ऋषियों की पुरातन व सनातन ज्ञान परम्परा को सरल भाषा में प्रस्ततु करनेवाले डॉ० सोमवीर आर्य पिछले पन्द्रह (15) वर्षों से योग क्षेत्र में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। यह लगभग बारह (12) वर्षों से योग में जिज्ञासु भाव के साथ शोधपरक कार्य कर रहे हैं। डॉ० आर्य एक योगाभ्यासी साधक, प्रवक्ता, लेखक और परामर्शदाता है। इन्होंने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से योग में आचार्य और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से योग में डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की है। डॉ० सोमवीर आयुष मंत्रालय के YCB में Lead Examiner के साथ-साथ Yoga Head के पद पर कार्य कर चुके हैं। इससे पहले डॉ० आर्य लगातार दो वर्षों तक यूजीसी के Higher Educational Channel (डी०डी० व्यास चैनल) पर योग विषय के लगभग सभी ग्रन्थों को Live Stream के माध्यम से पढ़ाते हुए यूजीसी के पहले योग विशषेज्ञ के रूप में भी काम कर चुके है। अभी तक इनके द्वारा सैकड़ों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय योग कार्यशालाओं का सफल आयोजन किया जा चुका है। अभी तक इनकी छह पुस्तकें (योगदर्शन, हठप्रदीपिका, घेरण्ड सहिता, योगियों का जीवन परिचय, योगवासिष्ठ सार और योगसार) प्रकाशित हो चुकी है। इन्होंने अभी तक सहस्रों विद्यार्थियों को ऑनलाइन माध्यम से योगदर्शन, हठप्रदीपिका, घेरण्ड संहिता, श्रीमद्भगवद्गीता और प्राणायाम के पाठ्यक्रम पढ़ाए है। इसके साथ ही इनके मार्गदर्शन में अभी तक योग प्रमाणीकरण मण्डल (वाईसीबी) के योग प्रोटोकॉल इंस्ट्रक्टर, योग वेलनेस इंस्ट्रक्टर, योग टीचर और योग चिकित्सक के कोर्स भी पढ़ाए जा चुके हैं। डॉ० सोमवीर आर्य विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के अन्तर्गत भारतीय वाणिज्यिक दूतावास अटलांटा, अमेरिका में भारतीय संस्कृति व योग शिक्षक के रूप में दो वर्षों (2019-21) तक अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। वर्तमान में, डॉ० आर्य भारतीय राजनयिक के रूप में विदेश मंत्रालय भारत सरकार के अन्तर्गत स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र सूरीनाम, दक्षिणी अमेरिका में भारतीय संस्कृति के निदेशक (Director of Indian Culture, Second Secretary) के पद पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
डॉ. धर्मबीर यादव अत्यन्त सरल व सहज व्यक्तित्व के साधक हैं। पिछले पंद्रह वर्षों से इनका योग के क्षेत्र में अग्रणीय योगदान रहा है। योगमय जीवनचर्या का पालन करने वाले डॉ. धर्मबीर ने योग में PG Diploma (Gold Medal), M.A, NET-JRF व Ph.D की डिग्री प्राप्त की है। डॉ. धर्मबीर आयुष मंत्रालय के योग प्रमाणीकरण मंडल (YCB) में परीक्षक भी है। डॉ. धर्मबीर योग परिवार सोसायटी के कार्यकारिणी सदस्य, अध्यात्म योग संस्थान हरियाणा के प्रेसिडेंट व इंटरनेशनल नेचुरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन (INO) हरियाणा के संयोजक भी है। डॉ धर्मबीर योगासन प्रतियोगिता में विश्व योग चैंपियन है तथा राष्ट्रीय योगासन प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका भी निभाते रहे हैं। लेखन व शोध-कार्य में विशेष रुचि होने का ही परिणाम है कि अब तक इनके दर्जनों रिसर्च पेपर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. धर्मबीर की छह पुस्तकें (योगियों का जीवन परिचय, योगसार, योगवासिष्ठ सार गीता योगामृत योग A Way of Life, नैचुरोपैथी A Way of Life भी प्रकाशित हो चुकी है। अनेक मंचों पर योग की प्रस्तुति कर चुके थीं. धर्मबीर वर्तमान में इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी, रेवाड़ी (हरियाणा) वो योग विभाग में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत हैं।
योग का ज्ञान सागर की भाँति विस्तृत व गहरा है। उस सागर रूपी ज्ञान को इस पुस्तक रूपी गागर में भरने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत योगसार पुस्तक में योग के अर्थ से लेकर योग के लक्ष्य तक सभी पक्षों का वर्णन किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न ग्रंथों के अनुसार योग का अर्थ व परिभाषाओं का वर्णन किया गया है। योग की उत्पत्ति से लेकर उसके विकास क्रम को बताया गया है। योग के उद्देश्यों के साथ-साथ इसके लक्ष्य का भी निरूपण करते हुए, योग के क्षेत्र में व्याप्त भ्रांतियों का निवारण भी किया गया है। भारतीय संस्कृति के स्तंभ पुरुषार्थ चतुष्ट्य, आश्रम व्यवस्था व पोडश संस्कार का योग में महत्व को ध्यान में रखते हुए इस द्वितीय संस्करण में इनका सामान्य परिचय दिया गया है।
इस पुस्तक में वेदों, उपनिषदों, गीता, सभी भारतीय दर्शनों, योग वासिष्ठ, पुराणों, आयुर्वेद, नारद भक्ति सूत्र व सूफिज़्म में वर्णित योग के स्वरूप का विस्तृत वर्णन पाठकों के ज्ञान में वृद्धि करने का काम करेगा। इसके साथ-साथ यहाँ पर सभी प्रमुख योग साधनाओं का भी वर्णन किया गया है। जिनमें ज्ञानयोग, भक्ति योग, कर्मयोग, अष्टांग योग, राजयोग, हठयोग, मत्रं योग, लययोग व नादयोग प्रमुख हैं।
प्रत्येक पाठक चाहता है कि उसे कम-से-कम पुस्तकों में अधिक-से-अधिक सामग्री पढ़ने को मिले। पाठकों की इस इच्छा को ध्यान में रखते हुए, योगसार पुस्तक में पतंजलि योगसूत्र, हठप्रदीपिका, घेरंड संहिता, हठरत्नावली, सिद्ध सिद्धांत पद्धति, योगबीज, शिव संहिता, वसिष्ठ संहिता, गोरक्ष संहिता व याज्ञवल्क्य स्मृति आदि यौगिक ग्रंथों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। इसके साथ-साथ पुस्तक में मानव शरीर संरचना विज्ञान, प्राण व उपप्राण का स्वरूप, पंचकोश की अवधारणा, चित्त की भूमियाँ, चित्त की वृत्तियाँ, पंच क्लेश और चक्र व नाड़ी तंत्र की जानकारी भी दी गई है।
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