| Specifications |
| Publisher: Alpha Publications | |
| Author: कृष्ण कुमार: (Krishna Kumar) | |
| Language: Sanskrit Text With Hindi Translation | |
| Pages: 376 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch X 5.5 inch | |
| Weight 400 gm | |
| Edition: 2023 | |
| ISBN: 9788179480658 | |
| HAA170 |
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अपनी बात
ये पुस्तक कैसे बनी इसके पीछे एक रोचक कथा हैं वर्ष 1990 के दशक में जब अपने बच्चों के विवाह के लिए पंडितों से संपर्क साधा तो अनेक विद्वानों से कुंडली विश्लेषण के महत्त्वपूर्ण सूत्र सीखने का अवसर मिला ।
एक मित्र ने एक कुंडली मेलापक की विधि स्पष्ट की तो अन्य मित्रो ने दामाद व पुत्रवधू की कुंडली मे देखने के लिए विशेष बाते भी नोट करा दी । लगभग 60 70 पृष्ठ का रजिस्टर बच्चों के विवाह के विवरण से भर गए ।
बाद में जब पुस्तक लिखने का मन हुआ तब अन्य विषय अधिक महत्वपूर्ण जान पडे । अत षडवर्ग फलन् षडबलरहस्य, आजीविका विचार राशि फल विचार भावफल विचार ज्योतिष और रोग सरीखी पुस्तकें बाजार में पहले पहुँच गयी तथा ज्योतिष व दांपत्य जीवन पिछड़ गयी ।
इस पुस्तक के लिए मित्रों व स्नेही जन का आग्रह था कि मेरे गुरूजन कदाचित मेरे द्वारा अपने विचार पाठकों तक पहुँचाना चाहते थे । मेरा भय यही था कि क्या मैं पुस्तक की पाठ्य सामग्री तथा जिज्ञासु पाठकों के साथ न्याय कर पाऊंगा ।
न जाने कब पुस्तक के लिए स्रोत साम्रगी जुटाने का कार्य मित्रों ने स्वयं ही कर डाला । मेरे लिए तो उसमें से सामग्री बटोर कर पुस्तक की रूप रेखा तैयार करने का दायित्व भर बचा ।
श्रीमती मीना सलारिया तथा ज्योतिषाचार्य श्री हरीश आद्या ने विचार विमर्श कर पुस्तक की विषय सूची भी तैयार कर दी । आवश्यक उदाहरण कुंडलियो को भी व्यवस्थित कर दिया ।
पुस्तक के आरंभ मे, भारतीय संस्कृति में विवाह तथा गृहस्थ जीवन पर चर्चा हुई है । उसके बाद विवाह का अर्थ एक ऐसा सबंध जिसको विशेषसावधानी के साथ बिगडने या बिखरने से बचाना ही व्यक्ति का धर्म व सामाजिक दायित्व हैं स्पष्ट किया गया है ।
जन्म कुंडली के सप्तम भाव मे स्थित ग्रह रो पत्नी का रग रूप या स्वभाव जानना बहुत उपयोगी विषय है । दांपत्य सुख के विविध योगो पर चर्चा मे पत्नी सुख की बात कही गई है । विवाह का कारक शुक्र कभी अशुभ ग्रहों के कारण काम पीड़ा या दुराचार की प्रवृत्ति दे सकता है । अत ऐसे मामलो मे सावधानी की आवश्यकता है । ससुराल विचार मे दूर या समीप की ससुराल के योग बताकर लगभग 15 उदाहरण कुंडलियो से विषय को स्पष्ट किया गया है । पीड़ित शुक्र के 8 उदाहरण दिए गए है ।
विवाह संबंधी योगों के साथ शीघ्र विवाह, विलंब से विवाह तथा अविवाहित रहने के (प्रतिबंधक) योगो पर विस्तार से चर्चा हुई है । यहां 13 उदाहरण कुंडलियो पर विचार हुआ है ।
दांपत्य जीवन मे कटुता व अलगाव के ज्योतिषीय कारणों पर उदाहरण सहित चर्चा की गई है । अध्याय 11 मे 6 दपत्ति की 12 कुंडलियां तथा अध्याय 22 में 10 कुंडलिया शामिल की गई है ।
वैवाहिक समस्या और उपचार में मीना जी ने 13 सफलता कथाए दी हैं जो निश्चय ही निराशा के अंधकार मे आशा व उत्साह का प्रकाश फैलाएगी । दांपत्य सुख का ज्योतिषीय आधार भारत मे सुखी दांपत्य पर कुछ दशक पूर्व हुए शोध परिणामों से शुरू हुआ है । इसमे वर वधू के चंद्रमा पर शुभाशुभ प्रभाव तथा विवाह मुहूर्त के योगदान पर उदारहण कुंडलियो द्वारा विशिष्ट चर्चा हुई है ।
विवाह समय का निर्धारण एक रोचक तथा उपयोगी विषय है । यहा ग्रह दशा तथा गोचर पर अनेक विद्वानो के विचारो का समावेश कर 15 उदाहरण कुंडलियों पर चर्चा हुई है ।
श्रेष्ठ पति या पत्नी प्राप्ति के योग मे अनेक मानक ग्रथो से विविध योगों का संकलन किया गया है । आज के युग की आवयश्कता के अनुरूप 15 प्रेम विवाह के सफल उदाहरणों पर चर्चा की गई है ।
मेलापक रहस्य मे मेलापक के अग व उनकी उपयोगिता पर चर्चा करते हुए तीन उदाहरणो से इस विद्या को स्पष्ट किया गया है । दांपत्य जीवन पर शोध मे 30 दंपत्तियो की 60 कुंडलियो पर विचार हुआ है ।
विवाह को तनाव मुक्त रखने के लिए कुछ सिद्ध मंत्रो का आश्रय लिया गया है । ये सभी मंत्र कालजयी व हजारो वर्ष से प्रयोग किए जा रहे है । हनुमान चालीसा, पार्वती मंगल या जानकी मंगल का पाठ विवाह मे विलम्ब मिटाता है तो दांपत्य जीवन में कटुता या बिखराव से रक्षा करता है । ये मेरा निजी अनुभव है जो अब पाठकों का अनुभव बनेगा । गोपाल की करी सब होई जो अपना पुरूषरथ मानै अति झूठी है सोई तो गोपाल की ये कृति उन्ही के सखाओ को सौपने में मुझे प्रसन्नता हो रही है । आशा है विज्ञ पाठकों का स्नेह पूर्ववत बना रहेगा । इसमें जो भी कुछ श्रेष्ठ व सुन्दर है वह सब प्रचीन मनीषियो की दिव्य दृष्टि तथा आधुनिक विद्वानो के परिश्रम का फल है । उसका श्रेय विज्ञ पाठक उन्ही को दे । जो कुछ दोष पूर्ण, आधा अधूरा या अस्पष्ट है वह निश्चय ही मेरे अज्ञान व प्रमाद को दर्शाता है । कृपया भूलो को सुधार कर सूचित करें जिससे अगले सस्करण मे उस दोष का निराकरण किया जा सके ।
पुस्तक एक दृष्टि में
1 भारतीय संस्कृति में विवाह का स्वरूप व महत्त्व ।
2 जन्म कुंडली से पत्नी के रग रूप तथा स्वभाव का ज्ञान ।
3 सप्तमस्थ ग्रह से पत्नी का व्यवहार जानना ।
4 सप्तम भाव से सम्बन्धित योग ।
5 विभिन्न भावों में स्थित शुक्र का फल (8 उदाहरण कुंडलियां)
6 ससुराल दूर, पास, धनी ससुराल के योग (उदाहरण दूर ससुराल 4, समीप ससुराल 5 धनी ससुराल 7 16 कुंडलिया)
7 शीघ्र विवाह के योग (11 उदाहरण कुंडलियां)
8 विलम्ब से विवाह होने के योग (10 उदाहरण कुंडलियां)
9 विवाह प्रतिबंधक योग (10 उदाहरण कुंडलियां)
10 दांपत्य जीवन में कटुता के ज्योतिषीय कारण (6 दंपत्तियों की 12 उदाहरण कुंडलियां)
11 कष्ट व क्लेश का ज्योतिषीय विवचेन (10 उदाहरण कुंडलियां)
12 विवाह सम्बन्धी समस्याओं का उपचार (13 उदाहरण कुंडलियां)
13 शुक्र का परस्पर सम्बन्ध, जन्म राशि से स्वभाव तथा नक्षत्र दोष के परिहार पर विचार हुआ है ।
14 मुहूर्त की शुभता बढ़ाने वाले योग बताए हैं ।
15 विवाह समय जानने के नियम (15 उदाहरण कुंडलियां) (15 प्रेम विवाह की उदाहरण कुंडलियां)
16 मेलापक क्या, क्यों, कैसे(6 उदाहरण कुंडली से मेलापक विचार)
17 दांपत्य जीवन एक शोध पत्र (30 दंपत्तियों की 60 कुंडलियों पर विचार)
18 वैवाहिक सुख वृद्धि के मंत्र(कुल कुंडलियां संकलित हैं)



















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