अनेक बार छोटे बच्चे भी कर दिखाते हैं। ऐसे साहसी बच्चों की सैकड़ों कथाएं हैं जो वास्तविकता पर आधारित हैं।
बच्चों को ऐसी कहानियां बहुत पसंद आती हैं। वीर पुरुषों की कथाएं इसी कारण मन में साहस की भावना भर जाती हैं।
बाल साहित्य में साहस कथाओं का विशेष महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि वे बुराई पर अच्छाई की विजय, असत्य पर सत्य की जीत की नींव रखती हैं।
अन्याय, अत्याचार, अधर्म के विरोध में उठ खड़ा होना, गलत बात के विरुद्ध अपनी आवाज उठाना भी साहस ही कहा जाएगा। केवल शारीरिक बल का प्रदर्शन करना ही साहस नहीं है बल्कि सच बोलना भी साहस है। साहसी व्यक्ति को शक्ति उधार नहीं मांगनी पड़ती बल्कि उसकी अन्तर्रात्मा ही उसे बल प्रदान करती है।
साहस कथाएं पढ़ते, सुनते बच्चे भी साहसी पात्रों से भावनात्मक स्तर पर जुड़ते हैं और प्रेरणा पाते हैं जो उनके लिए साहसी होने की संभावनाओं के द्वार खोलने में सहायक है।
प्रस्तुत संग्रह में प्रतिष्ठित लेखकों के साथ ही उदीयमान बाल लेखकों की लिखी साहस कथाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
इन साहस कथाओं को पढ़कर बच्चों का केवल मनोरंजन ही नहीं, उनमें साहस की भावना का संचार भी होगा, इस आशा के साथ।
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