जब भी कभी सौन्दर्य की बात आती है तो बेशक वह नारी के सौन्दर्य के रूप में ही अभिव्यक्त होती है। प्रकृति के सौन्दर्य को जिस तरह दरकिनार नहीं किया जा सकता उसी तरह नारी की सुंदरता को भी नकारा नहीं जा सकता। तन और मन की अद्वितीय सुंदरता के कारण नारी कभी चित्रकार की कूंची में, कभी कवि की लेखनी में, कभी मूर्तिकार के शिल्प में ढलती नजर आती है।
यह हमारा स्वभाव है कि हम खुद को सबसे अलग और सुंदर देखना चाहते हैं। इसी चाह में न जाने क्या-क्या जतन करते हैं लेकिन जागरुकता के अभाव में हम यह नहीं पहचान पाते कि हर स्त्री में सौन्दर्य किसी न किसी रूप में विद्यमान होता है। इसके लिए हमें खुद को पहचानना आवश्यक है। बाहरी सुंदरता के साथ-साथ आंतरिक सुंदरता का होना भी अति आवश्यक है। मन चमकेगा तभी तन चमेकगा। ईर्ष्या, द्वेष, भय, खिन्नता, कुंठा, क्रोध, अहंकार, तनाव, नकारात्मक भाव आदि का प्रभाव चेहरे पर भी दिखाई देता है। इन पर विजय पाने के बाद चेहरा हमेशा गुलाब की तरह खिला रहेगा।
चेहरा हमारे व्यक्तित्व का परिचायक होता है। हमारा सारा आत्मविश्वास चेहरे से झलकता है, लेकिन यदि हम सुंदरता में स्वयं को दूसरों से कमजोर मानकर कुंठा पाल लें तो शायद हम कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। अकसर महिलाएं अपने सांवले रंग के कारण परेशान रहती हैं। उनके मन में यह हीन भावना घर कर जाती है कि मैं सांवली हूं इसलिए खूबसूरत नहीं दिख सकती। इसी कुंठा से ग्रसित होकर वे गोरा दिखने के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक आजमाकर अपने चेहरे का सौन्दर्य बिगाड़ लेती हैं। गोरा दिखने की चाह में हम बाजार में उपलब्ध रासायनिक प्रसाधनों का इस्तेमाल करने लगते हैं। इससे कुछ समय के लिए तो त्वचा साफ हो जाती है लेकिन धीरे-धीरे यह रसायन हमारी त्वचा को क्षतिग्रस्त करने लगते हैं। इसलिए सुंदर दिखने की चाह में हमें त्वचा के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
हमारी सभी की त्वचा में अलग-अलग खूबियां और खामियां होती हैं। त्वचा की सही देखभाल तभी हो सकती है जब उसका अध्ययन किया जाए। बिना अध्ययन हम त्वचा की खामियों को दूर नहीं कर सकते। रासायनिक पदार्थों से बने सौन्दर्य प्रसाधनों के स्थान पर हर्बल प्रसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। यह प्रसाधन चेहरे में कांतिमय परिवर्तन लाते हैं। जड़ी-बूटियों के प्रयोग से त्वचा में निखार के साथ-साथ त्वचा संबंधी विकार भी दूर हो जाते हैं। पुरातन काल से ही घरेलू सौन्दर्य प्रसाधन काफी प्रचलित रहे हैं। यह नुस्खे आज भी कारगर साबित होते आ रहे हैं। इनका त्वचा पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं होता। यह हर तरह की त्वचा के लिए उपयोगी होते हैं। प्राकृतिक वस्तुएं और खाद्य सामग्री में से कई चीजें हमारा सौन्दर्य निखारने में बहुत उपयोगी होती हैं। बस जरूरत है तो उनकी सही जानकारी और इस्तेमाल की। प्रस्तुत पुस्तक में रासायनिक प्रसाधनों के स्थान पर पारम्परिक पद्धतियों की जानकारी दी गई है।
सौन्दर्य का तात्पर्य चेहरे के अलावा हमारे पूरे व्यक्तित्व से भी होता है। यदि हम स्वस्थ नहीं रहेंगे तो बाहरी सुंदरता भी बनावटी दिखेगी। चेहरे पर प्राकृतिक चमक और निखार नहीं आ पाएगा। खूबसूरती का मतलब यह नहीं होता कि आप दूसरों से श्रेष्ठ हैं बल्कि इसका मतलब यह होता है कि आप अपने शरीर को पर्याप्त पोषण दे रहे हैं या नहीं। बालों से लेकर त्वचा तक, शरीर के हर हिस्से को उचित पोषण देना अच्छे स्वास्थ्य और खूबसूरत होने की निशानी है। पुस्तक में न केवल शारीरिक सौन्दर्य को निखारने के लिए आधुनिक तकनीक की जानकारियां दी गई हैं बल्कि ढेरों आयुर्वेदिक उपाय भी सुझाए गए हैं। मेनीक्योर, पेडीक्योर, बालों की समस्याएं, त्वचा की देखभाल से लेकर मसाज तक और सौन्दर्य उपचार में परम्परागत रूप से काम आने वाली घरेलू सामग्री के बारे में भी पुस्तक में विस्तार से बताया गया है। इसके साथ ही आहार और व्यायाम के सौन्दर्य के साथ रिश्ते को भी समझाने की कोशिश की गई है। विभिन्न फल और सब्जियों का सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसे भी परिभाषित करने का प्रयास किया गया है।
सौन्दर्य की सभी व्याख्याओं को एक पुस्तक में समेटने का यह प्रयास उन सभी के लिए उपयोगी होगा जो एक ही स्थान पर सौन्दर्य से संबंधित अपनी सभी समस्याओं का समाधान चाहते हैं।
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