प्रस्तुत पुस्तक बिहार का इतिहास' का चतुर्थ परिवर्द्धित व परिमार्जित सस्करण आपके हाथों में है। इसमें भारत के मुक्ति-संग्राम में बिहार के अवदान पर समुचित प्रकाश डाला गया है। साथ ही, कुछ अध्यायों की विषय-वस्तु में आवश्यक विस्तार किया गया है। झारखंड 'जोहार' से पाठकों को परिचित कराया गया है। यद्यपि विहार का विभाजन हो चुका है और झारखंड एक नवीन प्रदेश के रूप में उभरा है, तथापि दोनो प्रदेशों का इतिहास निश्चित रूप से अभिन्न व अविभाज्य है। 'ज्ञान' और गरीबी की कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती। मधुबनी पेंटिंग, भोजपुरी फिल्म, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के तथाकथित 'न्याय के साथ विकास जैसे कुछ नवीन प्रकरण प्रस्तुत संस्करण में शामिल किए गए है।
आशा है. जिज्ञासु छात्र-शिक्षक व आम पाठक नवीन संस्करण का स्वागत कर वयोवृद्ध लेखक के मनोबल, ऊर्जा व जिजीविषा को ज्वलनशील बनाए रखने में कोई कंजूसी व कोताही न करेंगे।
तथ्य व मुद्रण-संबंधी अशुद्धियों के सुधार हेतु विद्वानों के सुझाव सादर आमंत्रित है।
जय बिहार, जय भारत, जय जगत !
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