लेखक परिचय
अभिषेक त्रिपाठी का जन्म लखनऊ में हुआ; वर्तमान में बेलफास्ट, आयरलैंड में निवास। प्रतिष्ठित लेखक, पत्रकार, तकनीकी विशेषज्ञ और परामर्शदाता हैं। विदेशों में भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। उन्होंने एक प्रतिष्ठित यू.के. विश्वविद्यालय से एडवांस्ड कंप्यूटिंग विषय में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। कृत्रिम मेधा (AI) तथा नवीनतम प्रौद्योगिकियों पर कई तकनीकी श्वेतपत्र प्रकाशित । वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निदेशक पद पर कार्यरत हैं और यूरोप की कई ब्लूचिप संस्थाओं को तकनीकी परामर्श सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। प्रमुख कृतियाँ- आयरलैंड की चयनित रचनाएँ, अंतर्मन का इंद्रधनुष, देखी है सारी दुनिया और आयरलैंड की लोककथाएँ हैं। भारतीय उच्चायोग लंदन की पत्रिका भारत भवन, भारतीय दूतावास अमेरिका की अनन्य, चाणक्य वार्ता और लल्लनटॉप में नियमित रूप से लेखन करते हैं। अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत। भारत उच्चायोग के महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित ।
भूमिका
"कृत्रिम भैया या ती मानवता के लिए सबसे अच्छा वरदान साबित होगी या सबसे बड़ा अभिशाप।" - स्टीफन हॉकिंग
नुष्य ने जब पहली बार आग जलाई थी, तब उसने प्रकृति की एक प्रचंड अप्रयुक्त म शक्ति को साधने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया था। तब से लेकर आज तक विज्ञान और तकनीकी विकास की यात्रा ने मानव सभ्यता को असंभव लगने वाली ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। इस यात्रा में पहिया, बिजली, टेलीफोन, कंप्यूटर, और इंटरनेट जैसे अनगिनत आविष्कारों ने समाज को बदलकर रख दिया, लेकिन अब हम जिस तकनीकी क्रांति के द्वार पर खड़े हैं, वह पूर्व की सभी क्रांतियों से कहीं अधिक व्यापक और परिवर्तनकारक है। यह क्रांति है- कृत्रिम मेथा (Artificial Intelligence), जिसे संक्षेप में 'AI' कहा जाता है। आज हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ मशीनें न केवल हमारे कार्यों को आसान बना रही हैं, बल्कि वे सोचने, निर्णय लेने और भविष्य की परिस्थितियों का अनुमान लगाने में भी सक्षम होती जा रही हैं। कृत्रिम मेधा-महज एक अवधारणा नहीं, बल्कि भविष्य का वह शिल्प है, जो हमारे दैनिक जीवन, कार्यक्षेत्र और यहाँ तक कि हमारे सपनों को भी पुनः परिभाषित कर रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि मानवता के इतिहास में ऐसा कोई क्षण नहीं आया, जब प्रौद्योगिकी ने हमारी कल्पनाओं को इतना विस्तृत और इतना अद्भुत बना दिया हो, जितना आज AI के युग में हुआ है। कल्पना कीजिए, सुबह आपकी आँखें खुलते ही आपका AI-सहायक आपको दिन भर के कार्यों की योजना सुनाता है, जिसमें आपके स्वास्थ्य, मौसम, और निजी प्राथमिकताओं का ध्यान रखा गया है। आपकी चालक रहित कार, बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के आपको सुरक्षित रख कर आसानी से ऑफिस पहुँचा देती है। ऑफिस में AI बनाता है। विकसित देशों के कई अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ AI-संचालित रोबोट मरीजों का आयधिक सटीकता और कुशलता से इलाज कर रहे हैं। न्यायालयों में A1-आधारित जज तेजी से फैसले सुना रहे हैं। यहाँ तक कि सरकारें भी AI की सहायता से अपने नागरिकों की समस्याओं को पहले ही पहचानकर उनका समाधान खोज कर रही हैं। यह कोई दूर की कल्पना नहीं, बल्कि एक ऐसा भविष्य है. जिसकी ओर मानवता तीव्र गति से अग्रसर हो रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मात्र एक तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि यह मानव सभ्यता के विकास को एक नई दिशा दिखाने वाली परिवर्तनकारी शक्ति है। यह पुस्तक न केवल आपको Al की वर्तमान स्थिति और इसकी गहन क्षमताओं से परिचित कराएगी, बल्कि उस रोमांचक भविष्य का खाका भी प्रस्तुत करेगी, जो AI के प्रभाव में निर्मित होने जा रहा है। इस पुस्तक के पृष्ठ आपको AI की उस अविश्वसनीय दुनिया में ले जाएँगे, जहाँ मशीनों और मानवता का संगम एक नई सभ्यता की कहानी रच रहा है। विशेषज्ञ कृत्रिम मेधा (AI) की तुलना औद्योगिक क्रांतियों से करते हैं, लेकिन यह क्रांति अपनी गतिशीलता, व्यापकता और जटिलता के कारण उन सभी से कहीं आगे है। इतिहास हमें बताता है कि जब भी कोई बड़ी तकनीकी क्रांति आई है, उसने न केवल उद्योगों को बदला, बल्कि समाज, अर्थव्यवस्था और जीवन जीने के तरीकों को भी नया आयाम दिया। पहली औद्योगिक क्रांति ने 18वीं शताब्दी में भाप इंजन और मशीनों के आविष्कार से उत्पादन क्षमता बढ़ाई और वैश्विक अर्थव्यवस्था को कृषि से उद्योगों की ओर मोड़ दिया। दूसरी औद्योगिक क्रांति ने बिजली और संचार प्रणालियों में नवाचार के माध्यम से बड़े पैमाने पर उत्पादन और वैश्विक व्यापार को गति दी।
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