"गुलशन गजब गुलाब के" रचनाकार डॉ० गुलाब चन्द सिंह 'आभास' हैं। यह छै खण्डों में विभाजित भोजपुरी लोकगीतों की एक सशक्त पुस्तक है। इसमें दो सौ से अधिक गीत संग्रहित है। बीर और श्रृंगार की सर्वाधिक गीत है। रस की दृष्टि से गीतों का विभाजन किया गया है। इसके बहुत से गीत कई आकाशवाणियों से प्रसारित किये गये है तथा कई गीतों के कैसेट भी बन गये हैं जो जनमानस में अभिगुंजित हैं। इसके कई गीत भोजपुरी फिल्म में भी आ चुके है।
प्रस्तुत पुस्तक में कहीं वीर रस की ओजस्वी अभिव्यक्ति दिखाई पड़ती है तो कहीं मर्म स्पर्शी करूणा की धारा, कहीं हास्य व्यंग्य की आनन्दमयी दुनियाँ दिखाई पड़ती है तो कहीं शृंगार की मनमोहक रंगीन वातावरण, कहीं संयोग का छलकता प्याला दिखाई पड़ता है तो कहीं विराग्नि का दर्शन, कहीं राष्ट्रीय महान विभूतियों का चरित्र-चित्रण किया गया है तो कहीं विरह में जलती नायिका की मनोदशा। अंत तक यह पुस्तक प्रवाह और भावुकता को बनाये रखा है। कवि की भाव भाषा और शैली देखने योग्य है। कहने का ढंग निराला है। ऐसे ही लोक गीतों की आवश्यकता है। कवि अपने कर्म में सफल है, मैं इनकी मंगल कामना करता हूँ।
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