महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा यजुर्वेद के संपूर्ण 40 अध्यायों के 1975 मंत्रों की साधारण हिंदी भाषा में व्याख्या की गई है जो 1216 पृष्ठों में लिखित है। आज का मानव धन एवं संपत्ति को एकत्र करने में इतना संलग्न है कि इतने बड़े ग्रंथ को देखकर पढ़ने से हिचक जाता है और पढ़ने का समय नहीं निकाल पाता। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने इस ग्रंथ के हर अध्याय में जो मानव सुख शांति प्राप्त करने के उपाय बताए हैं उनका संक्षिप्त विवरण देने का प्रयत्न किया है, जिसको साधारण व्यक्ति भी पढ़कर आचरण में ला सके और अपने जीवन में सुख व शांति को प्राप्त कर सके।
वेद ईश्वरीय ज्ञान का भंडार है। मानव जाति को यज्ञ करने का उपदेश अर्थात् मानव उपकार के कार्य करने की शिक्षा दी है। मानव को विद्या और धर्म का उपदेश धारण करके अपने और दूसरों के सुख व शांति की वृद्धि करनी चाहिए। जड़ वस्तु की उपासना का निषेध और चेतन ईश्वर की उपासना करके मोक्ष प्राप्ति का प्रयत्न करना चाहिए और इस संसार के जीवन और मरण के चक्कर से मुक्त होना चाहिए।
इस ग्रंथ में चारों वर्ण- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र तथा चारों आश्रम- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास के कर्तव्यों और गुणों का वर्णन है।
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