आप यह पढ़ रहे हैं, मतलब किताब आपके हाथों में आ गई है और मेरी मेहनत सफल हुई है। इस किताब पर नाम भले ही सिर्फ मेरा है, मगर मेरे पीछे बहुत-से लोग इस किताब को लिखने की यात्रा में मेरे साथी बनकर खड़े रहे। अगर ये लोग मेरे साथ नहीं होते तो यह सफर मेरे लिए शायद बहुत मुश्किल होता। मैं अपना पहला धन्यवाद अपनी माँ और अपने भाई को करना चाहूँगी, क्योंकि ये मेरी जिंदगी के वे लोग हैं, जिन्होंने उस वक्त भी मुझ पर विश्वास किया, जब मुझे भी खुद पर यकीन नहीं था। ये मेरे साथ थे, जिनकी वजह से किताब पूरी हो सकी है। अगर मेरे भाई ने हर उस वक्त मेरा हौसला न बढ़ाया होता, जब-जब मुझे लगने लगता था कि ये मुझसे नहीं हो पाएगा, तो नहीं मालूम इस किताब को पूरा करना कितना मुश्किल होता !
इसके अलावा, मैं अपने परिवारजनों का धन्यवाद करना चाहूँगी, जिन्होंने हमेशा मुझ पर विश्वास किया। ईशा का शुक्रिया करना चाहूँगी, जिसने न केवल मुझे इस प्रतियोगिता के बारे में बताया, बल्कि इस बात का भरोसा भी दिलाया कि मेरा चयन इसमें जरूर होगा। इस किताब को शुरू करने से पहले में इतनी उलझी हुई थी कि मुझे समझ नहीं आता था कि किताब लिखना शुरू कैसे करते हैं, तब धनंजय ने मेरी मदद की। उसने बिना परेशान हुए, न सिर्फ मेरे छोटे-बड़े और यहाँ तक कि बचकाने सवालों को सुना, बल्कि सबके जवाब भी दिए। उत्कर्ष, जो लिखना शुरू करने की प्रक्रिया से ही मेरे साथ जुड़े रहे और किताब पूरी होने तक हर संभव मदद की। आयुष, जिसने मेरी झुंझलाहट झेली और हर उस वक्त जब मैं परेशान थी, तब मुझे यह विश्वास दिलाया कि मैं यह कर सकती हूँ। हिमांशु हर संभव मदद के लिए हमेशा मौजूद रहा; दामिनी ने प्रूफ रीडिंग में मदद की। मैं भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करना चाहूँगी, जिन्होंने इस प्रतियोगिता को शुरू किया, जिसके कारण मुझे ये अवसर मिला। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और न्यास में ही हिंदी संपादक दीपक सर का धन्यवाद करना चाहूँगी, जिनके माध्यम से इस प्रतियोगिता को एक सही रूप मिला और मेरे किताब लिखने के सपने को एक दिशा और मंच मिला।
मैं अटल सर और अरविंद सर का धन्यवाद करना चाहूँगी, जिन्होंने अपने इतने व्यस्त दिनचर्या में भी हमेशा मेरे फोन उठाए और मेरे सभी सवालों के जवाब दिए।
जब भी मुझे विषय से बिलकुल भटका हुआ महसूस हुआ, मैंने हमेशा इनको कॉल किया और ये लोग चाहे जहाँ भी रहे हों, जिस भी काम में रहे हों, हमेशा मुझे विषय को समझने की एक विस्तृत दृष्टि दिखाई।
अंत में, मैं एक बार फिर उन सभी का दिल से आभार व्यक्त करना चाहूँगी, जिन्होंने इस सपने को साकार करने में मेरा साथ दिया। यह किताब मेरे लिए केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि एक सपने की यात्रा का प्रतीक है। इस पूरी यात्रा ने मुझे सिखाया है कि दृढ़ संकल्प और अपनों के सहयोग से कुछ भी संभव है। मुझे उम्मीद है कि यह किताब अपने उद्देश्य को पूरा करेगी और किसी-न-किसी तरह से समाज को लाभान्वित करेगी।
Hindu (हिंदू धर्म) (13452)
Tantra (तन्त्र) (1003)
Vedas (वेद) (715)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2079)
Chaukhamba | चौखंबा (3185)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1154)
Ramayana (रामायण) (1337)
Gita Press (गीता प्रेस) (724)
Sahitya (साहित्य) (24576)
History (इतिहास) (8942)
Philosophy (दर्शन) (3597)
Santvani (सन्त वाणी) (2618)
Vedanta (वेदांत) (115)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist