गुजरात राज्य, गुजरात साहित्य अकादमी की स्थापना हुई, तब से वह गुजराती, उर्दू, हिन्दी, सिंधी, संस्कृत भाषा साहित्य के विकास-उत्कर्ष में विविध प्रवृत्तियों के माध्यम से अपना योगदान दे रही है। शिष्टमान्य ग्रंथ, अनुवाद, नवोदित कवि-लेखक की कृति और बाल साहित्य का प्रकाशन या प्रकाशन के लिए आर्थिक मदद प्रदान करना; साहित्यिक कार्यक्रम परिसंवाद करना तथा उनके लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना; विविध भाषाओं के साहित्यकारों को पुरस्कार देकर सम्मानित करना और नियमित रूप से मासिक, त्रैमासिक तथा वार्षिक प्रकाशनों द्वारा भाषा-साहित्य के संवर्धन का कार्य अकादमी कर रही है।
श्री रघुवीर चौधरी गुजराती के एक कर्मठ, समर्थ, द्रष्टा रचनाकार हैं। उनके अमृता, उपरवास कथात्रयी, गोकुल-मथुरा-वृंदावन आदि उपन्यासों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। गुजराती का पाठक रघुवीर चौधरी की कविताओं से तो परिचित ही हैं। उनकी कुछ चुनी हुई कविताओं के हिन्दी अनुवाद के इस संकलन का प्रकाशन करते हुए अकादमी अपने दायित्व निर्वाह के साथ-साथ गौरव का अनुभव कर रही है। इसके माध्यम में हिन्दी तथा अन्य भाषाओं के पाठक भी गुजरात के इस मूर्धन्य कवि की कविताओं तक पहुँच सकेंगे। साथ ही उनकी कविताएँ हिन्दी के माध्यम से अन्य भाषाओं में भी अनूदित होकर पहुँचेगी, जिससे गुजरात का गौरव बढ़ेगा, ऐसी आशा है।
इस ग्रंथ के प्रकाशन के लिए अनुमति देकर रघुवीरभाई ने अकादमी को कृतज्ञ किया है। हम अनुवादक श्री वीरेन्द्रनारायण सिंह के भी आभारी हैं, जिन्होंने कविताओं का अनुवाद हमें उपलब्ध कराया। सुंदर प्रिन्टिंग के लिए क्रिश्ना ग्राफिक्स, अहमदाबाद के श्री हरजीभाई पटेल को धन्यवाद देता हूँ। इस ग्रंथ के प्रकाशन से जुड़े अपने सभी सहकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
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