मैं व्यक्तिगत रूप से आपका आभारी हूँ। आपने मेरी सभी गत रचनाओं को अपनी स्वीकृति दी। "शंकरा" भाग 2 आपके पास पहुँच चुकी है। अब मैंने विचार किया है तथा अनेकों पाठकों की माँग भी है कि श्री गणेश पुराण को आपकी सेवा में प्रस्तुत किया जाए। इसी क्रम में आज के शुभ दिन रक्षाबंधन के अवसर पर प्रारम्भ करके शीघ्र ही श्री गणेश पुराण पर आधारित एक ही खण्ड में आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ। आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि मेरे द्वारा लिखित अन्य पुस्तकों के समान ही यह पुस्तक भी आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होगी।
अपने इस प्रयास के लिए मैं बोधरस प्रकाशन, विशेषकर श्री अमित तिवारी, परिवार के सदस्यों एवं पर्दे के पीछे रहकर मुझे प्रोत्साहित करने वाले सभी सज्जन पुरुषों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
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