आमुख
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एन.सी.एफ.) 2005 में यह सिफारिश की गई है कि बच्चों के स्कूल के जीवन को उनके स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ा जाए। सन् 2006 के बाद प्रकाशित सभी प्रमुख विषयों की नयी पाठ्यपुस्तकों में इस सिफारिश का समावेश किया गया है। पर्यावरण संबंधी जागरूकता के संदर्भ में एन.सी.एफ. में निहित अधिगम में एक विषय को दूसरे विषय से पृथक करने वाली परंपरागत सीमाओं को समाप्त करने का प्रयास किया गया है। इस अधिगम के अनुसार पर्यावरणीय समस्याओं की जानकारी और क्रियाकलापों से इस ज्ञान में वृद्धि के साथ-साथ सकारात्मक प्रवृत्ति विकसित होती है जिसका स्कूल पाठ्यक्रम के विभिन्न चरणों के सभी क्षेत्रों में समावेश किया जाना चाहिए। आवास और अधिगम पर राष्ट्रीय फोकस समूह ने एन.सी.एफ. के इस संदर्श को विस्तृत करते हुए कहा है "माना आवास, आकाश और काल में आश्चर्यजनक परिवर्तनशीलता प्रदर्शित करता है और वैश्विक दृश्य के संदर्भ में इसकी समझ, स्थान विशिष्ट होनी चाहिए। पर्यावरण के संबंध में बहुत कुछ ज्ञान भारत के ग्रामीण पारिस्थितिकीविदों और साधारण जनों के पास है।"
एन.सी.एफ. की दृष्टि से स्कूली बच्चे भी अपने आप में पारिस्थितिकीविद् जिनके ज्ञान को स्कूल की नम्य दिनचयों और उन शिक्षकों द्वारा विकसित किया जाना चाहिए जो ज्ञान के विकास में बच्चों के साथ जुड़े हैं। सभी प्रमुख विषयों के पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में पर्यावरण संबंधी विषयवस्तु के समावेश के साथ-साथ एन.सी.ई.आर.टी. ने कक्षा छः से कक्षा दस तक के बच्चों के लिए परियोजना पुस्तकों को भी प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। इस पुस्तकमाला के अंतर्गत आलोचनात्मक और बहु विषयी चिंतन की क्षमता विकसित करने के साथ-साथ एक सकारात्मक और समस्या हल संबंधी प्रवृत्ति भी दर्शाई गई है। इनका उद्देश्य विद्यार्थियों को प्राकृतिक, सामाजिक और वास्तविक जीवन से अवगत कराना है ताकि वे स्वयं पर्यावरण संबंधी समस्याओं और चिंताओं का परीक्षण, आकलन और व्याख्या कर सकें। अंतिम उद्देश्य यही है कि सामाजिक-सांस्कृतिक लोकाचार को प्रोत्साहन दिया जाए जो भारत को नैतिक दृष्टि से सशक्त और दीर्घोपयोगी विकास के पथ पर अग्रसित होने में सहायक हो। इस पुस्तकमाला में जो कार्यकलाप शामिल किए गए हैं इनके लिए विस्तृत और सतत प्रेक्षण सामग्री की आवश्यकता होती है ताकि विद्यार्थी और शिक्षक परिघटना के प्रतिरूपों का अवलोकन कर सकें। ऐसी परियोजनाओं के परिणामों को जन अभिगम्य वेबसाइटों पर डालने से राष्ट्र के लिए पर्यावरण संबंधी समेकित और पारदर्शी डाटाबेस के क्रमशः सृजन में सहायता मिलेगी।
आभार
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एन.सी.ई.आर.टी.) परियोजनाओं के विकास में निम्नलिखित संकाय सदस्यों के विभिन्न रूपों में योगदान के लिए आभार व्यक्त करती है: अपर्णा पांडे, प्रवक्ता, डी.ई.एस.एस.एच.. एन.सी.ई.आर.टी. प्रतिमा कुमारी, प्रवक्ता, डी.ई.एस.एस.एच.. एन.सी.ई.आर.टी.; एम.वी. श्रीनिवासन, प्रवक्ता, डी.ई.एस.एस.एच., एन.सी.ई.आर.टी.; जया सिंह, प्रवक्ता, डी.ई.एस.एस.एच., एन.सी.ई.आर.टी.; मिली रॉय आनंद, रीडर, डी.ई.एस.एस.एच., एन.सी.ई.आर.टी.; तन्नू मलिक, प्रवक्ता, डी.ई.एस.एस.एच.. एन.सी.ई.आर.टी. आर. मेघनाथन, प्रवक्ता, डी.ओ.एल., एन.सी.ई.आर. टी.; संजय कुमार सुमन, प्रवक्ता, डी.ओ.एल., एन.सी.ई.आर.टी.; कीर्ति कपूर, प्रवक्ता, डी.ओ.एल., एन.सी. ई.आर. टी.; नरेश कोहली, प्रवक्ता, डी.ओ.एल., एन.सी.ई.आर.टी. वरदा एम. निकल्जे, प्रवक्ता, डी.ओ.एल., एन.सी.ई.आर.टी.; अंजनी कौल, प्रवक्ता, डी.ई.एस.एम., एन.सी.ई.आर.टी.। परिषद् इस पुस्तक की पांडुलिपि की समीक्षा और संशोधन के लिए निम्नलिखित शिक्षाविदों की हार्दिक आभारी है: वी. बी. भाटिया, प्रोफ़ेसर (अवकाशप्राप्त), दिल्ली विश्वविद्यालय एवं एन.सी.ई.आर.टी. से प्रकाशित होने वाली कक्षा 7 और 8 की विज्ञान की पाठ्यपुस्तको के लिए मुख्य सलाहकार, वंदना सक्सेना, केंद्रीय विद्यालय सं. 3, दिल्ली केंट, नयी दिल्ली, अनुराधा, सरदार पटेल विद्यालय, लोदी एस्टेट, नयी दिल्ली; नूतन पुंज, केंद्रीय विद्यालय, बी. एस. एफ., चावला, नयी दिल्ली; शुचि बजाज, स्प्रिंगडेल्स, पूसा रोड, नयी दिल्ली; सरोज शर्मा, मदर्स इंटरनेशनल स्कूल, नयी दिल्ली; ललिता एस. कुमार, रीडर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली, कल्याणी कृष्ण, रीडर, श्रीवेंकटेश्वर कॉलेज, नयी दिल्ली; प्रबुद्ध कुमार मिश्रा, शोध विद्यार्थी, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली। परिषद् इस परियोजना पुस्तिका के विकास के पूरे काल में डी. लाहिड़ी, प्रोफ़ेसर (अवकाशप्राप्त) डी.ई.एस.एम., एन.सी.ई.आर.टी. के योगदान के लिए भी हार्दिक आभारी है।
परिषद् नीलाद्रि भट्टाचार्य, प्रोफ़ेसर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली और विनोद रैना, बी.जी.वी.एस.जे., राष्ट्रीय निगरानी समिति की उपसमिति के सदस्य हैं मिले बहुमूल्य सुझावों के लिए उनका हार्दिक आभार प्रकट करती है। परियोजना पुस्तिका के विकास के विभिन्न चरणों में मार्गदर्शन करने और बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने के लिए प्रोफ़ेसर हुकुमसिंह, अध्यक्ष डी.ई.एस.एम. के कुशल नेतृत्व के लिए भी आभार व्यक्त करती है।