'भारत में हिमालयी राज्य इतिहास एवं संस्कृति' प्रस्तुत पुस्तक के अन्तर्गत हिमालय क्षेत्र में अवस्थित मध्यहिमालयी राज्य (प्राचीन से अर्वाचीन तक) के जनमानस के विविध पक्षों यथाः राजनीति, समाज, धर्म, अर्थ, कृषि, विज्ञान संस्कृति से सम्बन्धित शोधपत्रों का संकलन किया गया है जो यहां के समाज के बहुआयामी तत्वों के क्रमागत विकास, आव्रजन-प्रवजन, लोक भाषा-साहित्य, गीत-संगीत, लोककला एवं तकनीकी, राष्ट्र एवं राज्य की अवधारणा के पक्षों को समझने में सहायक होगी। साथ ही सदियों से यात्रागमन के प्रभावों से समाज में परिवर्तन के स्वरूप को भी निरन्तरता और परिवर्तन के संदर्भ में समझने में उपयोगी होगी। इतना ही नहीं अपितु यहां की बहुआयामी संस्कृति की विधाओं के मूर्त एवं अमूर्त स्वरूप के विकासक्रम को विश्लेषित करते हुए यहां के प्रकृतिजन्य संसाधनों के महत्व को मूल्यांकित किया जा सकेगा। इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर 'उत्तराखण्ड इतिहास एवं संस्कृति परिषद्' के तत्वाधान में 2007 से वार्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया जाता रहा है, जिससे क्षेत्रीय इतिहास का सूक्ष्मतर स्तर पर अध्ययन किया जा सके, जो व्याख्यात्मक यदि न भी हो परन्तु स्त्रोत सामग्री प्रदायक अवश्य ही हो। यह पुस्तक रूप में लेख संकलन इस दिशा में किया गया प्रयास है, आशा है यह प्रयास अपने उद्देश्य में सफल होगा।
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