बहुचर्चित ऑडियो शो Insta Millionaire के लेखक स्वप्निल जैन का जन्म राजस्थान के एक छोटे से नगर भवानी मंडी में हुआ। स्कूली शिक्षा वहीं से पूरी हुई और वहीं से खोज शुरू हुई कला और उससे जुड़ी संस्थाओं की। व्यापार प्रधान नगर होने की वजह से जब भवानी मंडी में यह मौक़ा नहीं मिला तो ये जयपुर चले आए। जर्नलिज़्म और मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन शुरू हुई और उसी दौर में शुरू हुआ रंगमंच। मंच पर अभिनय से शुरुआत करने के बाद नाटक के लेखन और निर्देशन में भी हाथ आजमाया। लगभग तीस से ज़्यादा नाटकों में अलग-२ रूप से जुड़ना हुआ। स्वप्निल के नाटक 'Romeo and Juliet in Smart Cities of Contemporary India', 'हैं!', 'प्यारे सुमित', 'Written By Gajendra', 'कहत कबीर' आदि को भारत के अलग-२ कोनों में खेला गया है।
ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद शिक्षा में रंगमंच के क्षेत्र में अभिषेक गोस्वामी जी के सानिध्य में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथ एक लंबे वक़्त के लिए काम किया।
फ़िलहाल स्वप्निल मुंबई में अलग-अलग माध्यमों में लेखन कार्य में सक्रिय हैं।
कोरोना की प्रथम लहर से पहले का दौर था। देश तमाशे की चपेट में था। जहाँ एक तरफ़ विश्व की बाक़ी सरकारें कोरोना से बचाव के उपायों के बारे में विमर्श कर रही थीं, एक्शन ले रही थीं, वहीं हमारी सरकार एक राज्य में विधायकों के जोड़-तोड़ कर अपनी पार्टी की सरकार बनाने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई थी। और फिर अचानक, एक दिन एलान हुआ रूह कंपा देने वाले संपूर्ण लॉकडाउन का। पूरा देश और उसके लोग छोटे-छोटे पिंजरों में कैद हो गए।
लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ़ घरों गाँवों और शहरों की तालाबंदी कर दी गई थी, बल्कि राज्यों की सरहदों को भी सील कर दिया गया था और इसका एहसास मुझे तब हुआ जब मुझे पता चला कि मैं उस पार अपने दोस्तों से मिलने नहीं जा सकता। मैं मानसिक और भावनात्मक रूप से अपाहिज महसूस कर रहा था। जब सब कुछ ठप्प पड़ गया था, तब उम्मीद जिंदा रखने के लिए नज़र सिर्फ़ रिश्तों की तरफ़ घूमती थी। रिश्ते वो नहीं जो आपको मिले, रिश्ते वो जिन्हें आपने बनाया। फोन और वीडियो कॉल अपनी जगह पर थे, लेकिन उस वक़्त आमने-सामने मिलने की जो हूक थी, उसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता था।
इसी हूक से उपजे हमारे उपन्यास के मुख्य किरदार हिमांशु और नमिता। विकासशील भारत की तस्वीर हिमांशु और नमिता, देश के विकास के चक्कर में हिमांशु और नमिता का व्यक्तिगत विकास कहीं पीछे छूट गया था। उनके बचपन का प्यार लॉन्ग डिस्टेंस की पटरी पर जैसे-तैसे चल रहा था, लेकिन अब दोनों के दिल में अपना डिस्टेंस कम से कमतर करने की कसक उठने लगी थी। दोनों अपने बीच से स्क्रीन नाम का पर्दा हटा देना चाहते थे। वे चाहते थे कि उनकी आवाज़ बिना किसी माइक्रोफ़ोन की मदद के, सीधे कानों में जाये। जब दोनों एक दूसरे से मिलने ही वाले थे कि तभी लॉकडाउन लग गया और फिर उस कसक ने जन्म दिया इस कहानी को।
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