पुस्तक परिचय
इतिहास के प्रति उदासीनता के इस युग में 'आधा इतिहास' का प्रकाशन एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है। पिछले कई दशकों में साहित्येतिहास को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किये गये, जिसके जवाब में भिन्न वैचारिक घरातलों के विभिन्न लेखकों को जुटाकर सहयोगी-लेखन का विकल्प तलाशा गया। ऐसे निरासक्त समय में महिला-लेखन को लेकर लिखा गया यह साहित्येतिहास सम्भवतः किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गयी पहली कृति है। लेखिका इसे 'आधा इतिहास' कहने पर जोर देती है, परन्तु यह आधा होना इसका आकार नहीं एक दृष्टि है, दर्शन है जो 'पूर्ण' के रू-ब-रू है। इसलिए पहली वार वैदिक ऋषिकाएँ, बौद्ध धेरियाँ, प्राकृत गाथाकार, संस्कृत कवयित्रियों और नव्य भारतीय भाषाओं की भक्त, सन्त, रानियों और वेश्याएँ सब-की-सब दर्द की एक रेखा पर खड़ी होकर अपनी और जग की बात करती हुई सुनी जा सकती हैं।
यह पहली बार है कि लोकगीतों को महिला-लेखन का साक्ष्य मानते हुए उसे इतिहास में दर्ज किया गया है, उसमें इतिहास तलाशा गया है और जन-इतिहास की खोज की गयी है। और यह भी पहली बार है कि महिला-लेखन का एक समूचा साँस लेता हुआ सौन्दर्यशास्त्र भी हमें हासिल हुआ है।
डॉ. सुमन राजे दशकों से साहित्येतिहास लेखन में कार्यरत हैं और जरूरी औजारों से लैस हैं। उनका उपयोग इस कृति में भरपूर किया भी गया है, पर वे पाठ को बोझिल नहीं बनाते। हिन्दी साहित्य का यह आधा इतिहास महिला-लेखन के बने-बनाये पूर्वाग्रहों को तोड़ता है, साँचों को नकारता है, मिथकों को बदलता है और एक नये रचना-कर्म का आविष्कार करता है। यह लेखन का ब्यौरा नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण हिन्दी साहित्येतिहास के पुनर्विचार, परिष्कार, परिशोधन और पुनर्लेख का प्रस्ताव है।
लेखक परिचय
जन्म : 23 अगस्त, 1938, उत्तर प्रदेश में ।
शिक्षा : लखनऊ विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. (स्वर्णपदक सहित), पीएच.डी.। कानपुर विश्वविद्यालय से डी. लिट्. ।
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कार्यक्षेत्र : अध्ययन, अध्यापन। आचार्य नरेन्द्रदेव नगरनिगम महिला महाविद्यालय (परास्नातक) के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त ।
प्रकाशित रचनाएँ : साहित्येतिहास : संरचना और
स्वरूप, साहित्येतिहास : आदिकाल, काव्यरूपसंरचना : उद्भव और विकास, रचना की कार्यशाला आदि (आलोचना)। रेवातट, आदिकालीन काव्यधारा, अपभ्रंश पीठिका आदि (सम्पादित पाठ)। सपना और लाशघर, उगे हुए हाथों के जंगल, यात्रादंश, एरका, इक्कीसवीं सदी का गीत (कविता-संग्रह)। 'चौथा सप्तक' की कवयित्री। इसके अतिरिक्त अनेक शोधपत्र, आलेख एवं नाट्य-रूपान्तर ।
पुरस्कार/सम्मान : उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का
तुलसी पुरस्कार एवं आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार । ऑल इण्डिया इण्टलेक्चुअल फोरम द्वारा शिक्षा एवं साहित्य-जगत में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए अलंकरण ।