| Specifications |
| Publisher: Ananda Sangha Publications, Gurgaon | |
| Author Jyotish John Novak | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 133 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 180 gm | |
| Edition: 2017 | |
| ISBN: 9788189430436 | |
| HBH437 |
| Delivery and Return Policies |
| Ships in 1-3 days | |
| Returns and Exchanges accepted within 7 days | |
| Free Delivery |
आप एक अद्भुत यात्रा आरम्भ करने वाले हैं, एक यात्रा जो स्वयं आपके अनखोजे केन्द्र तक है। इस रास्ते में आप जानेगें कि आपमें वह शक्तियाँ और क्षमताएँ हैं जिनका आपको केवल मन्द अहसास था।
योग एक प्राचीन विज्ञान है, वास्तव में इतना प्राचीन कि इसकी जड़ें समय की धुंध में लुप्त हो गयी हैं। हम जानते हैं कि यह योग विद्या कम से कम सात हज़ार साल पुरानी है क्योंकि भारत के मोहनजो दाडो में पाए गए प्रागैतिहासिक शिला-लेखों पर लोगों को योगासनों में चित्रित दिखाया गया है। योग पर धर्मग्रंथ लिखने की हज़ारों वर्ष पुरानी परम्परा रही है। और फिर भी यह पुराना दर्शन शास्त्र भर नहीं है जो समय बीतने के साथ घूसर और क्षत-विक्षत हो गया हो। यह एक जीवन्त परम्परा है! शताब्दियों से इसका निरंतर अभ्यास और इसे परिष्कृत किया गया है। भारत में प्रत्येक पीढ़ी के अपने संत और ज्ञानी रहे हैं। हमारी शताब्दी में कई महान योगी हुए हैं जो सचेतता की उच्चतम संभव अवस्थाः आत्मबोध, को प्राप्त कर चुके हैं।
Send as free online greeting card
Visual Search