भूमिका
अगस्त 15, सन् 1947 को भारत देश स्वतंत्र हुआ। असंख्य लोगों के बलिदान के कारण हमें स्वतंत्रता मिली। यह स्वतंत्रता बहुमूल्य नहीं अमूल्य है। एक गीत में कहा गया है- "देशप्रेम का मूल्य प्राण है, देखें कौन चुकाता है। देखे कौन सुमन शय्या तज कंटक पच अपनाता है।।" गीत की इस पंक्ति को चरितार्थ करते हुए असंख्य हुतात्माओं ने हमारे लिए अपने प्राण उत्सर्ग कर दिए। परिवार के परिवार, पीढ़ियां, ग्राम के ग्राम, नगर बलिदान हो गए भारत माता को परतंत्रता की बेड़ियों से छुड़ाकर स्वतंत्र कराने के लिए। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाला बच्चा, बूढ़ा, महिला और जवान, हर आयु वर्ग का व्यक्ति था। ग्रामवासी, नगरवासी, गिरिवासी और वनवासी चहुं दिशा से भारत की स्वतंत्रता के महायज्ञ में आहुतियां डाली गई। स्वतंत्रता संग्राम के इस विशाल व विराट महायज्ञ की परिणीति हुई और देश स्वतंत्र हुआ।
15 अगस्त 2021 से 15 अगस्त 2022 तक भारतीय स्वतंत्रता का 75वां वर्ष था। इस विशेष वर्ष को पूरे भारत वर्ष में 'आजादी का अमृत महोत्सव' इस नाम से मनाया गया। 15 अगस्त 2021 से 'आजादी का अमृत महोत्सव' नाम से एक लेख शृंखला राष्ट्रीय शिक्षा डॉट कॉम पर प्रारम्भ की गई... जिसका उद्देश्य नवीन पीढ़ी को यह बताना है कि... आजादी हमें यूं ही नहीं मिल गई गुमनामी के अँधेरों में अनेक "अनिर्दिष्टा वीराः" खो गये, उनका पुनस्मरण करना स्वातंत्र्य समर के तथ्यों को सही रूप में जानना पूरा भारत कभी भी परतंत्र नहीं रहा अंग्रेजों ने शांतिपूर्वक राज्य नहीं कर लिया, पग-पग पर भारतीय शौर्य ने उन्हें टक्कर दी बिना खड्ग बिना ढाल वाली आजादी नहीं है समाज का प्रत्येक वर्ग साथ खड़ा हुआ तो आजादी मिली 1857 में जिन रियासतों आदि अनेक ऐसे तथ्य, पहलू, घटनाएँ, नाम आदि है जिनसे नवीन पीढी अनभिज्ञ है और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें ये सब बातें जानना आवश्यक है ताकि इतिहास से प्रेरणा प्राप्त कर नवीन पीढ़ी एक स्वर्णिम भारत का निर्माण कर सके। 'आजादी का अमृत महोत्सव' लेख शृंखला को संपादित कर 'श्री स्वतंत्रते' शीर्षक से पुस्तक रूप में आपके सामने प्रस्तुत है। पाठक वर्ग से अपेक्षा है कि स्वयं पढ़कर नई युवा पीढ़ी को इसके अध्ययन की प्रेरणा दे। जो विद्यार्थी कम आयु के हैं और इसको पढ़ने व समझने में अभी सक्षम नहीं है, उन्हें उनके स्तर पर जाकर इन विषयों को प्रेषित करे। भारत देश भाषाओं की विविधताओं का देश है। अतः पाठकों से यह भी अपेक्षा रहेगी कि वे विषय वस्तु को स्थानीय भाषा/मातृभाषा में अनुवादित कर समाज तक इन महती जानकारियों को पहुंचाएं। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव से अमृतकाल की वेला में आप सभी सुधि पाठकों का सहयोग अपेक्षित है।
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