बुन्देलखण्डका टीकमगढ़ जिला ऐतिहासिक एवं पुरातात्वीय दृष्टि से भारतीय इतिहास में विशिष्ट स्थान रखता है। बुन्देलखण्ड की ओरछा रियासत मध्यकाल में सर्वाधिक चर्चित रियासत रही है। बुन्देला राजवंश के शासकों द्वारा ई. 1531 से 1783 तक ओरछा को राजधानी रूप में उपयोग करने के बाद ईस्वी 1783 में टेहरी को अपनी राजधानी बनाया गया। बुन्देला राजा विक्रमजीत सिंह द्वारा भगवान कृष्ण के एक नाम टीकम के आधार पर टीकमगढ़ नाम रखा।
ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जावे तो यह भू-भाग पौराणिक काल में चेदि साम्राज्य का भाग था, जो चौथी शताब्दी ईस्वी पूर्व तक अस्तित्व में बना रहा। मगध साम्राज्य के उत्कर्ष के साथ ही यह भू-भाग मगध का अंग बना, किन्तु स्थानीय प्रशासन का मुख्यालय सागर जिले के एरण नामक स्थल पर बना रहा। एरण के स्थानीय शासकों ने समुद्रगुप्त के आक्रमण तक इस भू-भाग पर अपना अस्तित्व बनाये रखा।
गुप्त काल के पश्चात् गुर्जर-प्रतीहार एवं चंदेल शासकों का शासन रहा। चन्देल शासकों द्वारा अपने साम्राज्य के पश्चिम भाग के प्रशासन हेतु कुडार नामक स्थल पर किला निर्मित कराया गया, जो कालान्तर में खंगार शासकों का मुख्यालय बना। लगभग 150 वर्षों के खंगार वंश के शासन के बाद बुन्देला राजवंश ने लम्बे समय तक शासन किया। इस काल में बड़े पैमाने पर मंदिरों, महलों, छत्रियों, तालाबों एवं बावड़ियों का निर्माण हुआ, जो हमारी महत्वपूर्ण धरोहर हैं।
संचालनालय पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा ग्राम से ग्राम सर्वेक्षण की अपनी योजना के अंतर्गत टीकमगढ़ जिले की सभी तहसीलों का सर्वेक्षण सम्पन्न कराया।
सर्वेक्षण में प्रकाश में आई पुरासामग्री का अभिलेखीकरण एवं चिन्हांकन कराया गया है। सर्वेक्षण प्रतिवेदनों के आधार पर टीकमगढ़ जिले के पुरातत्त्व पर केन्द्रित पुस्तक का संकलन कार्य विभाग के सेवानिवृत्त संग्रहाध्यक्ष श्री नरेश कुमार पाठक से कराया गया है, जिसे प्रकाशन योग्य बनाने में विभाग के प्रकाशन अधिकारी डॉ. रमेश यादव की अहम भूमिका रही है। डॉ. यादव का सहयोग श्री जितेन्द्र अनन्त, यंग ऑर्कियोलॉजिस्ट द्वारा किया गया। वे धन्यवाद के पात्र हैं।
मुझे आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि विभाग द्वारा प्रकाशित पुरातत्त्व पर केन्द्रित अन्य पुस्तकों के समान ही यह पुस्तक भी पुरातत्त्वविदों, इतिहासकारों, पुरातत्त्व एवं इतिहास के शोधछात्रों, विद्यार्थियों व जिज्ञासु पाठकों एवं जनसामान्य को महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करने के लिये उपयोगी सिद्ध होगी।
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