| Specifications |
| Publisher: Randhir Prakashan, Haridwar | |
| Author Biswanath Rajguru | |
| Language: Sanskrit Text with Hindi Translation | |
| Pages: 270 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 460 gm | |
| Edition: 2025 | |
| ISBN: 9789391939866 | |
| HBV980 |
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हेतवे जगतामेव संसारार्णव-सेतवे।
प्रभवे सर्वविद्यानां शम्भवे गुरवे नमः ॥
'शिव डामर तन्त्र' के अनुसंधान और अध्ययन हेतु अनेक दशकों तक विभिन्न पुस्तकालयों की हस्तलिखित पाण्डुलिपियों का अन्वेषण करने से हमें यह ज्ञात हुआ कि 'शिव डामर' तन्त्र शास्त्र का अद्भुत कोष है, जिसमें अनगिनत रत्न भरे हुये हैं। सर्वसाधारण पाठकों हेतु उपयोगी एवं प्रायोगिक तन्त्र का यह महत्त्वपूर्ण संकलन है। इस शिव डामर की सूक्ष्मता को मात्र इसके लेखन से न आँककर इसके प्रयोग-प्रक्रिया की दृष्टि से भी समझना आवश्यक है। उच्चाटन, मोहन, मारण के अत्यन्त प्राचीन व अद्भुत डामरीय प्रयोग इसमें विधिवत् पिरोये गये हैं। इन प्रयोगों की गूढ़ व्यवस्था को प्रत्यक्ष समझने हेतु प्रायोगिक निर्देशन भी उतना ही आवश्यक है, अतः गुरु महत्ता निःसंदेह है।
शिव डामर तन्त्र की अनेक विशेषताओं में से एक विशिष्टता यह भी है कि इसमें वशीकरण हेतु प्रयुक्त होने वाली सामग्री का सविस्तार वर्णन किया गया है, जो अन्यत्र दुर्लभ है। तन्त्रज्ञ विद्वान तान्त्रिक कर्म की सिद्धि हेतु इन सब सामग्री-साधन को अत्यावश्यक मानते हैं। जप, मन्त्र, यन्त्र प्रयोग, जड़ी-बूटी साधन, लेपादि के अचूक उपाय इस डामर तन्त्र की ही देन हैं।
२२ अध्यायों में समाहित इस शिव डामर तन्त्र के कुछ अंश अन्य तन्त्र ग्रन्थों में भी यत्र-तत्र मिलते हैं। इसका कारण सम्भवतः शिव डामर की गोपनीयता व अनुपलब्धता ही रही होगी। काशी और कलकत्ता के दो ग्रन्थालयों से इस प्राचीन ग्रन्थ की जीर्ण-शीर्ण हस्तलिखित प्रति के दो अलग-अलग अंशों से ही इसे विद्वानों की सहमति से संकलित किया गया है। अध्ययन व शोध के पश्चात् इसका उचित हिन्दी अनुवाद संग्रहित करके इसे अब पाठकों हेतु पहली बार उपलब्ध कराया गया है।
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