पाठक, सामान्य तौर पर, किसी पुस्तक की भूमिका और प्रस्तावना को छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं- मैंने स्वयं भी एक पाठक के रूप में कई बार ऐसा किया है। किंतु जब मैंने लिखना आरंभ किया तो अनुभव किया कि भूमिका और प्रस्तावना किसी पुस्तक का बहुत ही महत्त्वपूर्ण भाग होते हैं। सच तो यह है कि किसी पुस्तक की भूमिका लिखने में अध्याय लिखने से ज़्यादा समय और परिश्रम लगता है। क्योंकि भूमिका में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं:
कि इस पुस्तक लिखने की आवश्यकता क्या थी? कि इस पुस्तक का मूल संदेश क्या है? वर्तमान पुस्तक के संबंध में कृपया मुझे इन प्रश्नों के उत्तर बताने की अनुमति दें।
अंटार्कटिका की बर्फीली चोटियों से लेकर मध्य-पूर्व के बीहड़ रेगिस्तानों तक, किसी ऐसे व्यक्ति से मिलना जो 'प्रगाढ़ संबंधों' और 'स्थाई सफलता' के लिए लालायित न हो, मात्न एक चुनौती से कहीं ज़्यादा है। हममें से हर कोई अच्छे संबंध चाहता है, लेकिन क्या उन्हें बनाना आसान है? अनगिनत लोग जीवन में सफलता के लिए प्रयास करते हैं, लेकिन कितने लोग जान पाते हैं कि सच्ची सफलता होती क्या है और इसे प्राप्त कैसे किया जा सकता है?
सफलता और संबंधों के लिए कुछ उपायों पर विचार करना इसमें अत्यधिक सहायक हो सकता है, लेकिन अगर आपको उन्हें किसी नायक के जीवन से सीखने का मौका मिले फिर तो अलग ही बात होगी न? क्या यह अत्यधिक व्यावहारिक और ज्ञानप्रद नहीं होगा? पारिवारिक और सौहार्दपूर्ण संबंधों के सूक्ष्म पहलुओं का विश्लेषण करने से ऐसे सबक मिल सकते हैं जो स्थाई रूप में हमारे हृदय में अंकित रहेंगे। इस पुस्तक के माध्यम से मैंने ऐसा ही करने का विनम्र प्रयास किया है।
लेकिन ध्रुव कौन हैं और उनके जीवन के बारे में गहराई से क्यों जानना चाहिए? हमारे नायक ध्रुव की अद्भुत कथा ऋषि व्यास द्वारा लिखित महान कृति श्रीमद्भागवत में मिलती है। यह पुस्तक राजकुमार ध्रुव के जीवन, उनके बचपन से लेकर ध्रुवलोक, ध्रुव तारे पर जाने तक की याला का विस्तृत वर्णन है। इस रोमांचक यात्रा में आपको निश्चित रूप से सफलता और संबंधों के लिए रत्न जैसे सून मिलेंगे। प्रत्येक पृष्ठ को पलटने के साथ, आप उन कठीन से कठीन सूत्लों को सरलता और सुगमता से आत्मसात कर सकेंगे जिनका अनुसरण करने पर सच्ची सफलता और सार्थक संबंधों के द्वार खुलेंगे। इस कथा में विभिन्न व्यक्तित्वों की गतिविधियाँ और दृष्टिकोण अच्छे संबंधों और सफलता की कुंजी के बारे में अद्भुत अंतर्दृष्टि को व्यावहारिक रूप से उजागर करते हैं।
संबंधों पर चर्चा क्यों प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण है? मिट्टी का घड़ा एक बार टूट जाने के बाद दोबारा उपयोग के लायक नहीं रह जाता। अगर कोई टूटे हुए घड़े को जोड़कर उसे फिर से उपयोग के लायक बना भी ले, तो भी उसे उपयोग करते समय बहुत सावधान रहना पड़ता है। ऐसे मरम्मत किए गए घड़े को नए बने घड़े से ज़्यादा संभालना पड़ता है। क्योंकि ऐसे घड़े को थोड़ी-सी भी लापरवाही से संभालना उसे हमेशा के लिए ऐसे तोड़ देता है कि फिर उसे ठीक नहीं किया जा सकता। रिश्ते भी ऐसे ही घड़े की तरह होते हैं। अगर कोई अपनी वाणी और व्यवहार के मामले में संवदेनहीन है, तो इससे किसी का हृदय टूट सकता है और उसे फिर से ठीक नहीं किया जा सकता। ध्रुव की कहानी से संबंधों की गतिशीलता और यह सीखना कि कैसे हमारी वाणी की प्रकृति उन्हें बनाती या बिगाड़ती है, रोमांचक है।
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