श्री परमात्मने नम:
शास्त्रोंका अवलोकन और महापुरुषो के वचनो का श्रवण करके मैं हम निर्णयपर पहुँचा कि संसारमें श्रीमद्भगवगीता के समान कल्याणके लिये कोई भी उपयोगी ग्रन्थ नहीं है। गीतामें ज्ञानयोग, ध्यानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग,आदि जितनेभी साधन बतलाये गयेहैं, उनमेंसे कोई भी साधन अपनी श्रद्धा, रूचि और योग्यताके अनुसार करने से मनुष्यकर शीघ्र कल्याण हो सकता है।
अतएव उपर्युक्त साधनोंकी तथा परमात्माका त्तव रहस्य जानने के लिये महापुरुषो का और उनके अभाव में उच्चकोटिके साधकों का श्रद्धा, प्रेमपूर्वक सग करने की विशेष चेष्टा रखते हुवे गीताका अर्थ और मान सहित मनन करने तथा उसके अनुसार अपना जीवन बनाने के लिये प्राण पर्यन्त प्रयत्न करना चाहिये।
विषय सूची
1
ईश्वर और संसार
2
रामायणमें आदर्श भ्रातृ प्रेम
9
3
श्रीसीताके चरित्रसे आदर्श शिक्षा
89
4
तेईस प्रश्र
117
5
शंका समाधान
127
6
जीव सम्बन्धी प्रश्रोत्तर
138
7
जीवात्मा
154
8
तत्त्व विचार
158
अनन्य शरणागति
177
10
गीतोक्त सांख्ययोग
180
11
गीतोक्त सांख्ययोगका स्पष्टीकरण
188
12
गीताका उपदेश
192
13
गीता और योगदर्शन
198
14
गीताके अनुसार जीवन्मुक्तका क्त क्षण
203
15
गीताके अनुसार जीव, ईश्वर और ब्रह्मका विवेचन
208
16
गीताके अनुसार कर्म, विकर्म और अकर्मका स्वरूप
215
17
गीतोक्त क्षर, अक्षर और पुरुषोत्तम
219
18
गीता मायावाद मानती है या परिणामवाद
223
19
गीतामें ज्ञानयोग आदि शब्दोंका पृथक् पृथक् अर्थोंमें प्रयोग
228
20
श्रीमद्भगववद्रीताका प्रभाव
234
21
तेरह आवश्यक बातें
244
22
मनन करने योग्य
246
23
सार बातें
248
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