आप सभी को शुभ 74 वें गणतंत्र दिवस एवं वसंत पंचमी की शुभकामनाएं। आज के महान दिवस पर मेरे मानस में एक विचार का बीजारोपण हुआ है। यदि प्रभु और माँ की कृपा हुयी तो यह बीज एक वटवृक्ष का रूप लेकर आपके समक्ष आ सकता है।
आप सभी ने मेरी गत तीन रचनाओं "क्षीर सागर का वासी", "देव वानर" एवं "समुद्र मंथन" को भरपूर समर्थ दिया। आपकी शुभकामनाओं और समर्थन से प्रेरित होकर मैंने "श्रीमद् देवी भागवत" से प्रेरणा लेकर माँ के चरित्र रूपी सागर को अपनी लेखनी के माध्यम से एक गागर में भरने का विचार किया है। यदि माँ की कृपा हुयी तो यह गागर भरकर आपकी आध्यात्मिक तृष्णा बुझाने का प्रयत्न सफल हो जाए।
मैं अपनी इस पुस्तक के लिए आप सभी को धन्यवाद दे रहा हूँ। क्योंकि आपके कारण ही मैं इसको लिखने का साहस कर पाया। सहयोग के लिए "बोधरस प्रकाशन" और व्यक्तिगत रूप से श्री अमित तिवारी का हृदय से धन्यवाद दे रहा हूँ क्योंकि लिखने के लिए शक्ति अवश्य ही माँ और प्रभु ने प्रदान की परन्तु प्रोत्साहन आप सबसे, परिवार से और श्री अमित तिवारी से ही प्राप्त हुआ।
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